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सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को शपथ लेने वाले 2 नए जजों के बारे में कितना जानते हैं आप?

इन दोनों जजों की नियुक्ति पर दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज कैलाश गंभीर ने विरोध जताया था और इसे न्यायिक इतिहास का काला दिन कहा था

FP Staff

कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के जज संजीव खन्ना, सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शुक्रवार को सुबह 10:30 बजे शपथ लेंगे. इससे पहले दोनों ही जजों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम ने जो सिफारिश की थी उसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूर कर लिया था.

सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने 11 जनवरी को कहा था कि इन दोनों जजों को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया जाए. हालांकि इस नियुक्ति पर


दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज कैलाश गंभीर ने विरोध जताया था और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखकर इस नियुक्ति पर पुनर्विचार की अपील की

थी.

उन्होंने कहा था कि डेढ़ महीने पहले पिछले कॉलेजियम ने कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस माहेश्वरी की वरिष्ठता की अनदेखी की थी, अब अचानक उन्हें सही पाते हुए उनकी सिफारिश की गई है. सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ जजों के कॉलेजियम ने देश के करीब 32 जजों को नजरअंदाज किया है. ऐसे में अगर संजीव खन्ना की नियुक्ति की जाती है तो यह न्यायिक इतिहास का दूसरा काला दिन होगा.

कौन हैं दिनेश माहेश्वरी

दिनेश माहेश्वरी का जन्म 15 मई 1958 को हुआ. उन्होंने कानून की पढ़ाई 1980 में जोधपुर यूनिवर्सिटी से की. 8 मार्च 1981 में वह बतौर वकील स्थापित हुए. वह सिविल और संवैधानिक मामलों पर प्रैक्टिस करते थे.

उन्होंने 2 सितंबर 2004 को राजस्थान हाईकोर्ट के जज के रूप में शपथ ली. बाद में उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया गया और यहां उन्होंने

19 जुलाई 2014 को शपथ ली. इसके बाद उन्होंने 24 फरवरी 2016 को मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली.

12 फरवरी 2018 को माहेश्वरी को कर्नाटक हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया और शुक्रवार को वह सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ लेंगे.

कौन हैं संजीव खन्ना

संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ. उन्होंने 1977 में दिल्ली से स्कूल की पढ़ाई पूरी की. 1980 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद संजीव ने यहीं से कानून की पढ़ाई शुरू की. 1983 में उन्होंने वकील के तौर पर दिल्ली बार काउंसिल की सदस्यता ली. वह दिल्ली हाईकोर्ट में टैक्स, मध्यस्थता, कॉमर्शियल, पर्यावरण और प्रदूषण मामलों पर प्रैक्टिस करते थे.

वकील के तौर पर संजीव ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 और कंपनी कानून के तहत चिकित्सा लापरवाही जैसे कई मामले संभाले. उन्होंने दिल्ली सरकार के लिए अतिरिक्त पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में भी प्रतिनिधित्व किया और अपराध से जुड़े मामले भी देखे.

वह आयकर विभाग के लिए सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल भी थे. 2004 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में स्टैंडिंग काउंसिल(सिविल) के तौर पर नियुक्त किया गया.

24 जून 2005 को उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया. 20 फरवरी 2006 को वह दिल्ली हाईकोर्ट के स्थायी जज बने और अब वह शुक्रवार

को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ लेंगे.

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