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#KeralaFloods: पानी घटने पर शुरू होगी सरकार की असली चुनौती, खस्ताहाल अर्थव्यवस्था और महामारी से लड़ना होगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ की विभीषिका का जायजा लेने के बाद केरल को अंतिरिम तौर पर 500 करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया है

TK Devasia

एडिटर्स नोट:केरल इन दिनों भीषण बाढ़ से जूझ रहा है. वहां के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इसे विध्वंसकारी बताते हुए कहा है कि 1924 के बाद से अब तक का यह प्रलयंकारी बाढ़ है. बाढ़ से अब तक 357 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं. नवीनतम सूची के मुताबिक अब तक लगभग 80 हजार से ज्यादा लोगों को बचाया जा चुका है. राज्य भर में 1500 से ज्यादा राहत शिविर बनाए गए हैं जिसमें वहां पर अभी 2,23,139 लोग शरण लिए हुए हैं. फ़र्स्टपोस्ट कड़ियों में इस भीषण बाढ़ के कारणों और प्रभावों पर सिलसिलेवार तरीके से विश्लेषण करेगा और वहां के लोगों की जिंदगी, राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर पड़ने वाले दीर्घावधि और तत्काल प्रभावों के बारे में आपको विस्तार से जानकारी देगा.

केरल में इस बार मानसून ने तबाही मचा दी है. भारी बारिश के बाद आई भीषण बाढ़ ने राज्य को तहस-नहस कर दिया है. इस बार की भीषण बाढ़ की तुलना राज्य में 1924 में आए भयंकर बाढ़ से की जा रही है. यानी की राज्य को पिछले लगभग एक शताब्दी के बाद इस तरह की भयानक त्रासदी से दो-चार होना पड़ रहा है. इस बार के मानसून से तटवर्ती राज्य केरल में जान-माल के साथ-साथ फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. प्राकृतिक आपदा से बड़े पैमाने पर हुई बर्बादी को देखते हुए राज्य सरकार और केरल के लोग केंद्र सरकार से राहत की आस लगाए बैठे हैं. वो चाहते हैं कि राज्य को हुए जबरदस्त नुकसान की भारपाई केंद्र की तरफ से की जाए.


बाढ़ से हुई तबाही का जायजा लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और अधिकारियों की एक टीम ने पिछले दिनों केरल का दौरा किया और अंतरिम राहत के तौर 100 करोड़ रुपए देने की घोषणा की. लेकिन राज्य सरकार ने तबाही की विभीषिका को देखते केंद्र सरकार से 1,220 करोड़ की मांग रखी थी हालांकि तब तक राज्य को 8,316 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा चुका था.

केरल में आई प्रलंयकारी बाढ़ में अब तक 357 लोग मारे गए हैं (फोटो: पीटीआई)

12 अगस्त तक मानसून के कहर से 37 लोगों की मौत हो गई थी और 30,000 हजार लोग बेघर हुए थे. इस समय तक राज्य के 14 जिलों में से आधे ही बाढ़ से प्रभावित थे. राजनाथ सिंह और उनके साथ गई केंद्रीय टीम ने उसी दौरान राज्य का दौरा किया था. लेकिन उसके बाद से राज्य की स्थिति और बिगड़ती चली गई है. अब लगभग पूरा राज्य बाढ़ के पानी से जूझ रहा है. हर बीतते दिन के साथ यहां मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. बाढ़ से मरनेवालों की संख्या 174 तक पहुंच चुकी है और आने वाले समय में इसके और भी बढ़ने की संभावना है. बाढ़ ने लगभग 3,15,000 लोगों का आसरा छीन लिया है.

