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अगर हिमाचल सरकार पहले चेत जाती तो नहीं होता कसौली हत्याकांड

हिमाचल प्रदेश में सोलन जिले के कसौली क्षेत्र में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की महिला अधिकारी शैल बाला की हत्या कभी ना होती यदि प्रदेश सरकार राज्य में अवैध निर्माणों को ले कर समय पर सतर्क हो जाती.

Matul Saxena

हिमाचल प्रदेश में सोलन जिले के कसौली क्षेत्र में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की महिला अधिकारी शैल बाला की हत्या कभी ना होती यदि प्रदेश सरकार राज्य में अवैध निर्माणों को ले कर समय पर सतर्क हो जाती. पहली बार किसी महिला अधिकारी को अपनी सरकारी ड्यूटी का निर्वहन करते हुए जान गंवानी पड़ी. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की जुझारू महिला अधिकारी शैलबाला की हत्या ने हिमाचल जैसे शांतप्रिय राज्य को शर्मसार कर दिया है.

प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर पिछले दो दशकों में जिस तरह से होटलों का निर्माण हुआ है उससे हिमाचल के प्रमुख पर्यटन शहर कंक्रीट के जंगल बन कर रह गए हैं. शिमला, मनाली,धर्मशाला का कोई भी कोना ऐसा नहीं जहां होटलों की भरमार न हो. इन होटल निर्माताओं ने अपने राजनैतिक रसूख के चलते अवैध निर्माण बिना किसी रोकटोक के किये जिस पर किसी भी सरकार ने कभी भी नोटिस नहीं लिया. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हिमाचल के होटल निर्माताओं द्वारा अवैध निर्माण का कड़ा संज्ञान लिया और l मनाली क्षेत्र में ऐसे होटलों पर उचित कार्यवाही भी की गई.


सोलन जिले के धर्मपुर और कसौली क्षेत्र में अवैध निर्मित होटलों पर कार्यवाही का सिलसिला विगत 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पश्चात् हुआ lउच्चतम न्यायालय ने विगत 17 अप्रैल को कसौली और धर्मपुर के 13 होटलों के अवैध निर्माणों को गिराने का निर्देश दिया था. इस सिलसिले में गठित एक दल का नेतृत्व महिला अधिकारी शैलबाला कर रही थीं.

इस महिला अधिकारी ने छह महीने पहले ही यह पद संभाला था. अवैध निर्माण को ले कर एक एन.जी.ओ ने एक साल पहले एन.जी.टी. में याचिका थी कि दो मंजिलों की अनुमति ले कर इन होटल मालिकों ने छह मंजिल तक अवैध निर्माण किया है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में 7 कमरों की अनुमति ले कर 50 तक कमरे बनाने का आरोप भी लगाया था.

कसौली और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों के संरक्षण के लिए बनी संस्था स्पोक की याचिका पर ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ऐसे होटलों के अवैध निर्माणों को गिराने और पर्यावरण संरक्षण के मुवावजे के तौर पर लाखों में जुर्माना भी ठोका था. कल्याणी गेस्ट हाउस जिसके मालिक के बेटे विजय ठाकुर ने महिला अधिकारी पर गोलियां दागी थीं, पर भी सात लाख रुपए का जुर्माना किया गया था.

होटल निर्माताओं के राजनीतिक रसूख के कारण वर्तमान जयराम सरकार ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट में संशोधन कर होटल निर्माताओं को एक साल के भीतर अवैध निर्माण हटाने की मोहलत दी थी. कसौली का मामला क्योंकि सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका था इसलिए सुप्रीम कोर्ट आदेशों का अनुपालन किया जा रही थी.

आज सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले कर इस हत्याकांड पर  तल्ख टिप्पणी कर शीघ्र रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे क्या आदेश देता है वह तो एक-दो दिन में स्पष्ट हो जाएगा लेकिन इस हत्या ने यह तो साफ कर ही दिया कि पुलिस बल की अक्षमता और लापरवाही ने होटल मालिक के लड़के को इस हत्या के लिए पूरा मौका प्रदान किया.