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एलपीजी सब्सिडी में होगा बदलाव? नीति आयोग ला सकता है ये प्रस्ताव!

फिलहाल सरकार तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) का उपयोग करने वालों को सब्सिडी देती है

Bhasha

नीति आयोग एलपीजी सब्सिडी की जगह रसोई गैस सब्सिडी लाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है. इसका मकसद खाना पकाने के लिए पाइप के जरिए घरों में पहुंचने वाली प्राकृतिक गैस और जैव - ईंधन का उपयोग करने वालों को भी इसका लाभ उपलब्ध कराना है.

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि सब्सिडी उन सभी ईंधन को मिलनी चाहिए जिसका उपयोग खाने पकाने में किया जा रहा है.


फिलहाल सरकार तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) का उपयोग करने वालों को सब्सिडी देती है.

कुमार ने कहा, ‘नीति आयोग एलपीजी सब्सिडी की जगह रसोई गैस सब्सिडी लाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है. एलपीजी विशिष्ट उत्पाद है. उन सभी उत्पादों/ईंधन के लिए सब्सिडी होनी चाहिए जिसका उपयोग खाना पकाने में किया जाता है.’

उन्होंने कहा , ‘... क्योंकि अगर कुछ शहर हैं जहां पीएनजी (पाइप के जरिए घरों में पहुंचने वाली प्राकृतिक गैस) का उपयोग होता है तब उन्हें भी सब्सिडी मिलनी चाहिए.’

गौरतलब है कि कुछ तबकों में यह आशंका जताई जा रही है कि केवल एलपीजी पर सब्सिडी ग्रामीण क्षेत्रों में जैव ईंधन और शहरी क्षेत्रों में पीएनजी जैसे स्वच्छ और सस्ते ईंधन के उपयोग के रास्ते में बाधा है.

रसोई गैस सब्सिडी से संबंधित बदलाव राष्ट्रीय ऊर्जा नीति 2030 के मसौदे में शामिल किया जा सकता है. मसौदा को पिछले साल जारी किया गया.

अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श के बाद नीति पर मंत्रिमंडल विचार करेगा.

अमेरिका का व्यापार युद्ध बढ़ाएगा समस्या

व्यापार तनाव बढ़ने से जुड़े सवाल के जवाब में कुमार ने कहा कि पूरी अर्थव्यवस्था खुली अर्थव्यवस्था की अभ्यस्त है और अमेरिका द्वारा शुरू व्यापार युद्ध समस्या को और बढ़ाएगा.

कुमार ने कहा, ‘हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं ...लेकिन यह कहना कि हम चिंतित हैं, सही नहीं है ...इसका कारण यह है कि निर्यात बढ़ाने को लेकर काफी गुंजाइश है और दूसरा व्यापार युद्ध भारत के खिलाफ केंद्रित नहीं है.’

हालांकि उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध से संकट बढ़ता है तो भारत को उसके लिए तैयार रहना चाहिए.

कुमार ने कहा कि भारत की वृहत आर्थिक स्थिति काफी अच्छी और मजबूत है. ‘मुझे लगता है कि निजी निवेश में कुछ धीमापन के बावजूद हमारी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 7-7.5 प्रतिशत रहेगी.’

उन्होंने कहा कि तेल कीमतें बढ़ी हैं लेकिन अब स्थिर हैं. ‘मुझे लगता है कि बुरा दौर समाप्त हो गया है. साथ ही महंगाई दर मुख्य मुद्रास्फीति सकल महंगाई दर से अधिक है. ईंधन और खाने के सामान का महंगाई दर में योगदान नहीं है ... .’

नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने स्वीकार किया कि वस्तु व्यापार निर्यात का नहीं बढ़ना चिंता का कारण है और अदृश्य व्यापार निर्यात का प्रदर्शन बेहतर नहीं है.

उन्होंने कहा , ‘इसीलिए मुझे लगता है कि इन क्षेत्रों में सुधार लाने की जरूरत है. इस पर ध्यान देना होगा.’