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कठुआ रेप: आरोपियों का केस मुफ्त नहीं लड़ेंगे वकील, BAK ने प्रस्ताव वापस लिया

बार एसोसिएशन कठुआ ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद कहा, 'हमने इस मामले में मुफ्त में मुकदमा लड़ने के प्रस्ताव को वापस ले लिया है'

Bhasha

बार एसोसिएशन कठुआ ने 8 साल की बच्ची के साथ रेप और उसकी हत्या मामले के 8 आरोपियों का मुफ्त में मुकदमा लड़ने का अपना प्रस्ताव वापस ले लिया है.

शनिवार को बार एसोसिएशन का यह फैसला उस वक्त आया जब एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया को बाधित करने की वकीलों की कोशिश पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए कहा था कि इस तरह से बाधा डालने से न्याय व्यवस्था प्रभावित होती है.


शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए कहा था कि बार एसोसिएशनों का यह कर्तव्य है कि आरोपियों या पीड़ित परिवारों की पैरवी करने वाले वकीलों के काम में बाधा नहीं डाली जाए.

बार एसोसिएशन कठुआ (बाक) के अध्यक्ष कीर्ति भूषण ने कहा, ‘हमने इस मामले में मुफ्त में मुकदमा लड़ने के प्रस्ताव को वापस ले लिया है. आरोपी किसी भी व्यक्ति की सेवा लेने और अदालत में अपना बचाव करने के अधिकार का इस्तेमाल करने को स्वतंत्र है.’

क्या है यह पूरा ममाला?

इसी साल 10 जनवरी को कठुआ में 8 साल की बच्ची के अपहरण के मामले में उसके घरवालों ने एफआईआर दर्ज कराई थी. इसके 7 दिन बाद बच्ची का शव जंगल से बरामद किया गया था. 23 जनवरी को यह केस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया मगर इस मामले ने 9 अप्रैल को तब तूल पकड़ लिया जब कठुआ बार ऐसोसिएशन के वकीलों ने इसमें चार्जशीट दाखिल करने का विरोध किया और 10 अप्रैल को जम्मू बंद बुलाया.

इसके बाद इस मामले में सीबीआई जांच की मांग उठने लगी. आरोपियों को बचाने की कोशिश में पूरे जम्मू-कश्मीर में झंडा लेकर प्रदर्शन किया गया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बार एसोसिएशन को कानूनी कामों में बाधा डालने के लिए फटकार लगाई. जिसके बाद बार एसोसिएशन ने आरोपियों के केस फ्री में लड़ने के अपने प्रस्ताव को वापस ले लिया.