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रेप पर फांसी की सजा की मांग: सख्त कानून से ज्यादा जरूरी है कानून का सख्ती से पालन

कानून के जानकारों का मानना है कि अगर रेप के दोषियों को सजा दिलानी है तो फांसी की सजा इस मकसद को पूरा नहीं करेगी

Aparna Dwivedi

कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस मामले में 8 लोगों को आरोपी बनाया गया है और कानूनी प्रक्रिया चल रही है. इसके अलावा उन्नाव में भी 17 साल की बच्ची ने मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्महत्या की कोशिश की. उसने वहां के विधायक कुलदीप सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाया था. सेंगर फिलहाल जेल में बंद हैं. बलात्कार की घटनाओं के बाद लोगों का गुस्सा उबाल पर है और बलात्कार पर फांसी की सजा की मांग की जा रही है.

2012 में निर्भया बलात्कार कांड के बाद महिलाओं के प्रति यौन शोषण के मामले पर एक बार फिर चर्चा उठी थी. लोगों का गुस्सा देख सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर चीफ जस्टिस जे. एस. वर्मा की अगुवाई में कमीशन का गठन किया था और उनसे बलात्कार कानून में बदलाव को लेकर सिफारिश देने को कहा. वर्मा कमीशन की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने नया एंटी बलात्कार लॉ बनाया. इसके लिए आईपीसी और सीआरपीसी में तमाम बदलाव किए गए. इसके तहत सख्त कानून बनाए गए. कई नए कानूनी प्रावधान किए गए.


बलात्कार और सामूहिक बलात्कार जैसे अपराध के लिए जो नए सख्त कानून बनाए गए हैं, उसके मुख्य बातें कुछ इस तरह हैं-

- बलात्कार की परिभाषा को अब विस्तृत कर दिया गया है. 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ उसकी मर्जी या मर्जी के खिलाफ संबंध बलात्कार माना जाएगा.

- आईपीसी की धारा-375 के तहत बलात्कार के दायरे में जबरन शारीरिक संबंध बनाना या अप्राकृतिक संबंध बनाना, ओरल सेक्स आदि को रखा गया है. साथ ही प्राइवेट पार्ट के पेनेट्रेशन के अलावा किसी अन्य चीज के पेनेट्रेशन को भी इस दायरे में रखा गया है.

- बलात्कार के वैसे मामले जिसमें पीडि़ता कोमा में चली जाए या जख्मी होने के कारण उसकी मौत हो जाए, इसके लिए आईपीसी की धारा 376-ए का प्रावधान किया गया है जिसमें कम से कम 20 साल और ज्यादा से ज्यादा जीवन भर के लिए उम्रकैद या फिर फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है.

- गैंग बलात्कार के लिए आईपीसी की धारा 376-डी का प्रावधान किया गया है इसके तहत कम से कम 20 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद (मरते दम तक) की सजा का प्रावधान किया गया है. अगर इस दौरान पीड़िता कोमा में चली जाए या उसकी मौत हो जाए तो अधिकतम फांसी की सजा लागू होगी.

- सीरियल रेपिस्ट के लिए आईपीसी की धारा 376-ई का प्रावधान किया गया है, इसके तहत उम्रकैद जिसमें जीवन भर के लिए कैद या फिर फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है.

- पहले छेड़छाड़ के लिए आईपीसी की धारा-354 के तहत केस दर्ज होता था और यह जमानती अपराध था, लेकिन अब आईपीसी में छेड़छाड़ के अपराध में सजा के दायरे को बढ़ा दिया गया है और आईपीसी की धारा-354 में कई सब-सेक्शन बनाए गए हैं. इनमें कई प्रावधान गैरजमानती कर दिए गए हैं.

- गलत तरीके से महिला को छूने के मामले में आईपीसी की धारा-354 का प्रावधान है, इसमें 3 साल तक कैद की सजा हो सकती है.

- अगर किसी महिला के खिलाफ बल प्रयोग कर उसे निर्वस्त्र किया जाता है तो आईपीसी की धारा 354-बी के तहत 3 साल से 7 साल तक कैद की सजा का प्रावधान किया गया है.

