केरल को भगवान का अपना घर कहा जाता है. मगर ये राज्य नेताओं के सेक्स स्कैंडल के लिए भी काफी चर्चित हो रहा है.
बाकी राज्यों के मुकाबले केरल के नेताओं के सेक्स स्कैंडल की खबरें ज्यादा आती हैं. नियमित रूप से किसी न किसी नेता के बारे में ऐसी सुर्खियां बनती रहती हैं. हर बार खबर सामने आने पर मीडिया इन्हें बढ़-चढ़कर बताता दिखाता है.
ताजा घटना पिनयारी विजयन सरकार में मंत्री रहे ए के शशींद्रन का है. जिन पर इल्जाम है कि वो एक महिला से सेक्स चैट कर रहे थे. मामले को एक टीवी चैनल ने दिखाया. उनके ऑडियो टेप टेलीकास्ट हुए तो शशींद्रन ने फौरन इस्तीफा दे दिया. लेकिन इससे लेफ्ट फ्रंट सरकार की शर्मिंदगी कम नहीं हुई.
ऐसा लगता है कि शशींद्रन किसी साजिश के शिकार हुए हैं. फिर भी उनका अपराध कम नहीं है. और मीडिया के लिए तो ऐसी खबरें चटखारेदार बनाने का सुनहरा मौका होता है.
शशींद्रन एनसीपी के विधायक हैं. उनके इस्तीफे के बावजूद, विपक्षी दल लेफ्ट फ्रंट सरकार को बख्शने के मूड में नहीं है. वजह ये है कि इससे पहले की ओमन चांडी सरकार के खिलाफ लेफ्ट फ्रंट का सेक्स स्कैंडल को लेकर हमलावर रुख रहा था. जब सोलर स्कैम सामने आया था तो वामपंथी मोर्चे ने चांडी सरकार पर चढ़ाई कर दी थी. आरोप लगा था कि कांग्रेस नेताओं ने सरिता नायर नाम की महिला से यौन संबंध के बदले में उसके फर्जी सोलर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी थी.
ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि सियासी सेक्स स्कैंडल की बुनियाद कांग्रेस ने ही रखी. आखिर वो देश पर सबसे लंबे वक्त तक राज करने वाली पार्टी जो रही है. हालांकि अब ये मर्ज तमाम दलों में फैल गया है. कांग्रेस की खबरों की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को पता है कि किस तरह कांग्रेस के नेता महिला कांग्रेस की सदस्यों का यौन शोषण करने के बाद उन्हें आगे बढ़ाया करते थे. ये एक तरह से राजनीतिक का कास्टिंग काउच ही था.
लंबे वक्त तक सत्ता में रहने की वजह से कांग्रेस के तमाम नेता पद के दुरुपयोग को अपना हक समझने लगे थे. इसीलिए वो खुलकर महिलाओं का पूरी बेशर्मी से यौन शोषण करते थे. एक कांग्रेस सांसद ने तो दावा किया था कि वो जिन महिलाओं से जिस्मानी ताल्लुक बनाता है, उनके नाम एक डायरी में दर्ज करता है.
ज्यादातर मामलों में तो महिलाएं शिकायत करने से भी डरती थीं. इनमें से भी कई मामलों की जांच तक नहीं होती थी. 2009 में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल रहे एनडी तिवारी का सेक्स स्कैंडल सामने आया था. इसी तरह कर्नाटक में कांग्रेस के मंत्री एच वाय मेती एक महिला के साथ संदिग्ध हालत में धरे गए थे. दोनों ही मामलों में नेताओं की उम्र कोई बंदिश नहीं नजर आई. तिवारी का स्कैंडल सामने आया तो उनकी उम्र 86 साल थी. वहीं, मेती की उम्र 71 बरस थी.
