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कठुआ कांड: सालभर बाद भी खत्म नहीं हुआ शिकार बच्ची के परिवार का डर और दर्द

अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय की इस बच्ची का मामला पंजाब के पठानकोट की एक अदालत में अंतिम चरण में है

Bhasha

जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में साल भर पहले आठ साल की जिस लड़की का आज के दिन शव मिला था उसकी खबरें अब भले हीं सुर्खियों में न हो, लेकिन उसके परिजनों का डर बरकरार है और उनके दुख का अंत होता नहीं दिखता.

अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय की इस बच्ची का मामला पंजाब के पठानकोट की एक अदालत में अंतिम चरण में है. आठ साल की लड़की को घोड़ों को चराते समय कथित रूप से अगवा करने के बाद एक मंदिर में बंधक बना सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या


कर दी गई थी.

कठुआ के गांव के इस मंदिर के संरक्षक और दो पुलिसकर्मियों समेत आठ लोगों को इस अपराध में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया गया था. इस अपराध ने पूरे देश को हैरान कर दिया था. हालांकि समाज सांप्रदायिक आधार पर बंट गया था.

वैसे कानून अपना काम करता है और दुनिया शुरुआती झटके के बाद आगे बढ़ जाती है लेकिन यह परिवार अब भी सदमे में है और उसके रोजमर्रा की जिंदगी पर इसका साया बरकरार है.

बच्ची के पिता ने कहा, 'हम अब भी सदमे में हैं.' यह परिवार अपने गांव लौट आया है लेकिन अब भी सामान्य स्थिति दूर की बात बनी हुई है. गर्मी के दिनों में परिवार कश्मीर में ऊंचाई वाले इलाके में चला जाता है.

बच्ची के पिता ने कहा, 'निरंतर डर बना हुआ है और मैं अपने बच्चों को बाहर नहीं भेजता हूं. वे घर में रहते हैं....जो कुछ हुआ, उसके बाद, मैं अपने दूसरे

बच्चों को कैसे भेज सकता हूं.' उसने कहा कि फैसले के लिए उसकी बेसब्री कायम है.

उसने कहा, 'हमने अपनी लड़की खोई है और मैं उम्मीद करता हूं कि किसी भी मां-बाप को कभी ऐसे दर्द से न गुजरना पड़े.' यह मामला कई उतार चढ़ाव से गुजरा. जिला पुलिस ने मुख्य आरोपी को बचाने के लिए मामले में लीपापोती की कोशिश की लेकिन अपराध शाखा सामने आई और उसने इस भयावह अपराध का सिलसिलेवार ब्योरा देते हुए आरोपपत्र दायर किया.

अधिकारियों के अनुसार अभियोजन पक्ष पठानकोट की सत्र अदालत में सबूत पेश करने के साथ अपनी गवाही पूरी करा चुका है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर

यह सत्र अदालत मामले की सुनवाई कर रही है.

कठुआ सामूहिक बलात्कार हत्याकांड से चर्चित यह मामला उस चरण में पहुंच गया है जहां आरोपियों को आरोप पढ़कर सुनाए जाएंगे और तब बचाव पक्ष को

अंतिम तौर पर अपनी बातें रखने का मौका दिया जाएगा.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल मई में इस मामले को पठानकोट स्थानांतरित कर दिया था क्योंकि जम्मू कश्मीर सरकार और कुछ वकीलों ने कठुआ में निष्पक्ष

सुनवाई नहीं होने की आशंका प्रकटते हुए उसे स्थानांतरित करने की मांग की थी.

अपराध शाखा ने आठ लोगों, मंदिर के संरक्षक और मुख्य आरोपी सांजी

राम, उसके बेटे विशाल, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया उर्फ दीपू, सुरिंदर वर्मा, परवेश कुमार उर्फ मन्नू, हेड कांस्टेबल तिलक राज और उपनिरीक्षक अरविंद दत्त को गिरफ्तार किया था. सांजी राम के भतीजे को भी गिरफ्तार किया गया था. उसकी सुनवाई अबतक शुरु नहीं हो पाई है क्योंकि पुलिस 18 साल से कम उम्र के होने के उसके दावे का प्रतिवाद कर रही है.

आरोपपत्र के अनुसार बच्ची को 10 जनवरी को अगवा किया था, 14 जनवरी को उसे मार डाला गया था और 17 जनवरी को उसका शव मिला था. उसे नशे की हालत में देवीस्थान में रखा गया और बार बार उस पर यौन हमला किया गया, फिर उसकी हत्या कर दी गई.

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