view all

केएम जोसफ सहित HC के तीन जस्टिस सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त

उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ, मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत सरन की सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर हुई नियुक्ति

Bhasha

हाईकोर्ट के तीन जजों को शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नियुक्त किया गया. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 25 हो गई. उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ, मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत सरन की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की घोषणा से जुड़ी अधिसूचना शनिवार को जारी की गई.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कल रात उनकी नियुक्तियों के वारंट पर हस्ताक्षर किए. जस्टिस जोसफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के साथ केंद्र सरकार और न्यायपालिका में जारी टकराव का अंत हुआ. नई नियुक्तियों के बाद शीर्ष न्यायालय में जजों की संख्या 25 हो गई. लेकिन अब भी 6 पद रिक्त हैं.


जस्टिस बनर्जी सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में आठवीं महिला जज

जस्टिस बनर्जी सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में आठवीं महिला जज हैं. उन्हें 5 फरवरी, 2002 को कलकत्ता हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था और 8 अगस्त, 2016 को उनका दिल्ली हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया था.

उन्हें 5 अप्रैल, 2017 को पदोन्नत कर मद्रास हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया और तब से वह इसी पद पर काम कर रही हैं. वह देश में हाईकोर्ट के जजों की वरिष्ठता के क्रम में चौथे स्थान पर आती हैं.

जस्टिस सरन को 14 फरवरी, 2002 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था और 16 फरवरी, 2015 को उनका कर्नाटक हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया था.

अभी तक जस्टिस सरन ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे

जस्टिस सरन को 26 फरवरी, 2016 को ओडिशा हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था और वह तब से इसी पद पर काम कर रहे हैं. वह हाईकोर्ट के जजों की वरिष्ठता के क्रम में पांचवें स्थान पर आते हैं.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने इस साल 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए जस्टिस जोसफ के नाम की सिफारिश की थी. सरकार ने वरिष्ठता का हवाला देते हुए 30 अप्रैल को सिफारिश को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया था.

कार्यपालिका ने यह भी कहा था कि इससे कई हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व नहीं होगा और जस्टिस जोसेफ की पदोन्नति क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के खिलाफ होगी. उनका मूल हाईकोर्ट केरल हाईकोर्ट है.

जस्टिस जोसफ ने 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को निरस्त कर दिया था. हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने के बाद वहां राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया गया था.