2012 में कर्नाटक और गुजरात में दो-दो बीजेपी विधायक, विधानसभा में पोर्न वीडियो देखते पकड़े गए थे. इसी तरह 2013 में मध्य प्रदेश के मंत्री राघवजी लक्ष्मी सावला पर अपने नौकर के यौन शोषण का इल्जाम लगा था. इसके बाद राघवजी को इस्तीफा देना पड़ा था.
देश भर में नेताओं के सेक्स स्कैंडल की तमाम मिसालें हैं. इसमे केरल अव्वल है. फिर चाहे लेफ्ट फ्रंट के नेता हों या कांग्रेस, कोई किसी से कम नहीं. केरल के तमाम सेक्स स्कैंडल में सबसे चर्चित 1997 का आइसक्रीम पार्लर कांड रहा था. जिसमे आइसक्रीम पार्लर की आड़ में लड़कियों से वेश्यावृत्ति कराई जा रही थी. आठ साल बाद मुस्लिम लीग के मंत्री पी के कुन्हालीकुट्टी को इसी स्कैंडल के चलते इस्तीफा देना पड़ा था. एक लड़की ने आरोप लगाया था कि मंत्री ने उससे छेड़खानी की थी, आइसक्रीम पार्लर कांड के बाद तो मानो केरल में सेक्स स्कैंडल की बाढ़ आ गई.
केरल में आज आम जनता नेताओं के ऐसे स्कैंडल से परेशान है. कुछ लोगों को तो लगने लगा है कि केरल भगवान के घर से सेक्स स्कैंडल के गढ़ में तब्दील हो गया है.
नेताओं के स्कैंडल के बारे में एक ही तर्क दिया जा सकता है. मनोवैज्ञानिक योरिस लैमर्स ने कहा था कि सत्ता और सेक्स का गहरा ताल्लुक है.
लैमर्स ने 2011 में अपने रिसर्च को प्रकाशित किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि, 'सत्ता के साथ बेवफाई का गहरा ताल्लुक है. क्योंकि सत्ता हाथ में होने पर आप तमाम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. आप कई बार तो सत्ता हासिल करने की तरफ इसी इरादे से बढ़ते हैं.'
लैमर्स के तजुर्बे के अलावा भी दूसरी स्टडी से साबित होता है कि सत्ता और अनैतिक आचरण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. जो लोग दूसरों को सीख देते हैं, वो भी सत्ता हासिल होने के बाद पतन की राह पर चलने लगते हैं. अपने बताए सिद्धांतों से मुंह मोड़ लेते हैं.
केरल में तमाम सेक्स स्कैंडल सामने आने की तीन और वजहें हो सकती हैं-
पहली बात तो राज्य की गंदी सियासत इसके लिए जिम्मेदार है. बहुत से लोग अपने राजनैतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने के लिए सेक्स स्टिंग का सहारा ले रहे हैं. कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि इल्जाम लगाकर खुद को पीड़ित बताने वाले रातों रात लापता हो गए.
दूसरी वजह है केरल मे दिन रात बढ़ते न्यूज चैनल. टीआरपी की रेस में जीतने के लिए इन चैनलों को लगता है कि सेक्स स्कैंडल की खबरें चटखारेदार तरीके से पेश करना इनके लिए कामयाबी का आसान रास्ता हो सकता है.
तीसरी वजह ये है कि साक्षरता की ऊंची दर के बावजूद मर्दों का औरतों के प्रति नजरिया नहीं बदला है. हालांकि आज केरल की महिलाएं सशक्त हैं. मगर उन्हें अब भी शोषण का शिकार बनाया जा रहा है.
केरल में रबर होता है, मसाले होते हैं, नारियल होता है. यहां ढेर सारे राजनैतिक दल हैं. कई दल तो ऐसे हैं जिनमें सिर्फ एक ही सदस्य है. यहां पर दूसरे राज्यों के लिए कामगार हैं और अपने लिए कामगार यूनियन हैं. मगर आज की तारीख में केरल की चर्चा सेक्स स्कैंडल के लिए ज्यादा हो रही है. बेहतर होगा कि केरल इससे बचने की कोशिश करे.