जम्मू कश्मीर के राज्य मानवाधिकार आयोग ने सरकार से सेना द्वारा जीप से बांधे गए व्यक्ति को 10 लाख रुपए मुआवजा में देने की सिफारिश की है. जम्मू कश्मीर सरकार ने भी इस सिफारिश को मान लिया है.
वरिष्ठ मंत्री और पीडीपी नेता ने बताया कि सरकार फारुख को 10 लाख रुपए देगी. राज्य मानवाधिकार आयोग के अनुसार फारुख को शारीरिक व मानसिक यातना और इस घटना से हुए अपमान की वजह से ऐसी सिफारिश की गई है.
बता दें कि फारुख अहमद डार को श्रीनगर लोक सभा के उपचुनाव के दौरान मानव ढाल के तौर पर आर्मी ने जीप के बोनट से बांध दिया था. मेजर लीतुल गोगोई ने घाटी में पत्थरबाजों के बीच घिरे सेना के जवानों को बचाने के लिए डार को जीप के बोनट से बांधने का फैसला किया था.
आयोग के अध्यक्ष ने क्या कहा ?
राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस बिलाल नजकी द्वारा जारी निर्णय में कहा गया कि इस बात (जीप से बांधे जाने) में कोई संदेश नहीं है. फारुख यातना और अपमान के शिकार हुए हैं. इस कार्रवाई से उन्हें मानसिक तनाव भी झेलना पड़ा. ये घटना जिंदगी भर उनके जेहन में रहेगी.
आयोग ने आगे कहा कि अपमान, शारीरिक व मानसिक यातना, गलत तरीके से दी गई सजा और तनाव के लिए ये विचार किया है पीड़ित को 10 लाख रुपए का मुआवजे की राज्य सरकार से भुगतान करने की सिफारिश करना उचित है. इसके अलावा आयोग ने जम्मू-कश्मीर सरकार से छह हफ्ते के अंदर ऐसा करने को कहा है.
इस मामले में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि ये राज्य मानवाधिकार कमीशन और उस व्यक्ति के बीच का मामला है जिसने कमीशन को अप्रोच किया था. उन्होंने कहा, 'वो एक स्वतंत्र संस्था है और उसने जो फैसला दिया है वो उस व्यक्ति पर लागू होता है. मुझे ज्यादा पता नहीं है. पर ये कमीशन और राज्य सरकार के बीच की बात है.'
गौरतलब है कि इस घटना के बाद डार को जीप के बोनट से बांधने वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी. कुछ लोगों ने आर्मी के इस फैसले की निंदा की थी तो कई ने इसे जायज ठहराया था.
हालांकि बाद में खुद मेजर गोगोई को सामने आना पड़ा था. उन्होंने बताया था कि अगर वो ऐसा न करते तो घाटी में कई लोगों की जानें चली जातीं.