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सीएम योगी की सिफारिश, गोमती रिवर फ्रंट की हो सीबीआई जांच

न्यायिक जांच में दोषी मिले अफसरों के खिलाफ भी आपराधिक केस दर्ज कराने का फैसला लिया गया है

FP Staff

शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार की जांच के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शुमार गोमती रिवर फ्रंट की जांच भी सीबीआई से करवाने जा रही है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की सीबीआई जांच की सिफारिश की है. नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट के बाद यह सिफारिश की गई है.


इतना ही नहीं न्यायिक जांच में दोषी मिले अफसरों के खिलाफ भी आपराधिक केस दर्ज कराने का फैसला किया गया है.

गौरतलब है कि गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने करीब 1513 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे. जिसमें से 1437 करोड़ यानी की 95 फीसदी फंड पहले ही जारी कर दिए गए थे. इसके बावजूद 60 फीसदी काम भी पूरा नहीं हुआ.

पैसों की हेरीफेरी में जमकर अपराधिक साजिश

19 मार्च को शपथ लेने के बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का निरीक्षण किया था. उन्होंने प्रोजेक्ट की स्थिति देखकर सख्त नाराजगी व्यक्त की थी और मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिए थे.

न्यायिक जांच में बताया गया कि प्रोजेक्ट के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए अधिकारीयों और इंजिनियरों ने जमकर हेराफेरी की.

16 जून को न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष पेश की. रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने पैसों के हेराफेरी के लिए जमकर आपराधिक साजिश रची.

इससे पहले मुख्यमंत्री ने गोमती में कचरा ना डालने की सख्त हिदायत देते हुए कहा था कि नदी को प्रदूषणमुक्त किये बगैर उसके किनारों के सौंदर्यीकरण का कोई अर्थ नहीं है. नदी इतनी प्रदूषित है कि उसके किनारे खड़े होना मुश्किल है, ऐसे में उसकी धारा पर करोड़ों रुपए के फव्वारे लगाना फिजूलखर्ची है.

प्रदेश के 940 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली गोमती नदी औद्योगिक और घरेलू कचरे के कारण बेहद प्रदूषित हो चुकी है. इसके किनारे बसने वाले लखनउ, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, सुलतानपुर, जौनपुर समेत 15 छोटे-बड़े नगरों में इस नदी में कूड़ा और औद्योगिक कचरा डाला जाता है.

साभार न्यूज़ 18