- आईपीसी की धारा 354-सी के तहत वोयरिज्म (अश्लील हरकत देखकर आनंदित) के मामले में पीड़िता की शिकायत पर एक साल से लेकर 3 साल तक कैद की सजा का प्रावधान कर दिया गया है.

- स्टॉकिंग यानी जानबूझकर किसी का पीछा करना, ऐसा कर उसकी मानसिक शांति में खलल डालना (इसके लिए फोन, ईमेल, इलेक्ट्रॉनिक या अन्य कोई भी माध्यम हो) के मामले में धारा 354-डी के तहत एक साल से लेकर 3 साल तक कैद की सजा का प्रावधान किया गया है.

- एसिड अटैक यानी धारा-326 में गंभीर तौर पर जख्मी करने का प्रावधान था. उसी में नया प्रावधान धारा 326-ए जोड़ा गया. ऐसे मामले में कम से कम 10 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया.

- ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानी मानव तस्करी के मामले में अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है.

इसके अलावा मध्यप्रदेश सरकार ने 12 साल तक की बच्ची से बलात्कार के मामले में एक ऐतिहासिक बिल को मंजूरी दी. इसके तहत 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के आरोपियों को फांसी की सजा दी जाएगी. यह सजा गैंगरेप वाले मामले में भी लागू होगी. नाबालिग से रेप और गैंगरेप के आरोपी को मृत्युदंड की सजा देने के विधेयक को मंजूरी देने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य बन गया है. इसके बाद राजस्थान और हरियाणा में भी ये कानून बनाया गया. अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस मामले में कानून में बदलाव की बात कही है.

गौरतलब बात है कि बलात्कार के मामले में मृत्युदंड की मांग काफी समय से उठ रही है. लोगों का मानना है कि कड़े फैसले ही इस तरह के अपराध पर रोक लगा पाएंगे. इसके अलावा फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस तरह के मामलों में त्वरित फैसले की भी मांग उठती रही है.

लेकिन फांसी का प्रावधान मकसद को ही कमजोर कर सकता है

कानून से जुड़े लोगों को मानना है कि हर कार्रवाई के पीछे सबूतों और साक्ष्यों की मांग होती है. आज की तारीख में बलात्कार के मामलों में पीड़ित महिला का बयान और परिस्थितिजन्य सबूत किसी भी आदमी को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त हैं. अगर पुलिस ने ठीक से पीड़ित महिला का बयान दर्ज किया हो तो अपराधी को सजा दिलाना काफी हद तक आसान हो जाता है. भारत में जितने बलात्कार के मामले दर्ज होते हैं उनमे से पिछले कुछ सालों में 25 से 27 फीसदी मामलों में सजा सुनाई गयी है. जबकि अगर हम कत्ल के मामलों में सजा का प्रतिशत देखें तो यह महज पांच से सात फीसदी है.

हाइकोर्ट से जुड़े पवन कुमार का मानना है कि जिस दिन आप बलात्कार में मृत्युदंड का प्रावधान कर देंगे उसी दिन आप 27 फीसदी मामलों को सात फीसदी मामलों की श्रेणी में डाल देंगे क्योंकि पुलिस वाले बलात्कार के हर मामले में हत्या के मामले जितने ही ठोस सबूत जुटा पाएं यह नामुमकिन है. 'रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर' अपराध घोषित कर किसी को फांसी देने के लिए तो चश्मदीद गवाहों की और दस्तावेजी सबूतों की जरूरत होगी. क्या किसी बलात्कार की शिकार महिला से यह उम्मीद की जा सकती है कि वो इस तरह से सबूत जुटा पायेगी या फिर इस तरह के सबूत जुटाने में पुलिस की मदद कर पायेगी?

आसान कानून का कड़ाई से पालन होगा तो इसके मुकदमे में इतना समय नहीं लगेगा. साथ ही पीड़िता को न्याय की उम्मीद जल्दी होगी. दूसरा सबसे बड़ा डर कि फांसी की सजा का प्रावधान हो गया तो क्या अपराधी बलात्कार के बाद हत्या करने की नहीं सोचेगा? ताकि, उसके खिलाफ शिकायत तक न दर्ज हो पाए.

