view all

बर्लिन स्टाइल में तोड़ी गई है त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति  

भले ही साम्यवादी सरकारों के गिरने पर पूरी दुनिया में लेनिन की मूर्तियां गिराई गई हों लेकिन रूस में लेनिन की मूर्तियों को आजतक किसी ने हाथ नहीं लगाया है

FP Staff

ब्लादिमिर इलीयच उल्यानोव लेनिन, यही है 1917 के ऐतिहासिक रूसी क्रांति के अगुवा नेता लेनिन का पूरा नाम. रूसी क्रांति का नायक रहे यह लेनिन महज 1 साल के लिए ही सोवियत रूस का चीफ रहे. लेनिन को दुनियाभर के किसान-मजदूरों का नेता माना जाता है. लेनिन को साम्यवादी और समाजवादी विचारधारा के समर्थक सिर्फ रूस ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सर्वहारा के मुक्तिदाता के रूप में देखते हैं.

21 जनवरी, 1924 को लेनिन की मौत के बाद पूरी दुनिया में साम्यवादी और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित सरकारों और लोगों ने कई जगह लेनिन की मूर्तियां लगवाईं और इस वजह से दुनिया के कई देशों में यहां तक की अमेरिका के लास वेगास में भी लेनिन की मूर्ति है.


त्रिपुरा के बेलोनिया (अगरतला) में लेनिन की मूर्ति गिराए जाने की घटना भारत के लिहाज से पहली घटना है लेकिन विश्व में वामपंथ और साम्यवाद को नापसंद करने वाली सरकारों, लोगों और पार्टियों ने कई जगह लेनिन की मूर्ति को तोड़ी है.

कुछ इस तरह बर्लिन में तोड़ी गई थी लेनिन की मूर्ति

लेनिन की मूर्ति को तोड़े जाने की जिस घटना की चर्चा सबसे अधिक होती है वह है 11 नवंबर, 1991 में बर्लिन में लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने की घटना. यह मूर्ति 19 मीटर लंबी थी और 1970 में इसे निकोलाई टोम्सकी ने ग्रेनाइड के पत्थर से यह मूर्ति बनाई थी. बर्लिन में बिल्कुल त्रिपुरा के स्टाइल में लेनिन की मूर्ति तोड़ी गई थी. पहले लेनिन की इस मूर्ति को हटाया गया था और फिर बर्लिन के बाहर ले जाकर पूरी मूर्ति को तोड़ दिया गया. इस मूर्ति को तोड़ी जाने की घटना पर 'गुडबॉय लेनिन' नामक फिल्म भी बन चुकी है.

1989 में ही यह तय हो गया था कि सोवियत संघ टूटने वाला है. सोवियत संघ में शामिल देशों के अलावा उस वक्त पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया भी कम्युनिस्ट विचारधारा वाली सरकारें थीं. सोवियत संघ के देशों के साथ-साथ इन दोनों देशों में भी 1990 से 1992 के बीच लेनिन की काफी मूर्तियां तोड़ी गईं.

सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि भले ही साम्यवादी सरकारों के गिरने पर पूरी दुनिया में लेनिन की मूर्तियां गिराई गई हों लेकिन रूस में लेनिन की मूर्तियों को आजतक किसी ने हाथ नहीं लगाया है. रूस में कई जगह लेनिन की मूर्तियां हैं और लेनिन आज भी रूसी जनता के बीच काफी लोकप्रिय हैं. हालांकि रूस में भी ऐसे लोग हैं जो लेनिन की मूर्तियों को तोड़े जाने के पक्ष में हैं, लेकिन इनकी संख्या लेनिन को राष्ट्रीय नेता मानने वाले लोगों से काफी कम है. रूस के साथ-साथ बेलारूस और यूक्रेन में भी लेनिन की मूर्तियों को सोवियत संघ के विघटन के बावजूद नहीं तोड़ा गया था. यहां तक की इन देशों में लेनिन की नई मूर्तियां भी लगवाई गईं.

हालांकि हाल के वर्षों में जिस देश में सबसे अधिक लेनिन की मूर्तियों को तोड़े जाने की घटना यूक्रेन में हुई है. दरअसल यूक्रेन के भीतर रूस को लेकर काफी विरोध है. यहां लेनिन की मूर्तियों को तोड़े जाने की सबसे बड़ी रूस का विरोध ही है.

वैसे रूस में भी सोवियत संघ के विघटन के बाद लेनिन के शव को दफनाकर वहां म्यूजियम की स्थापना की गई और लेनिनग्राद का नाम बदलकर फिर से सेंट पीट्सबर्ग किया गया.

भारत में सबसे पहले लेनिन की मूर्ति सरकारी तौर से रूसी क्रांति की 70 वीं वर्षगांठ पर 1 नवंबर 1987 में नई दिल्ली में लगाई गई थी. इस मूर्ति का अनावरण तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने किया था.