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नारीवादी सिद्धांतों ने हदें पार की, नहीं चलेगा चर्च में महिलाओं का अपराध कबूलनामा: केरल BJP

केरल में राष्ट्रीय महिला आयोग ने चर्च में महिलाओं के अपराध कबूलने की रिवाज को खत्म करने की सिफारिश की है. अपराध कबूलनामा चर्च के सात संस्कारों में एक है

FP Staff

केरल के बीजेपी नेता जॉर्ज कुरियन ने राष्ट्रीय महिला आयोग के उस प्रस्ताव का विरोध किया है जिसमें चर्च के अंदर महिलाओं के अपराध कबूलने (स्वीकारोक्ति) पर पाबंदी लगाने की बात कही गई है.

कबूलनामे पर प्रतिबंध के प्रस्ताव को कुरियन ने नारीवादी विचारों का हदें पार कर जाना बताया और कहा है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) को ऐसे प्रस्ताव की कतई इजाजत नहीं देनी चाहिए. कुरियन खुद भी एनसीएम के उपाध्यक्ष हैं.


केरल में राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्लू) ने चर्च में महिलाओं के अपराध कबूलने की रिवाज को खत्म करने की सिफारिश की है. अपराध कबूलनामा चर्च के सात संस्कारों में एक है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, हाल में केरल के चर्च में उजागर सेक्स कांड की रिपोर्ट दाखिल करने के बाद एनसीडब्लू ने माना है कि कबूलनामे की प्रथा महिलाओं की सुरक्षा में आड़े आ रही है.

एनसीडब्लू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि आयोग ने इन दोनों घटनाओं की जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराए जाने की मांग की है. सेक्स कांड की पहली घटना में मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के चार पादरी फंसे हैं, जबकि दूसरी घटना में जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर दुष्कर्म का आरोप लगा है.

सेक्स कांड की पीड़ित महिलाओं से मिलने के बाद आयोग ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है जिसे गृह मंत्रालय, केरल और पंजाब सरकार को भेजने की तैयारी है. शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, हमने सिफारिश की है कि चर्च में अपराध कबूलनामा खत्म किया जाना चाहिए क्योंकि पादरी इसका दुरुपयोग करते हैं. कई महिलाएं इसे भुगत रही हैं. महिलाओं को अपनी निजी जिंदगी आखिर क्यों पादरियों से शेयर करनी चाहिए?

शर्मा ने आगे कहा, कई चर्च शादी और बच्चों के धर्मांतरण के लिए कबूलनामे को अनिवार्य बताते हैं. मगर कई महिलाएं ऐसी हैं जो सामाजिक दबाव को सहन नहीं कर पातीं.