view all

यूपी में सामने आया 2100 करोड़ का राशन घोटाला!

पूरे उत्तर प्रदेश में 2,100 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाला हुआ है. अब सीएम योगी के निर्देश पर मेरठ के मामले में एसआईटी जांच के आदेश गृह विभाग ने जारी किए हैं

FP Staff

उत्तर प्रदेश में राशन लूट का नया मामला सामने आया है. इस घोटाले में पहले फर्जी राशन कार्ड बनाए गए, फिर उन कार्डों से राशन का कोटा बढ़ाया गया और बंदरबांट कर ली गई. शुरुआती आंकड़ों के अनुसार सूबे में हुई राशन की इस लूट का आंकड़ा 2100 करोड़ से ज्यादा का है.

पिछले कुछ समय से योगी सरकार सूबे में 30 लाख से ज्यादा फर्जी कार्ड होने का दावा कर रही है. इन कार्डों की संख्या को लेकर सीएम योगी समय-समय पर सार्वजनिक मंचों से पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं.


दरअसल इस मामले की पृष्ठभूमि में बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी की वो चिट्ठियां हैं जिनके आधार पर वो पहले अखिलेश सरकार और फिर नई बीजेपी सरकार पर जांच का दबाव बनाते रहे हैं. लक्ष्मीकांत बाजपेई ने इस मामले में सिर्फ मेरठ में ही 78 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है.

उनके अनुसार पूरे उत्तर प्रदेश में 2,100 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाला हुआ है. अब सीएम योगी के निर्देश पर मेरठ के मामले में एसआईटी जांच के आदेश गृह विभाग ने जारी किए हैं.

फर्जी कार्ड से हो रहा था घोटाला

लक्ष्मीकांत बाजपेयी के अनुसार, 'हमने ये मामला अखिलेश यादव के सामने उठाया था फिर योगी जी से बताया कि किस तरह लूट हुई है. फर्जी राशन कार्डों पर राशन भी आवंटित हुए हैं. ये बड़ा घोटाला है.'

इस घोटाले के पीछे सबसे बड़ा तथ्य ये है कि अनाज की उठान के कोटे के कार्ड की संख्या कम होते ही कम होना साफ है, इन फर्जी कार्ड के पीछे अनाज की लूट हो रही थी.

वहीं 21 जुलाई 2017 को शासन को लिखे मंडलायुक्त मेरठ प्रभात कुमार के पत्र में मेरठ में खाद्य सुरक्षा योजना के तहत की गई लूट का जिक्र किया गया है. इसमें साफ किया गया है कि किस तरह 58,002 फर्जी कार्डों के सहारे अकेले मेरठ में राशन की लूट हुई. ये लूट स्थानीय अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत के बगैर नहीं हो सकती.

बता दें कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 से देश में लागू किया गया है. यूपी में अधिनियम 1 जनवरी 2016 से लागू हुआ. इस योजना के तहत गरीब लोगों को 3 किलो गेहूं 2 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से, 2 किलो चावल 3 रुपए प्रति किलोग्राम यानी कुल 12 रुपए में प्रति यूनिट देने का प्रावधान था.

5 किलो अनाज पर भारत सरकार 129.52 रुपए खर्च करती थी और उपभोक्ता को 12 रुपए खर्च करने होते थे. अकेले मेरठ जिले में इस घोटाले के प्रतिमाह 5 करोड़ होने का आंकलन है. इस प्रकार संपूर्ण प्रदेश में इसका आंकलन जनवरी 2016 से लेकर 2017 में कार्डों के सत्यापन तक समय का आंकलन करें तो ये आंकड़ा 2100 करोड़ से ज्यादा का है.