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केरल: रेप के आरोपी बिशप के खिलाफ नन्स का का प्रदर्शन जारी...

ननों के विरोध-प्रदर्शन के कारण चर्च प्रबंधन काफी नाराज है. इंडियन कैथोलिक फोरम के बीनू चाको ने ननों पर उन हाथों में खेलने का आरोप लगाया है, जो अपने परोक्ष मकसदों से चर्च को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं.

TK Devasia

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आज्ञा/नियम का पालन भी शामिल है. हालांकि, लैटिन कैथोलिक चर्च के जालंधर डाइसीज के तहत आने वाले मिशनरीज ऑफ जीसस कॉन्ग्रिगेशन की 5 ननों ने ईसा मसीह की मां, वर्जिन मैरी के जन्मदिवस यानी 8 सितंबर को इस पवित्र प्रण को दरकिनार कर दिया.


कॉन्ग्रिगेशन कॉन्वेंट की 5 ननों ने केरल के कोट्टायम जिले स्थित कुराविलन्गद में यह 'पाप' किया. दरअसल, उन्होंने चर्च प्रबंधन और पुलिस की तरफ से अपने साथी नन को न्याय नहीं मिलने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया. एक नन ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ रेप का आरोप लगाया है और वह इस मामले में कार्रवाई के लिए पिछले दो साल से तमाम दरवाजे खटखटा रही हैं. इस नन का आरोप है कि बिशप ने उनके साथ कई बार रेप किया किया.

‘चर्च प्रबंधन से शिकायत का असर नहीं, पुलिस भी सक्रिय नहीं’

इस सिलसिले में नन की तरफ से 2016 से अब तक खुद पोप फ्रांसिस समेत चर्च प्रबंधन से कई बार शिकायत किए जाने का कोई असर नहीं हुआ. इसके अलावा, पुलिस ने भी उनकी शिकायत पर पिछले 75 दिनों से मामले को खींचने जैसा रवैया अख्तियार कर रखा है. नन ने आरोप लगाया है कि बिशप ने उनके साथ 6 मई 2014 से 24 सितंबर 2016 के दौरान कॉन्वेंट के गेस्ट हाउस में 13 बार रेप किया.

इस मामले में बिशप की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पांच ननों ने एर्नाकुलम के आईजी ऑफिस के पास बीते शनिवार को 3 घंटे तक धरना दिया. ज्वाइंट क्रिश्चियन काउंसिल (जेसीसी) की अगुवाई में चल रहे इस विरोध-प्रदर्शन को चार ननों ने रविवार को भी जारी रखा. केरल में कैथोलिक चर्च के इतिहास में पहली बार इस तरह का विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला है.

रेप पीड़िता नन की बहन सिस्टर एन्सी ने बताया, 'हमारे विरोध-प्रदर्शन पर चर्च प्रबंधन या पुलिस से किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं मिली है. हम अपनी उम्मीद छोड़ चुके हैं. हमारी अंतिम उम्मीद न्यायपालिका से है. हम हाईकोर्ट में अपनी गुहार लगाने की तैयारी कर रहे हैं.'

चर्च प्रबंधन पर उच्चस्तरीय प्रभाव से मामले को प्रभावित करने का आरोप

हाई कोर्ट ने 13 अगस्त को वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें नन की शिकायत पर तेजी से जांच की मांग की गई थी. दरअसल, इससे पहले पुलिस ने कहा था कि इस मामले में उसकी तरफ से इकट्ठा किए गए सबूत बिशप पर कार्रवाई के लिए पर्याप्त हैं और पुलिस द्वारा बिशप से पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार किया जा सकता है.

अदालत में पुलिस की तरफ से पेश बयान में कहा गया, 'अब तक इकट्ठा किए गए सबूतों से पता चला है कि अभियुक्त ने जालंधर के बिशप के तौर पर अपने दबदबे का इस्तेमाल करते हुए नन के साथ अप्राकृतिक दुराचार किया और उनकी इच्छा और सहमति के बिना उनके साथ लगतार रेप किया. नन को कुराविलन्गद के गेस्ट रूम में रखने के बाद उनके साथ यह अपराध किया गया.'

हालांकि, अगले दिन वायकोम के डीएसपी के. सुभाष की अगुवाई वाली जांच टीम द्वारा जालंधर में बिशप से पूछताछ के बाद पुलिस का रुख पलट गया. एन्सी ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि मुमकिन है कि चर्च से दबाव के बाद प्रशासन द्वारा ऊंचे स्तर पर दखल के कारण पुलिस का रवैया बदल गया हो.

नन ने बताया, 'हमें पता चला है कि जांच क्राइम ब्रांच को सौंपने की तैयारी है. हमें आशंका है कि यह इस केस को पूरी तरह से पटरी पर से उतारने की कोशिशों का हिस्सा है. मौजूदा टीम ने बिशप को हिरासत में लेने के लिए जरूरी सभी सबूत जुटा लिए हैं. हालांकि, आला अधिकारियों ने जांच टीम के हाथ बांध रखे हैं.'

राज्य के डीजीपी लोकनाथ बेहरा ने फिलहाल जांच टीम को बदले जाने से संबंधित किसी भी फैसले से इनकार किया है. उन्होंने बताया कि एर्नाकुलम के आईजी इस जांच की निगरानी कर रहे हैं और वह मौजूदा जांच से संतुष्ट हैं.

