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ग्राउंड रिपोर्ट: कश्मीर में पारा चढ़ेगा और एलओसी पर तनाव बढ़ेगा

बॉर्डर पर गर्मी बढ़ सकती है क्योंकि पाकिस्तान पहले ही चरमपंथियों को भेजने की कोशिश में लगा है.

Sameer Yasir

जम्मू कश्मीर में जैसे ही गर्मियां शुरू होती है, तो सुरक्षा बलों की चुनौतियां भी बढ़ जाती हैं. उन्हें और ज्यादा मुठभेड़ों और गोलीबारी की घटनाओं से निपटना पड़ता है. नियंत्रण रेखा के उस पार बैठे चरमपंथी इस ताक में रहते हैं कि जैसे ही बर्फ पिघले और वे भारतीय क्षेत्र में दाखिल हों. पिछले साल से तुलना करें तो इस बार घुसपैठ की कोशिशें कम होंगी.

शनिवार को सेना की चरमपंथियों के एक गुट से झड़प हुई. ये लोग घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे. लेकिन सेना ने कुपवाड़ा जिले के नौगाम सेक्टर में किसान पोस्ट के आसपास उन्हें घेर लिया. मुठभेड़ 24 घंटे से भी ज्यादा चली और रविवार की शाम को खत्म हुई. इस दौरान तीन सैनिकों समेत कुल सात लोग मारे गए.


तकनीक का सहारा

रक्षा प्रवक्ता राजेश कालिया ने फर्स्टपोस्ट को बताया, 'शनिवार की दोपहर को दो सैनिक शहीद हो गए और एक आतंकवादी भी मारा गया, लेकिन शाम तक गोलीबारी रुक गई थी. रविवार को यह फिर शुरू हो गई जिसमें दो और आतंकवादी मारे गए जबकि एक सैनिक शहीद हो गया.'

उन्होंने बताया, 'वे (घुसपैठिए) हमारी तरफ आने की कोशिश कर रहे थे और हमने उन्हें नियंत्रण रेखा पर ही रोक दिया जिसके बाद दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई.' कालिया के मुताबिक, 'तलाशी अभियान रोक दिया गया है.'

कश्मीर में खुफिया एजेंसियों ने खबरदार किया है कि इन गर्मियों में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की तरफ चरमपंथियों की और ज्यादा मौजूदगी हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियां ने ऐसे चरमपंथियों के ट्रैक करने के लिए नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (एनटीआरओ) की मदद मांगी है, जो नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ करने के इंतजार में बैठे हैं.

घुसपैठ मुश्किल

भारतीय सेना ने एनटीआरओ की मदद से तकनीकी खुफिया जानकारी जमा करने की अपनी व्यवस्था को मजबूत किया है, जिससे चरमपंथियों के एक जगह से दूसरी जगह जाने पर नजर रखी जा सके और उन्हें घाटी में घुसने से रोका जा सके. इस काम में उसे अभी तक बहुत सफलता मिली है. सेना ने चरमपंथियों की घुसपैठ को भी मुश्किल बनाया है.

एक सैन्य अफसर ने फर्स्टपोस्ट को बताया कि 'एक इंसानी गलती से ही उनका घाटी में आना मुमकिन हो पाएगा.' घुसपैठ की संभवानाओं को देखते हुए नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी बढ़ने की भी आशंका है.

पिछले साल चरमपंथियों ने 371 बार घाटी में घुसपैठ करने की कोशिश की. इसमें से वे 119 बार ही सफल हो सके. इस साल घुसपैठ की कोशिशों का आंकड़ा नाटकीय रूप से कम हुआ है. पिछले चार महीने में दो दर्जन से भी कम बार घुसपैठ की कोशिश हुई है. लेकिन श्रीनगर स्थित 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जेएस संधू ने हाल ही में कहा कि कश्मीर के मुकाबले जम्मू के पूंछ और राजौरी जैसे जो जिले पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से लगते हैं, वहां पाकिस्तान की तरफ कहीं ज्यादा चरमपंथी घुसपैठ की ताक में बैठे हैं. संधू के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर में करीब 150 चरमपंथी नियंत्रण रेखा के पास घाटी में घुसने का इंतजार कर रहे हैं.

संघर्षविराम का उल्लंघन

दिलचस्प बात यह है कि इस साल चरमपंथियों ने पीर पंजाल रेंज के दक्षिण से घुसपैठ की कोशिश की है और इस साल अप्रैल तक 60 से ज्यादा संघर्षविराम के उल्लंघन की घटनाएं हुई हैं. सेना घुसपैठ को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठा रही है. इस वजह से इस क्षेत्र में इस साल संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाएं बढ़ी हैं.

यह अपने आप में अनोखी बात है क्योंकि घुसपैठ की ज्यादातर कोशिशें बारामूला या कुपवाड़ा जिले से होती रही हैं. 740 किलोमीटर लंबी एलओसी का एक बड़ा हिस्सा इन दोनों जिलों से होकर जाता है. पाकिस्तानी सेना की बॉर्डर एक्शन टीम ने 1 मई को जब से कथित तौर पर दो सैनिकों के सिर काटे हैं, तब से नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ गया है.

रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने पिछले हफ्ते सैनिकों से नियंत्रण रेखा पर 'कड़ी सतर्कता' बरतने को कहा है, ताकि घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया जाए और पाकिस्तान की तरफ से होने वाले किसी भी दुस्साहस का 'मजबूत और मुंहतोड़' जवाब दिया जा सके. उन्होंने बारामूला जिले के रामपुर सेक्टर में नियंत्रण रेखा का दौरा करते हुए यह बात कही.

आने वाले दिनों में कश्मीर में पारा चढ़ेगा. ऐसे में बॉर्डर पर भी गर्मी बढ़ सकती है क्योंकि पाकिस्तान पहले ही धीरे धीरे गर्मा रही घाटी में ज्यादा से ज्यादा चरमपंथियों को भेजने की कोशिश में लगा है.