केरल हाई कोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें वध के लिए मवेशियों की खरीद-बिक्री पर रोक संबंधी केंद्र की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है. कोर्ट ने कहा कि नियमों में कोई संवैधानिक उल्लंघन नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्र की अधिसूचना में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है.
पीठ ने कहा कि अधिसूचना में उसे बीफ की बिक्री या उपभोग पर रोक नहीं दिखती है. इसके बाद याचिकाकर्ता ए जी सुनील ने जनहित याचिका वापस ले ली.
इस बीच कोर्ट की एक एकल पीठ ने पशुओं की बिक्री पर रोक संबंधी अधिसूचना के प्रभाव के संबंध में केंद्र को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति पी बी सुरेश कुमार ने अधिसूचना के नियम 22 को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्र का जवाब देखने के बाद कोर्ट अधिसूचना पर रोक संबंधी आवदेन पर विचार करेगी.
दूसरी ओर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जैसी आशंका जताई है, नियमों में वैसी कोई अवैधता नहीं दिखती.
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 19:1 जी के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है और इसे रद्द किया जाना चाहिए.
पीठ ने कहा कि अधिसूचना में कोई संवैधानिक उल्लंघन नहीं है.