राज्य को केंद्र सरकार से अच्छे खासे राहत पैकेज की उम्मीद

पूर्व मुख्य सचिव सीआर रामचंद्र नायर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद है. उनका कहना है कि पीएम मोदी जब बाढ़ से राज्य में हुई भीषण तबाही को देखेंगे तो वो खुद ही पूर्व की मान्य परंपराओं से ऊपर उठकर, राज्य को इस संकट से निकलने के लिए अच्छे-खासे पैकेज की घोषणा करेंगे. नायर का कहना है कि लोगों को इस बार की बाढ़ की भयावहता का अंदाजा है और लोग मुख्यमंत्री राहत कोष में उदारता के साथ दान कर रहे हैं. नायर ने कहा कि 'पूरा राज्य तबाह हो गया है. राज्य को वापस पटरी पर लाने के लिए भारी राशि की आवश्यकता है. इन पैसों के सहारे ही प्रभावित लोगों की मदद की जा सकती है जिससे कि वो वापस अपनी दिनचर्या में लौट सकें और अपने तबाह हो चुके आशियाने को दोबारा खड़ा कर सकें.'

उनका कहना है कि केरल जैसे छोटे राज्य के पास संसाधनों की कमी है और बिना मदद के उन संसाधनों को एकजुट करना बहुत मुश्किल काम है. बाढ़ की वजह से राज्य को राजस्व इकट्ठा करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. बाढ़ ने राज्य की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है और लगभग सभी क्षेत्रों में इससे काफी नुकसान पहुंचा है जिसमें पर्यटन और कृषि भी शामिल है. पर्यटन से राज्य को अच्छी-खासी कमाई होती है लेकिन बाढ़ की वजह से यह चौपट हो चुकी है. बाढ़ से तबाह हो चुके किसान और छोटे व्यापारियों के सामने बड़ी समस्या है. यह लोग बिना अपने नुकसान की भारपाई किए हुए सरकार को टैक्स देने में सक्षम नहीं हो पाएंगे.

केरल में आई भीषण बाढ़ का जायजा लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: पीटीआई)

नायर का कहना है कि सरकार इस तरह की भीषण प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को टैक्स देने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. वित्त मंत्रालय पीड़ित लोगों पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ नहीं डाल सकता, खासकर उस समय जिस समय उन्हें इस संकट की घड़ी से उबरने के लिए सरकार से सहारे की आस लगी हो.

सामान्य रुप से सरकार किसी भी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित पीड़ितों को मुआवजा देती है. यह मुआवजा उसके नुकसान के आधार पर तय किया जाता है. लेकिन इस विकट स्थिति में बाढ़ से केवल, सामानों के ही नुकसान का आकलन नहीं किया जा सकता. लाखों लोग बाढ़ में कई दिनों से फंसे हुए हैं. बिना खाना, पानी और जरुरी दवाओं के लोग पूरे राज्य में जगह-जगह फंसे हुए हैं. ऐसे बाढ़ प्रभावित लोग मानसिक रुप से टूट चुके हैं. डॉक्टरों का मानना है कि इस त्रासदी से उबरने के लिए उन्हें मानसिक मजबूती की भी जरुरत पड़ेगी. मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य पर बाढ़ कितना प्रभाव डालती है इसका पूरा आकलन बाढ़ का पानी कम होने पर ही किया जा सकता है.

बाढ़ के संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार के सामने युद्ध जैसे हालात 

स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों का मानना है कि बाढ़ के पानी के घरों और आसपास की जगहों में घुस जाने से महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है. जल जनित और वायु जनित रोगों के फैलने से सरकार की परेशानियां और बढ़ जाएंगी. डॉ. अरुण ओम्मन के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो सरकार के सामने बाढ़ के बाद फिर से एक बार युद्ध जैसे हालात पैदा हो जाएंगे और उन्हें उसका मुकाबला करना पड़ेगा. वैसे राज्य में लोग पहले से ही मानसून शुरू होने के साथ ही कई गंभीर बीमारियों से जूझने लगे थे. डॉ. ओम्मन के मुताबिक इस बार की बाढ़ भयावह है और बाढ़ का पानी उतरने के बाद किस तरह से स्वास्थ्य से जुड़े मामले सामने आते हैं, इसका पता तो समय आने पर ही चल पाएगा.