इसके अलावा फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा इस तरह के मामले पर फटाफट कार्रवाई की बात भी कही गई है. आपको बता दें कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला सीधा नहीं जाता. मामला पहले मेट्रोपोलिटन या क्रिमिनल कोर्ट के पास फिर वहां से जिला कोर्ट के पास जाता है. इसे फास्ट ट्रैक में जिला कोर्ट का मुख्य जज डिस्ट्रिक्ट जज नामित करता है.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन ने कहा है कि लंबित मामलों में कमी करने के लिहाज से ये अदालतें कामयाब रही हैं. वहीं बैंगलोर के नैशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी में कानून के प्राध्यापक डॉक्टर वी नागराज कहते हैं, 'अगर आप आंकड़ों पर यकीन करते हैं तो इन अदालतों का रिकॉर्ड अच्छा रहा है. लेकिन इन अदालतों ने जो फैसले दिए हैं, उनकी गुणवत्ता के बारे में हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है.' जल्दबाज़ी में की गई सुनवाई से फ़ैसलों पर असर पड़ सकता है. भारत के विधि आयोग ने इस पर सटीक टिप्पणी दी है, 'एक ओर जहां देरी से मिला न्याय अन्याय है तो दूसरी तरफ जल्दबाजी में किया गया इंसाफ उसे दफन करने जैसा है.'

तो इसका उपाय क्या है?

वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता कोलिन गोंज़ाल्विस का मानना है कि कानून का सही तरीके से पालन, यानी राजनीति और समाज की दबंगई से परे पीड़िता को न्याय देने के लिए सही तरह से जांच और कार्रवाई ही इस समस्या को हल है. वैसे एक तथ्य ये भी है कि भारत में हर साल अलग-अलग मामलों में 130 मामलों में मौत की सजा सुनाई गई है हालांकि पिछले 17 सालों में केवल 3 लोगों को फांसी दी गई है.

विश्व में अलग-अलग देशों में क्या है बलात्कार कानून?

संयुक्त अरब अमीरत- बलात्कारी को सीधे मौत की सजा सुना दी जाती है. यूएई के कानून के अनुसार यदि कोई इस तरह का अपराध करता है तो उसे सात दिनों के अंदर ही फांसी की सजा सुना दी जाती है.

सऊदी अरब- यहां शरिया कानून लागू है. इसके मुताबिक रेप करने वाले को या तो फांसी पर टांग दिया जाता है या उसके गुप्त अंगों को काट दिया जाता है.

इराक- इस तरह के अपराध करने वाले को पत्थर से मारा जाता है. उसे तब तक पत्थर से मारा जाता है जब तक की उसकी मौत ना हो जाए.

चीन- मृत्यु दंड दिया जाता है. इस कानून के तहत रेप की सजा में कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है. साथ ही इस तरह के अपराध करने वाले को चीन में जल्द से जल्द सजा दे दी जाती है और मेडिकल जांच में प्रामणित होने के बाद मृत्यु दंड दे दिया जाता है.

इंडोनेशिया- बलात्कार करने वालों को नपुंसक बना दिया जाता है, इतना ही नहीं उनमें महिलाओं के हॉर्मोन्स डाल दिए जाते हैं.

अफगानिस्‍तान- बलात्‍कारी को चार दिन के भीतर ही सिर में गोली मारकर उड़ा दिया जाता है. कई बार उसे फांसी भी दे दी जाती है. क्‍या सजा देना है, यह अदालत पर निर्भर करता है.

फ्रांस- बलात्‍कारी को 15 साल की सजा सुनाई जाती है. अगर अपराध बहुत जघन्‍य है तो सजा को बढ़ाकर 30 साल कर दिया जाता है.

उत्‍तरी कोरिया- बलात्‍कारी को सामने खड़ा करके सिर में या उसके गुप्त अंगों में गोली मार दी जाती है.