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'ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब कॉलेजियम के भेजे नाम को संपादित कर वापस लौटाया गया'

जस्टिस जोसेफ ने कहा, केएम जोसेफ के मामले में बैठक बुलाई जा रही है और बैठक से पहले कुछ भी कहना मुनासिब नहीं

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में उत्तराखंड के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ की नियुक्ति पर विवाद जारी है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के. जोसेफ ने कहा कि इस मामले में बैठक बुलाई जा रही है और बैठक से पहले कुछ भी कहना उनके लिए मुनासिब नहीं होगा.

के. जोसेफ ने रिपोर्टरों से यह भी कहा, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब कॉलेजियम के भेजे नाम को संपादित कर उसे दोबारा भेज दिया गया हो.


सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने केएम जोसेफ को पदोन्नत कर सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने के मुद्दे पर बुधवार को बैठक की थी लेकिन बैठक में उनके प्रमोशन को कॉलेजियम ने फिलहाल टाल दिया है.

कॉलेजियम ने 10 जनवरी को जस्टिस केएम जोसेफ और वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए जाने की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी. केंद्र ने मल्होत्रा के नाम को हरी झंडी दे दी लेकिन जोसेफ के नाम पर फिर से विचार किए जाने की मांग की.

जस्टिस जोसेफ जुलाई 2014 से उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं. उन्हें 14 अक्तूबर, 2004 को केरल हाईकोर्ट में स्थायी जस्टिस नियुक्त किया गया था और उन्होंने 31 जुलाई, 2014 को उत्तराखंड हाईकोर्ट का जिम्मा संभाला था.

जिस कॉलेजियम ने जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की सिफारिश की थी, उसके अध्यक्ष भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा हैं. कॉलेजियम में उनके अलावा जस्टी चेलमेश्वर, राजन गोगोई, मदन बी. लोकुर और के जोसेफ हैं. केएम जोसेफ के नाम पर दोबारा विचार करने के लिए चीफ जस्टिस के समक्ष याचिका लगाई गई थी जिसे उन्होंने नामंजूर कर दी था.

एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक कॉलेजियम की बैठक में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह को हटाने पर भी विचार होना है.