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तमिल फिल्मों के हित में हमेशा सबसे आगे खड़े दिखाई देते थे करुणानिधि

करुणानिधि ने तमिल फिल्मों के लिए किसी भी मुख्यमंत्री से ज्यादा काम किया. उन्हें फिल्म इंडस्ट्री अपने दोस्त की तरह याद रखेगी.

Sreedhar Pillai

तमिलनाडु में राजनीति और सिनेमा एक-दूसरे में मिले हुए हैं. हाथ में हाथ डाले यह रिश्ता ने राज्य के राजनीतिक पटल को परिभाषित करता नजर आता है. राज्य में राजनीति के लिए पथ प्रदर्शक की तरह काम करने वाले शख्स मुत्थुवेलु करुणानिधि रहे. सिनेमा के लिए लेखक के तौर पर उन्होंने यह काम किया.

कलाइग्नर (आर्टिस्ट) के नाम से लोकप्रिय डीएमके चीफ ने सिनेमा में अपना करियर 40 के दशक में शुरू किया था. ऐतिहासिक और सामाजिक कहानियां लिखीं, जिसने द्रविड़ मूवमेंट को बढ़ाने का काम किया. 1952 में उनकी फिल्म परशक्ति को द्रविड़ विचारधारा के लिए बेहद अहम माना जाता है. इस फिल्म में शिवाजी गणेशन हीरो थे. परशक्ति में ब्राह्मणवाद के खिलाफ बात की गई थी. इसकी वजह से कट्टरपंधी हिंदुओं का विरोध झेलना पड़ा. फिल्म को शुरुआत में सेंसर बोर्ड ने खारिज कर दिया था. इस फिल्म के साथ डीएमके की रणनीति भी साफ हुई कि वे किस राजनीतिक विचारधारा को बढ़ाने के लिए आए हैं.


करुणानिधि की फेसबुक वॉल से साभार

करुणानिधि ने एक तरह से डॉयलॉग से भरी फिल्मों का ट्रेंड शुरू किया. मंधरी कुमारी, परशक्ति, मनमगल, मनोहर, मलइक्कलम और तमाम ऐसी फिल्में आईं.

तमिल फिल्म निर्माता, नेशनल अवॉर्ड विजेता लेखक और इतिहासकार जी. धनंजयन कहते हैं, ‘उन्होंने सिनेमा को जागरूकता फैलाने और सामाजिक सुधारों के माध्यम की तरह देखा. यकीनन सिनेमा के जरिए राजनीतिक विचारधारा को आगे बढ़ाने का काम डीएमके के संस्थापकों में एक पी. अन्नादुरै ने शुरू किया था. वो फिल्म थी वेलाइक्करी. लेकिन यकीनन उनके साथी और दोस्त करुणानिधि ने इसे लोकप्रिय बनाया. करुणानिधि-एमजीआर कॉम्बिनेशन डीएमके को बनाने में बहुत काम आया.’

करुणानिधि को तमिल सिनेमा में लार्जर दैन लाइफ हीरो देने का श्रेय मिलना चाहिए. एमजीआर ऐसे पहले हीरो थे, जो आम लोगों में बेहद लोकप्रिय हुए. उनकी फिल्मों की स्क्रिप्ट करुणानिधि ने ही लिखी थीं. उन्हें हमेशा ऐसे अच्छे इंसान की तरह सामने लाया गया, जो कमजोर लोगों की मदद करता है, मां से प्यार करता है, पारिवारिक मूल्यों और महिलाओं के हक का सम्मान करता है.

एमजीआर ने अपनी किसी फिल्म में शराब को बढ़ावा नहीं दिया. इन सबसे उनके इर्द-गिर्द एक औरा बन गया. इस सबसे डीएमके के लिए बेहद अहम महिला वोट बैंक बन गया. समय के साथ आम तमिल हीरो की इमेज बदली है, लेकिन एमजीआर फॉर्मूला अब भी काम करता है. इसी फॉर्मूले ने रजनीकांत और उसके बाद विजय और अजीत को कामयाबी दिलाई.

जब एमजीआर ने अपनी खुद की पार्टी एडीएमके बनाई, तो उन्होंने करुणानिधि को पावर से दस साल से ज्यादा दूर रखा. दरअसल, एमजीआर की जो इमेज करुणानिधि की कलम से बनी थी, वो इस कदर मजबूत थी कि उसे भेदा नहीं जा सका. करुणानिधि को एमजीआर की मौत तक इंतजार करना पड़ा. इसके बाद ही वो दोबारा मुख्यमंत्री बन सके. स्क्रीन पर पंचलाइन डायलॉग का ट्रेंड करुणानिधि ने ही शुरू किया था.

तस्वीर सौजन्य: शशिधरण-एमजीआर ब्लॉग्स्पॉट

करुणानिधि ने सिनेमा और इसके सुपर स्टार्स का इस्तेमाल अपने फायदा के लिए किया. 1996 के चुनाव अभियान के दौरान जयललिता की अलोकप्रिय और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी सरकार करुणानिधि की डीएमके और मूपनार की टीएमसी के खिलाफ लड़ रही थी. रणनीति के तहत उस समय रजनीकांत ने एक टीवी इंटरव्यू दिया. उसमें उन्होंने लोकप्रिय पंचलाइन बोली, जिससे सरकार बदल गई. उन्होंने कहा, ‘अगर जयललिता फिर से पावर में आती हैं, तो भगवान भी तमिलनाडु की रक्षा नहीं कर सकता.’

करुणानिधि जोरदार जीत के साथ आए. उसके बाद उन्होंने तमिल इंडस्ट्री में कई नए सितारों को आगे बढ़ाया. उनकी फिल्मों की स्पेशल स्क्रीनिंग करुणानिधि के साथ होती थी. वह लगातार इंडस्ट्री पर नजर रखते थे. दूसरी तरफ जयललिता फिल्में नहीं देखती थीं. कोई स्टार उनकी व्यक्तिगत जिंदगी में दखल नहीं दे सका. उन्होंने हमेशा एक दूरी बनाए रखी.

करुणानिधि तमिल टाइटल्स वाली फिल्म को टैक्स फ्री कराने वाले पहले शख्स थे. बाद में जयललिता ने भी करुणानिधि से यह कला सीखी. जिन्होंने उन्हें ‘सम्मान’ दिया, उसके लिए जयललिता खड़ी दिखाई दीं, जिनमें रजनीकांत शामिल हैं. जो उनसे भिड़े, उन्हें परेशानी हुई. जैसे कमल हासन की फिल्म विश्वरूपम और विजय की तलाइवा को वर्ल्ड रिलीज के समय राज्य में बैन कर दिया गया था. जयललिता के मुकाबले फिल्म इंडस्ट्री में करुणानिधि के फैन किसी भी दिन ज्यादा रहे. करुणानिधि को अदाकारों, निर्माताओं और निर्देशकों का साथ अच्छा लगता था.

जब रजनीकांत और कमल हासन ने राजनीति में कदम रखा, तो वे सम्मान के नाते करुणानिधि से मिलने गए. उन्होंने करुणानिधि को अपना फैसले की जानकारी दी. करुणानिधि ने तमिल फिल्मों के लिए किसी भी मुख्यमंत्री से ज्यादा काम किया. उन्हें फिल्म इंडस्ट्री अपने दोस्त की तरह याद रखेगी.