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बच्चों के लिए साथ आए दुनियाभर के लॉरिएट्स और लीडर्स

समारोह का आयोजन नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के फाउंडेशन के प्रयासों के जरिए हुआ...

Pawas Kumar

जब शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन के सेरेमोनियल हॉल में जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लॉरिएट्स एंड लीडर्स समिट फॉर चिल्ड्रेन 2016 की शुरुआत की, तो बाहर हल्की धुंध थी. शनिवार को जब इसका इस समिट का समापन हुआ तो बाहर धूप खिली थी और अंदर यह भरोसा था कि बच्चों के हक के लिए मजबूत पहल की शुरुआत हो चुकी है.

लॉरिएट्स एंड लीडर्स समिट फॉर चिल्ड्रेन 2016 अपने आप में पहला एक समारोह था जहां विश्वभर से नोबेल पुरस्कार विजेता और विश्वनेता बच्चों के अधिकारों पर बात करने के लिए इकट्ठा हुए.


दो दिन के इस समारोह का आयोजन नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के फाउंडेशन के प्रयासों के जरिए हुआ था. इस समिट की शुरुआत करते हुए सत्यार्थी ने कहा, भारत प्रेम और करुणा की धरती है. प्रयास है कि प्रेम और करुणा की इस धरती से बच्चों के अधिकारों के लिए सबसे बड़ी पहल की शुरुआत हो. आज जरूरी है कि बच्चों के अधिकारों के लिए पूरी दुनिया एकसाथ काम करे. समिट की समाप्ति के बाद उन्होंने कहा कि बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने के लिए एक मजबूत 'नैतिक ताकत' तैयार हो रही है. उन्होंने कहा कि यहां जुटे लोगों ने बच्चों की आवाजों को सुना, उनकी समस्याओं पर गौर किया और साथ मिलकर काम करने का वादा किया.

सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले नोबेल पुरस्कार विजेताओं और विश्वनेताओं में दलाई लामा, मोनैको की प्रिसेंस शार्लीन, जॉर्डन के प्रिंस अली बिन अल हुसैन, नीदरलैंड्स की प्रिसेंस लॉरेन्टाइन, यूनेस्को से होसे-रैमोस-होर्टा, पनामा की फर्स्ट लेडी लॉरेना कैस्टिलो द वेरेला, ऑस्ट्रेलिया की पूर्व प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड, ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकॉनमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलेपमेंट के महासचिव एंजेल गुरिया जैसी हस्तियां शामिल थीं.

पनामा की फर्स्ट लेडी लॉरेना कैस्टिलो द वेरेला ने कहा कि हम भविष्य की चुनौतियों के निर्णय के लिए यहां आए हैं. बच्चों की तस्करी, बाल मजदूरी और अन्य समस्याओं के समाधान के बारे में हमें आगे सोचना है. शांति की नोबेल पुरस्कार विजेता तवक़्क़ुल करमान ने कहा कि हमें यह सोचने की आवश्यकता है कि हम बच्चों के अधिकारों को विश्व में किस तरह से रक्षा कर सकते हैं.

ओईसीडी के महासचिव एंजेल गुरिया ने कहा कि विश्व का कोई भी बच्चा दासता, अशिक्षा सहित किसी तरह के शोषण का शिकार न हो इसके लिए विश्व के देशों को प्रतिबद्धता जतानी होगी. ऑस्ट्रेलिया की पूर्व प्रधानमंत्री जुलिया गिलार्ड ने कहा कि बच्चे देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और इनको शिक्षित करना सबका कर्तव्य है.सामाजिक कार्यकर्ता और 2011 में शांति के लिए नोबल पुरस्कार प्राप्त लेमाह ग्बोवी ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए सबको आगे आने की आवश्यकता है.