बिशप को गिरफ्तार किए जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर बेहरा ने बताया, 'मैंने जांच का निरीक्षण नहीं किया है. इसलिए मैं यह नहीं कह सकता हूं कि बिशप को गिरफ्तार किया जाएगा या नहीं या अगर ऐसा होगा, तो कब होगा. आईजी जांच की निगरानी कर रहे हैं और वह सही समय पर सही फैसला करेंगे.'

पुलिस टीम का दावा, जांच पूरी हो चुकी है

इस मामले से जुड़ी जांच टीम के प्रमुख ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि उनकी जांच पूरी हो चुकी है और अब आगे की कार्रवाई के लिए उन्हें निर्देशों का इंतजार है. यह पूछे जाने पर वह अभियुक्त बिशप को गिरफ्तार करने के लिए जांच अधिकारी के तौर पर अपने अधिकार का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं, डीएसपी का कहना था कि उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों ने इस सिलसिले में निर्देश की मांग की है. उनके मुताबिक, चूंकि यह मामला दूसरे राज्य से संबंधित है, लिहाजा उच्च अधिकारियों से निर्देश और जरूरी हो जाता है.

सुभाष ने बताया, 'इस केस से जुड़ी घटनाएं दो या चार साल पहले हुईं. इस आरोप की पुष्टि करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. हालांकि, हमने जो अन्य सबूत इकट्ठा किए गए हैं, वे ठोस हैं. मेरे हिसाब से ये सबूत बिशप के खिलाफ ठोस केस बनाने के लिए पर्याप्त हैं.' ननों ने कुराविलन्गद में पत्रकारों को बताया कि उन्हें मौजूदा जांच टीम पर पूरा भरोसा है. हालांकि, उन्होंने डीजीपी और आईजी पर आरोप लगाया कि वे दोनों अधिकारी जांच टीम को खुली छूट नहीं दे रहे हैं. उनके मुताबिक, यह बिशप को बचाने की उच्चस्तरीय कोशिशों का हिस्सा है.

नन और उनके सहयोगियों पर केस को वापस लेने के लिए दबाव

चर्च रिफॉर्म मूवमेंट (सीआरएम) की वकील इंदुलेखा जोसेफ का कहना है कि इस बात को मानने के लिए मजबूत आधार है कि पुलिस बिशप और उनके समर्थकों को पीड़िता और गवाहों को प्रभावित करने और डराने-धमकाने की खातिर प्रयास करने के लिए पर्याप्त समय दे रही है. उन्होंने कहा कि इसका मकसद पीड़िता और उनसे जुड़े लोगों पर अधिकतम दबाव बनाना है, ताकि वे केस को छोड़ दें.

एन्सी का कहना था, 'यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली दो ननों पर इस कदर दबाव पड़ा कि उन्होंने इस धार्मिक व्यवस्था को ही छोड़ दिया. हमें समर्थन देने वाली एक और नन का ट्रासंफर बिहार कर दिया गया है. नन केरल में रहना चाहती थीं, क्योंकि उन्हें मानसिक रूप से कमजोर अपने भाई की देखभाल में अपनी विधवा मां का सहयोग करना था. जो हमारे पक्ष में खड़े हो रहे हैं, उन्हें और उनके परिवार को भी किसी न किसी रूप में परेशान किया जा रहा है.'

एन्सी ने बताया 'मेरी बहन पर अब बड़ा दबाव है. पुलिस ने 12 बार उसका बयान लिया है. एक स्थानीय विधायक ने तो उसे वेश्या तक कह दिया. मेरी बहन की बाइक की ब्रेक को फेल कर उसे मारने की भी साजिश रची गई. मुझे नहीं पता कि ऐसी स्थिति में वह कितने लंब समय तक अपने इस रुख पर कायम रह पाएगी.'

उन्होंने बताया कि चर्च से संबंधित पाला डाइसीज की तरफ से ननों को मिलने वाली सुविधाओं को भी उनके लिए रोक दिया गया है. उनके मुताबिक, डाइसीज द्वारा कॉन्वेंट में हफ्ते में चार दिन मास (कैथोलिक ईसाइयों में एक आयोजन) आयोजित करने के लिए नियुक्त पादरी को हटा दिया गया है. उनका यह भी कहना था कि फ्रांसिसन पादरी द्वारा रविवार को मास आयोजित कराए जाने से उन लोगों के लिए हफ्ते में एक दिन इसमें शामिल होना मुमकिन हो पाया है.

ननों के विरोध-प्रदर्शन के कारण चर्च प्रबंधन काफी नाराज है. इंडियन कैथोलिक फोरम के बीनू चाको ने ननों पर उन हाथों में खेलने का आरोप लगाया है, जो अपने परोक्ष मकसदों से चर्च को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'अपनी संस्था के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेना ननों के लिए काफी अशोभनीय बात है. वे चर्च के दुश्मनों का साधन बन गई हैं. उन्होंने चर्च को अक्षम्य नुकसान पहुंचाया है.'

बहरहाल, जेसीसी एग्जिक्यूटिव कमेटी के सदस्य फेलिक्स जे पुल्लुदन का कहना था कि उनकी लड़ाई चर्च के खिलाफ नहीं, बल्कि उन लोगों के खिलाफ है, जो अपनी गलत हरकतों से चर्च का नाश करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक चर्च को गलत करने वाले ऐसे लोगों से मुक्त नहीं कराया जाता, तब तक लड़ाई जारी रहेगी.