बाढ़ संकट पर केरल के मुख्यमंत्री और अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक करते हुए प्रधानमंत्री

वैसे इस त्रासदी से निपटने के लिए जितनी राशि की जरुरत है और जितना केंद्र सरकार ने देने का वादा किया है उन दोनों आंकड़ों में जमीन-आसमान का अंतर है. साइक्लोन ओखी जब केरल के तट पर टकराया था तो मछुआरों और तटीय इलाकों में रहने वालों को काफी नुकसान हुआ. केरल सरकार ने ओखी चक्रवात से हुए नुकसान को देखते हुए पीड़ितों और तटों के पास ध्वस्त हुए इंफ्रास्ट्रक्चर की मरम्मत के लिए केंद्र से 742 करोड़ रुपए की मांग रखी थी लेकिन केंद्र ने केवल 194 करोड़ रुपए दिए थे. पहले भी प्राकृतिक आपदाओं के समय केंद्र सरकार से कुछ इसी तरह से केरल को सहायता मिली है.

पूर्व मुख्य सचिव के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपदाओं के समय मदद मांगते वक्त राज्य की तरफ से नुकसान का आंकड़ा बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है. केंद्र भी इस बात को समझता है ऐसे में राज्य की ओर से मांगी जाने वाली राशि को वो अपने हिसाब से काट-छांट कर के राज्य को देता है.

केंद्र सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए और राज्यों को सहायता देने के लिए वर्ष 2015 से वर्ष 2020 तक के लिए एक नियम तय किया है. इसके अंतर्गत सभी राज्यों को अलग से स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड बनाने को कहा है. इसके गठन में सामान्य राज्यों को 75 प्रतिशत और विशेष सहायता प्राप्त राज्यों को 90 फीसदी राशि केंद्र सरकार के तरफ से मिलती है. बाकी की राशि का इंतजाम राज्यों को खुद करना होता है.

आपदा बड़ी होने पर नेशनल रिलीफ डिजास्टर फंड का उपयोग किया जाएगा

केरल सरकार के द्वारा केंद्र से सहायता मांगे जाने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर के कहा है कि तय नियमों के अनुसार सबसे पहले एसडीआरएफ की तरफ से राहत पहुंचाने का काम किया जाएगा और अगर आपदा बड़ी हो तो नेशनल रिलीफ डिजास्टर फंड का उपयोग किया जाएगा.

केरल में आई बाढ़ को बीते सौ वर्षों में यहां आई सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा करार दिया जा रहा है (फोटो: पीटीआई)

एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के तरफ से मिलने वाली वित्तीय सहायता आपदाओं में राहत पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है न कि इसका इस्तेमाल नुकसान के मुआवजे के लिए किया जाता है. अगर स्वीकृत नियमों या सामनों पर अतिरिक्त कोई खर्च होता है तो उस राशि का इतंजाम राज्य सरकार को अपने संसाधनों से करना पड़ता है.

वर्ष 2018-19 के लिए केरल सरकार को आपदा राहत कोष के लिए 320 करोड़ रुपए दिए गए हैं. उसी तरह से 2018-19 के लिए एसडीआरएफ के लिए 214 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है. इस राशि में केंद्र सरकार का योगदान 160.50 करोड़ रुपए का है जबकि राज्य सरकार का योगदान 53.50 करोड़ रुपए है.

एसडीआरएफ के लिए प्रस्तावित राशि में से केंद्र सरकार के हिस्से की 80.25 करोड़ रुपए की पहली किश्त इसी साल 20 जुलाई को जारी की गई है जबकि इस दौरान राज्य सरकार की हिस्सेदारी 26.75 करोड़ रुपए की थी. एसडीआरएफ की दूसरी किश्त में केंद्र सरकार की तरफ से इस महीने की 10 तारीख को 80.25 करोड़ जारी किए गए हैं जबिक इस दौरान भी राज्य की भागीदारी 26.75 करोड़ रुपए की है.

मंत्रालय का कहना है कि आपदाओँ के मौके पर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के तहत मिलने वाली राशि राहत के लिए है न कि नुकसान की भारपाई के लिए. मंत्रालय के मुताबिक इसके अतिरिक्त कुछ खर्च किया जाता है तो इसकी भारपाई राज्य सरकार को खुद अपने संसाधनों से करनी पड़ेगी.

