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कठुआ केस: पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए पीड़िता के कपड़े थाने में ही धो डाले

इस बलात्कार और हत्याकांड की जांच की जिम्मेदारी शुरू में जम्मू पुलिस के जिन दो पुलिसकर्मियों को सौंपी गयी थी उनकी भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध रही है.

Sameer Yasir

देश भर में कठुआ बलात्कार कांड की गूंज सुनाई दे रही है. इस मामले में जो नए खुलासे सामने आ रहे हैं उससे पता चल रहा है कि घटना के आरोपियों को बचाने में खुद जम्मू पुलिस के पुलिसकर्मी जुटे हुए थे. इस बलात्कार और हत्याकांड की जांच की जिम्मेदारी शुरू में जम्मू पुलिस के जिन दो पुलिसकर्मियों को सौंपी गयी थी उनकी भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध रही है.

इन दोनों पुलिसकर्मियों ने 8 वर्षीय मासूम बच्ची की हत्या के बाद उसका शव मिलने पर इस घटना के सुबूत मिटाने की कोशिश की थी. इन दोनों ने पीड़िता की हत्या के बाद उसके कपड़े को थाने में ही धो दिया था.


हीरानगर थाने में तैनात सब इंसपेक्टर आनंद दत्ता के कहने पर हेड कांस्टेबल तिलक राज ने पीड़िता की हत्या के बाद उसकी बैंगनी फ्रॉक को उसी थाने में तब तक धोया जब तक कि वो बिल्कुल साफ नहीं हो गयी. इस हत्याकांड में पीड़िता का फ्रॉक आरोपियों को सजा दिलाने में अहम कड़ी साबित हो सकता था.

क्राइम ब्रांच के आईजी सैयद अफहद-उल-मुजतबा के मुताबिक इन दोनों पुलिसकर्मियों ने आरोपियों को बचाने के लिए और इस घटना के अहम सुबूत नष्ट करने करने के लिए ऐसा किया था और उन्हें इसके एवज में आरोपियों की तरफ से डेढ़ लाख रुपए दिए गए थे.

इस मामले में इन दोनों के अलावा अभी तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें स्पेशल पुलिस आफिसर्स दीपक खजुरिया और सुरेंद्र कुमार भी शामिल हैं. आईजी मुजतबा के मुताबिक लड़की की मौत के बाद उसके शव पर मौजूद कपड़ों के लिए गए फोटोग्राफ और जब उन कपड़ों को जांच के लिए जम्मू के फोरेंसिक लैब में भेजा गया तो दोनों के रंगों में काफी अंतर था.

आईजी मुजतबा के मुताबिक जम्मू के फोरेंसिक लैब ने क्राइम ब्रांच को खत लिखकर बताया कि जो फ्रॉक उन्हें जांच के लिए भेजी गयी थी वो बिल्कुल साफ थी, उस पर जरा भी मिट्टी नहीं लगी हुई थी और ऐसा लग रहा था कि उस फ्रॉक को कुछ दिनों पहले ड्राई क्लीन किया गया था.

मुजतबा ने इस संवाददाता को बताया कि लैब वालों ने उनसे पूछा कि क्या वो उन पुलिसवालों से मिल सकते हैं जिन्होंने इस मामले की जांच की और कैसे उन्होंने लापरवाही से वो ड्रेस पैक की और सील की.

दीपक खजुरिया

मुजतबा ने बताया कि स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजुरिया जिसको पीड़िता के साथ दो बार बलात्कार करने का आरोपी बनाया गया है उसने शुरू के 15 मिनट में ही पुलिस के लगातार सवाल करने के दौरान ही उसने जांचकर्ताओं को बता दिया कि उसने हेड कांस्टेबल तिलक राज को पीड़िता के कपड़े साफ करते हुए देखा था. बाद में पता चला कि तिलक राज ने ऐसा दत्ता के आदेश पर किया था.

जांचकर्ताओं को जांच के दौरान पता चला कि उस नाबालिग लड़की के कपड़े पुलिस थाने के अंदर ही धोए गए थे और ऐसा पीड़िता की बॉडी मिलने के कुछ दिनों बाद किया गया था. मुजतबा के मुताबिक तिलक राज से जब इस बारे में पुछताछ की गयी तो उसने स्वीकार कर लिया कि उसने उस बच्ची के कपड़े धोए थे. उसने 10-15 मिनट के सवाल जवाब के दौरान ये भी बताया कि ऐसा उसने सब इंस्पेक्टर दत्ता के कहने पर किया था.

पिछले सोमवार को कोर्ट के सामने क्राइम ब्रांच की तरफ से दायर की गई चार्जशीट में ये दावा किया गया है कि इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड सांजी राम है और उसने पहले ही आरोपी पुलिसकर्मियों को अपने विश्वास में ले लिया था. सांजी ने आरोपी पुलिसकर्मियों से एक डील फिक्स कर ली थी जिसके मुताबिक आरोपी पुलिसकर्मियों को जांच के दौरान सब चीजों को ठीक रखने की जिम्मेदारी दी गई थी जिससे की उनकी योजना पर कोई आंच ना आए और वो योजना सफल हो सके.

