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मुंबई ब्लास्ट: पढ़िए भारत-पुर्तगाल के बीच प्रत्यर्पण संधि की पूरी तस्वीर

दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और पुर्तगाली राष्ट्रपति एसी सिल्वा के हस्ताक्षर से जनवरी 2007 में हुई थी

FP Staff

-पुर्तगाल के कानून के अनुसार उम्रकैद का मतलब 25 साल होता है. ऐसे में वर्तमान स्थिति को देखते हुए अबू सलेम को 13 साल जेल में काटने होंगे क्‍योंकि वह 12 साल की सजा पहले ही काट चुका है.

-साल 2005 में सलेम के भारत प्रत्यर्पण के समय तत्‍कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने लिखित तौर पर पुर्तगाल सरकार और कोर्ट को यह आश्वासन दिया था कि अबु सलेम को 25 साल से अधिक जेल में नहीं रखेंगे.


-भारत सरकार की तरफ से पुर्तगाल को यह आश्वासन दिया गया था कि उसे मौत की सजा भी नहीं दी जाएगी.

-यूनाइटेड नेशंस कनवेंसन ऑन सप्रेशन ऑफ़ टेररिज़्म 2000 के तहत और पुर्तगालियों के साथ समझौते के तहत सलेम और मोनिका भारत आए थे.

-भारत ने तीन साल जारी रही कानूनी लड़ाई के बाद अबू सलेम और मोनिका बेदी को लिस्बन से भारत लाने में कामयाबी हासिल की थी.

-पुर्तगाल प्रत्यर्पण संधि के तहत पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किए गए किसी भी अपराधी को फांसी नहीं दी जा सकती. अधिकतम आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है.

-लेकिन दोषी की जायदाद जब्त कर सकती है भारत सरकार.

-दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और पुर्तगाली राष्ट्रपति एसी सिल्वा के हस्ताक्षर से जनवरी 2007 में हुई थी.

-भारत के साथ प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर करनेवाला 18वां देश बना था पूर्तगाल.

-इस वक्त 42 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि कर चुका है और 9 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि की व्यवस्था है.

-भारत ने जिन 42 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि की है, उनमें  UK, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, बहरीन, बांग्लादेश, तुर्की, अमेरिका, पुर्तगाल, ब्राजील, फ्रांस समेत कई दूसरे देश हैं.

-9 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि की व्यवस्था का काम पूरा भी कर लिया गया है. इनमें से क्रोएशिया, फिजी, इटली, पापुआ न्यूगिनी, पेरू और श्रीलंका शामिल हैं.

-विदेश मंत्रलय ने जो 2002 से 2015 तक पूरी लिस्ट दी है उसमें से 60 लोगों को प्रत्यर्पित किए गए हैं.

-2005 में डॉन अबु सलेम और मोनिका बेदी को पुर्तगाल से भारत में प्रत्यर्पण किया गया. छोटा राजन इंडोनेशिया से, अनूप चेतिया को बांग्लादेश से साल 2015 में प्रत्यर्पण किया गया. इसी के तहत जगतार सिंह तारा को थाईलैंड से भारत लाया गया.