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कश्मीर: अलग तरीके के प्रदर्शन से सरकार को घेर रहा छात्रों का नया संगठन

सरकार ने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए राज्य में उच्च शिक्षण संस्थानों को बंद करवा दिया है.

Sameer Yasir

कश्मीर घाटी में व्यापक रूप से जारी विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे छात्रों का कहना है कि वे सुरक्षा बलों की तरफ से कश्मीरी आवाम के खिलाफ जारी जघन्य और बर्बरतापूर्ण अभियान के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.

पिछले सोमवार को होने वाले विरोध-प्रदर्शनों के पीछे ऑल जम्मू ऐंड कश्मीर स्टूडेंट्स यूनियन (जेकेएसयू) का हाथ बताया जा रहा है. छात्र संगठन के सदस्यों का कहना है कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया गया था.


कश्मीर में कई सारे लोग जहां इस संगठन की गतिविधियों को लेकर सशंकित थे वहीं इस संगठन के नेतृत्वकारी सदस्यों का कहना है कि उनका किसी भी राजनीतिक संगठन अथवा विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है.

बाहर पढ़ने वाले छात्रों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ बना था संगठन

'हमने इस संगठन की स्थापना सन 2013 में तब की थी जब प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना के तहत वजीफे पर कश्मीर से बाहर पढ़ने वाले छात्रों पर जुल्म हो रहा था.' चंडीगढ़ से एमबीए की पढ़ाई करने वाले कश्मीरी छात्र तजामुल इमरान ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि 'हमलोग नेशनल कॉन्फ़्रेंस के जुनैद मट्टू से मिलते रहते हैं लेकिन हमारा उनसे कोई रिश्ता नहीं है. उनका छात्र संगठन हमसे अलग है.'

इसके पहले प्रतिबंधित छात्र संगठन कश्मीर यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने भी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था लेकिन एकेजेएसयू कि भागीदारी से ही विरोध प्रदर्शन सफल हो पाए क्योंकि एकेजेएसयू का घाटी के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में व्यापक नेटवर्क मौजूद है.

कई दशकों के बाद कश्मीर घाटी के कॉलेजों और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. इन विरोध प्रदर्शनों ने राजनीतिक व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है जिससे कश्मीर घाटी में हर कोई हैरान है. हजारों की तादाद में कॉलेज के छात्र सोमवार को कश्मीर की सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन के लिए निकले.

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पिछले हफ्ते पुलवामा डिग्री कॉलेज मे सुरक्षा बलों की ज्यादती के विरोध में विरोध-प्रदर्शन आयोजित किए गए थे. पुलवामा डिग्री कॉलेज वाले मामले में स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साथ टकराव में 50 से ज्यादा छात्र घायल हो गए थे. कुछ छात्र पैलेट गन की चपेट में आकर भी घायल हुए थे. ऐसा माना जा रहा है कि राज्य सरकार ने पुलवामा डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल पर भी हमला करवाया था.

क्या कारण है छात्र संगठनों के उभार का?

ऑल जम्मू एंड कश्मीर स्टूडेंट्स यूनियन के अचानक उभार ने कई सारे सवालों को जन्म दिया है. इसके पीछे कौन सी ताकतें सक्रिय हैं, इस बात को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं.

फ़र्स्टपोस्ट ने इसके बारे में जिन लोगों से बात की थी उनमें से अधिकांश का मानना है कि इसके पीछे आवामी इत्तेहाद पार्टी के इंजीनियर राशिद का हाथ है लेकिन इस संगठन के अध्यक्ष ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया.

उनका कहना था, 'मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज़ की गिरफ्तारी का जब हमलोग विरोध कर रहे थे उस दौरान उमर राशिद का एक आदमी हमलोगों से मिला था. बाद में हमलोगों को पता चला कि वह एआईपी के साथ था. लेकिन इससे यह कहीं से साबित नहीं होता कि हमलोगों का परवेज़ के संगठन से किसी तरह का कोई रिश्ता है.'

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AJKSU की खुद की कई समस्याएं हैं

सन 2009 के एक घटनाक्रम में कश्मीर विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने जम्मू और कश्मीर स्टूडेंट्स यूनियन के कार्यालय को तहस-नहस कर दिया था क्योंकि इससे जुड़े छात्र कश्मीर की आजादी का समर्थन करते थे. बाद के दौर में इस संगठन की कोई औपचारिक संचालन कमिटी नहीं रही है और न ही कोई पदाधिकारी.

अपनी हालिया गतिविधियों के दौर में यह संगठन आपसी खेमाबंदी का शिकार भी रहा है. संगठन का उदारवादी धड़ा और वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध धड़ा एक दूसरे के साथ टकराव की स्थिति मे हैं जिसके चलते अनेक प्रकार की मुश्किलें सामने आ रही हैं.

वर्तमान में यह संगठन अनौपचारिक रूप से सक्रिय है. कश्मीर विश्वविद्यालय के अंदर बहुत बड़ी तादाद में इसके समर्थक मौजूद हैं. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस स्टूडेंट्स और एनएसयूआई जैसे छात्र संगठनों के सदस्यों की संख्या दो दर्जन भी नहीं ठहरती.

समूची कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों की ज्यादती के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन बुधवार को भी थमने का नाम नहीं ले रहे थे. श्रीनगर को उत्तरी कश्मीर के बारामूला से जोड़ने वाले वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे छात्रों को जब सुरक्षा बल तितर-बितर करने की कोशिश कर रहे थे तब उनके बीच कई बार झड़प हुई.

कश्मीर विश्वविद्यालय के महिला छात्रावास में रहने वाली छात्राओं ने भी मंगलवार को छात्रों पर हमला करने वाले सुरक्षा बलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर एक विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया. छात्राएं कश्मीर की आजादी के नारे लगा रही थीं. विश्वविद्यालय प्रशासन ने विरोध-प्रदर्शन में शामिल छात्राओं को छात्रावास परिसर से बाहर विरोध-प्रदर्शन करने से रोक दिया.

शिक्षण संस्थानों को बंद करने से सुलझेगा मसला?

कश्मीर के बनिहाल शहर में छात्रों ने विरोध-प्रदर्शन के दौरान श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग को कई घंटों के लिए बंद रखा. विश्वविद्यालय, कॉलेज और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्रों ने सैकड़ों की तादाद में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन में शिरकत की.

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जम्मू-कश्मीर की सरकार ने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए समूचे कश्मीर में उच्च शिक्षण संस्थानों को बंद करवा दिया है. कश्मीर मण्डल आयुक्त बशीर खान ने सोमवार की शाम को यह आदेश जारी किया कि मंगलवार को सभी विश्वविद्यालय, कॉलेज और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बंद रहेंगे. आठवीं कक्षा तक के विद्यालयों को बंद नहीं किया गया था.

सरकार ने 'एहतियाती' उपाय के तहत बुधवार को भी उच्च शिक्षण संस्थानों के परिचालन को स्थगित रखा है. एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार कश्मीर विश्वविद्यालय के शिक्षण संस्थानों में पठन-पाठन का कार्य बुधवार को स्थगित रहेगा जबकि परीक्षाएं पूर्वनिर्धारित समय पर ही आयोजित की जाएंगी.

मंगलवार को एकेजेएसयू की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि 'जब तक छात्रों की वाजिब मांगें नहीं पूरी होतीं तब तक एकेजेएसयू का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा......कॉलेज बंद रखने से समस्या का हल नहीं निकलने वाला.