आरोपी तिलक राज जो कि खुद भी सर्च पार्टी का हिस्सा था उसने सांजी राम को गोशाला के कोने में ले जाकर उसे समझाया कि इस मामले को रफा-दफा करने के लिए उसे जांचकर्ताओं को जरूरी पेमेंट करना पड़ेगा. चार्चशीट के मुताबिक तिलक राज ने सांजी को बताया कि उसे और अन्य आरोपियों को इस मामले में कानून से बचाने और आगे खोजबीन न करने की एवज में उसे सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता को रुपए देने ही पड़ेंगे.

चार्जशीट के मुताबिक सब इंसपेक्टर आनंद दत्ता और हेड कांस्टेबल तिलक राज ने जानबूझ कर जांच के लिए महत्वपूर्ण सुबूतों की अनदेखी करते हुए उसे इकट्ठा नहीं किया. इसी वजह से उन दोनों पुलिसकर्मियों ने आरोपियों को बचाने के लिए पीड़िता के कपड़ों को धो दिया.

इसके साथ ही सांजी राम ने तिलक राज को अपने घर में डेढ़ लाख रुपए की एक किश्त सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता के लिए दी. उसी तरह से आंनद दत्ता ने भी पैसे लेने के बाद जांच मे लापरवाही बरती. दत्ता ने पीड़िता का ब्लड सैंपल भी कठुआ के डिस्ट्रिक्ट अस्पताल में ऑटोप्सी के दौरान बोर्ड ऑफ डॉक्टर्स से नहीं मांगा.

पुलिस ने इस मामले में शामिल चारों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है जिसमें दो स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स दीपक खजुरिया और सुरेंद्र कुमार भी शामिल हैं. लेकिन अभी ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि इन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया है कि नहीं. इस संबंध में जानकारी के लिए प्रदेश के डीजीपी को कई बार कॉल किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.

प्रतीकात्मक तस्वीर

इस बीच पुलिसकर्मी दत्ता और राज जो कि हीरानगर पुलिस स्टेशन में तैनात थे उन्हें भी इस मामले के अन्य आरोपियों को कठुआ जेल में रखा गया है और उनपर चार्जशीट में सुबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया है. इस चार्चशीट में खजुरिया और सुरेंद्र कुमार को सांजी राम के साथ अपराध में सहभागिता बरतने का आरोप लगाया गया है जबकि सांजीराम को इस पूरे घटनाक्रम का रिंग लीडर बताया गया है.

प्रस्तुत है इस संवाददाता के साथ क्राइम ब्रांच के आईजी मुजतबा के बाचचीत के अंश

प्रश्न- आपने इस पूरे प्रकरण में पुलिसकर्मियों की भूमिका को कैसे उजागर किया ?

उत्तर- जब पीड़िता का शव मिला तो उस समय उसके कुछ फोटोग्राफ्स लिए गए थे. उस फोटो में साफ नजर आ रहा था कि कपड़े में काफी मिट्टी लगी हुई है. लेकिन जब वो फ्रॉक पुलिस के द्वारा फोरेंसिक लैब में भेजी गयी तो वो बिल्कुल साफ थी. लैब ने भी इसी तरह की जानकारी पुलिस को दी.

प्रश्न- उसके बाद आपने क्या किया ?

उत्तर- हमने पुलिस से पूछा कि क्या हम उन पुलिसकर्मियों से मिल सकते हैं जिन्होंने इस मामले की जांच की. हम ये जानना चाहते थे कि उन्होंने वो ट्रेस कैसे सील की थी और कैसे फोरेंसिक लैब को भेजी थी. जब तिलक राज वहां पहुंचा तो 10-15 मिनट के निरंतर सवाल जवाब के दौरान ही उसने बता दिया कि उसने पुलिस स्टेशन के भीतर ही उस कपड़े को धो दिया था. इसके बाद ही साजिश की पूरी जानकारी हम लोगों के सामने आ गयी.

प्रश्न- सबसे पहले आपने किस को गिरफ्तार किया ?

उत्तर- पुलिस ने केवल एक आदमी को इस मामले में गिरफ्तार किया था और वो भी नाबिलग था. जब उसे गिरफ्तार किया गया तो उसने भी वही सब कहानी सुनाई. उसे शाम में घर भेज दिया गया क्योंकि वो नाबालिग था. एक दिन उसने पूछताछ के दौरान हमें बताया कि क्यों उसी से बार बार पूछताछ की जा रही है दीपक खजुरिया से पुलिस क्यों नहीं पूछ रही? इसके बाद हमें दीपक खजुरिया से सब कुछ उगलवाने में ज्यादा समय नहीं लगा. दीपक ने पुलिस के सामने कुबूल किया कि उन लोगों ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था.

प्रश्न- आपने किस क्रम में गिरफ्तारी की ?

उत्तर- सबसे पहले हमने नाबलिग को गिरफ्तार किया. उसके बाद एसपीओ खजुरिया और कुमार और उसके बाद तिलक राज को गिरफ्तार किया. तिलक के बाद इस मामले में रिश्वत लेने वाले सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता को हमने पकड़ी. उसके बाद सांजी के बेटे विशाल जसगोत्रा और आखिर में सांजी राम को गिरफ्तार किया. चार्जशीट के मुताबिक ये अपराध पूर्व राजस्व अधिकारी सांजी राम के द्वारा योजना बना कर अंजाम दिया गया था जो कि खानाबदोश बकरवाल समुदाय को कठुआ के रसाना इलाके से बाहर कर देना चाहता था.