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कुंभ मेले को यूनेस्को ने दिया सांस्कृतिक विरासत का दर्जा, पीएम ने दी बधाई

इस लिस्ट में ऐसे और भी ऐसी कई परंपराएं शामिल की गई हैं, जो सांस्कृतिक धरोहरों की विविधता को प्रमाणित करते हैं और इसकी अहमियत के बारे में जागरूक करते हैं

FP Staff

दुनिया भर में मशहूर भारत के कुंभ मेले को यूनेस्को की तरफ से अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया गया है. कुंभ मेला इस बार यूनेस्को के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों की लिस्ट में शामिल किया गया था.

इस लिस्ट में ऐसे और भी ऐसी कई परंपराएं शामिल की गई हैं, जो सांस्कृतिक धरोहरों की विविधता को प्रमाणित करते हैं और इसकी अहमियत के बारे में जागरूक करते हैं.


यूनेस्को की तरफ से जारी बयान में कहा गया, 'कुंभ मेला पवित्र स्नान का त्योहार है, जहां दूर-दूर से साधु, संत और टूरिस्ट पवित्र नदी में डुबकी लगाने आते हैं. ये परंपरा पूरे भारत में आस्था का विषय है.'

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को बधाई दी. उन्होंने कहा कि ये मौका भारत के लिए गर्व करने का है.

इस मेले का आयोजन हरिद्वार और इलाहाबाद में गंगा नदी के किनारे, उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे और नासिक में गोदावरी नदी के किनारे तीन-तीन साल के अंतराल में चारों स्थानों पर किया जाता है. जिसमें करोड़ों की संख्या में लोग शामिल होते हैं. यहां साधु, संत, नागा बाबाओं के अलावा देश-दुनिया भर से लोग गंगा में डुबकी लगाने आते हैं.

विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा था कि यूनेस्को के अंतर्गत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतरसरकारी समिति ने दक्षिण कोरिया के जेजू में 12वें सत्र के कुंभ मेले का उद्घाटन किया.

भारत की ओर से दो सालों में योग और नवरोज (पारसी नववर्ष) के बाद कुंभ मेला यूनेस्को को सूचीबद्ध किया गया है.

इसके अलावा इस साल इस लिस्ट में और भी नई 33 सांस्कृतिक धरोहर शामिल की गई हैं, जिनमें बांग्लादेश के शीतल पाटी बुनाई भी है, जिसमें बांस के इस्तेमाल से चटाई बनाई जाती है.