अचानक राजनीतिक उठापटक का मैदान बने जम्मू-कश्मीर की जनता का जनजीवन गुरुवार को राज्य में बंद के चलते भी प्रभावित हुआ. अलगाववादियों ने गुरुवार को घाटी में बंद बुलाया था, जिसके चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.
यह बंद मंगलवार को अनंतनाग जिले में हुर्रियत के एक कार्यकर्ता की हत्या के विरोध में किया गया था.
अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर में अधिकतर दुकानें, पेट्रोल पंप और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक परिवहन सड़कों पर नजर नहीं आए लेकिन शहर के कुछ इलाकों में निजी कार, कैब और ऑटो-रिक्शा चलते दिखे. अधिकारियों ने बताया कि सामान्य जनजीवन प्रभावित होने की ऐसी ही खबरें घाटी के अन्य जिला मुख्यालयों से भी आई हैं.
अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूख और मोहम्मद यासिन मलिन ने ज्वॉइंट रेजिस्टेन्स लीडरशिप (जेआरएल) के बैनर तले लोगों से, दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिले के अचबल इलाके में हफीजुल्ला मीर की हत्या के विरोध में बंद का आह्वान किया था.
गिलानी की अगुवाई वाली तहरीक-ए-हुर्रियत के जिला अध्यक्ष मीर की अज्ञात बंदूकधारियों ने उनके आवास पर मंगलवार को गोली मारकर हत्या कर दी थी.
कश्मीर में पत्थरबाजों के ऊपर सख्ती के बाद से राजनेताओं पर हमले काफी बढ़ गए हैं. पिछले कुछ महीनों में कई नेताओं पर गोलीबारी हुई है. इस महीने शुरुआत में बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनिल परिहार और अजीत परिहार की भी संदिग्ध हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
राज्य में फिलहाल राज्यपाल शासन चल रहा है. बुधवार को ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग किया है, जिसे लेकर सियासी गलियारों में बवाल मचा हुआ है क्योंकि अब राज्य के पास विधानसभा चुनाव कराना ही अंतिम विकल्प रह गया है. बीजेपी चाहती है कि मार्च में होने वाले लोकसभा चुनावों के साथ ही विधानसभा चुनाव भी हो जाएं. सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति तैयार कर रही हैं, देखना है कि राज्य में चुनावी बिसात कैसे बिछाई जाती है.
(एजेंसी से इनपुट)