मेमोरेंडम में क्षेत्रवार और विषयवार नुकसान का विवरण रहता है

हालांकि अगर प्राकृतिक आपदा नोटिफाइड हो तो, तय मान्यता के अनुसार राज्य सरकार को उससे संबंधित एक विस्तृत मेमोरेंडम तैयार कर के केंद्र सरकार को सौंपना पड़ता है. इस मेमोरेंडम में क्षेत्रवार और विषयवार नुकसान का विवरण रहता है साथ ही में तत्काल राहत कार्यों के लिए कितनी राशि की आवश्यकता होती है यह भी उसमें बताया जाता है.

भारी बारिश से इडुक्की डैम में इतना पानी भर गया कि बीते 26 साल में पहली बार उसके सभी गेट खोलकर पानी छोड़ना पड़ा

राज्य सरकार की ओर से मेमोरेंडम प्राप्त होने के बाद एक अंतर मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आइएमसीटी) को नुकसान का आकलन करने के लिए नियुक्त किया जाता है. यह टीम प्रभावित जगह पर जाकर नुकसान का आकलन करने के साथ साथ अतिरिक्त राशि की जरुरतों पर भी विचार करती है.

आइएमसीटी की रिपोर्ट पर नेशनल एक्जीक्यूटिव कमिटी की सब कमिटी विचार करती है. इस कमिटी का नेतृत्व केंद्रीय गृह सचिव करते हैं. इसके बाद यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्री के नेतृत्व वाली हाई लेवल कमिटी के पास भेजी जाती है. यहीं पर यह तय होता है कि एनडीआरएफ के अतिरिक्त और कितनी अतिरिक्त मदद की आवश्यकता है.

मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इस मामले में केरल सरकार की तरफ से सौंपे गए प्रारंभिक मेमोरेंडम में 831.10 करोड़ रुपए की मांग की गई थी. इस मांग के प्राप्त होते ही तत्काल रुप से 25 जुलाई को ही आइएमसीटी का गठन कर दिया गया था.

आइएमसीटी ने बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का दौरा 7-12 अगस्त तक किया था. तय नियम के मुताबिक आइएमसीटी की रिपोर्ट के प्राप्त होने के बाद इसे व्यवस्थित कर के एससी-एनईसी के सामने पेश किया जाएगा और उसके बाद अंतिम रुप से मंजूरी मिलने के लिए हाई लेवल कमिटी के सामने प्रस्तुत किया जाएगा.

हालांकि राज्य राहत आपदा कोष में पर्याप्त राशि उपलब्ध है इसके बावजूद केंद्रीय गृह मंत्री ने राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से 100 करोड़ रुपए की राशि एडवांस के तौर पर जारी करने की घोषणा कर दी है. मंत्रालय का कहना है कि प्रभावित लोगों तक तत्काल राहत पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया गया है.

(फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार बाढ़ की स्थिति में केरल सरकार को हर संभव मदद दे रहा है

मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इस मामले में केंद्र सरकार केरल सरकार को हर संभव मदद दे रहा है. केंद्र की ओर से राज्य सरकार को लॉजिस्टिक्स, वित्तीय और अन्य सुविधाएं मुहैया करायी जा रही हैं जिससे कि राज्य सरकार इस विकट स्थिति से जूझ रहे पीड़ित नागरिकों तक सहायता उपलब्ध करा सके.

हालांकि सरकार और विपक्ष दोनों का यह मानना है कि केंद्र सरकार से तय नियम और शर्तों के मुताबिक मिलने वाली मदद राशि राहत कार्यों और पुनर्वास के लिए कम पड़ेगी. पूर्व मुख्य सचिव नायर कहते हैं कि राज्य अभी जिस तरह की प्रलयंकारी बाढ़ का सामना कर रहा है वैसी स्थिति का सामना इस शताब्दी में केरल को नहीं करना पड़ा है, ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि वो मौके की नजाकत को समझते हुए राज्य को मदद करने का एलान करे.