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क्या PIL का मतलब 'पॉलिटिकल इंटरेस्ट लिटिगेशन' हो गया है: सुप्रीम कोर्ट जज

उन्होंने कहा, 'मुकदमों को राजनीतिक रूप से प्रायोजित कर जनहित याचिकाओं के रूप में दायर किया जाता है. इन याचिकाओं पर मनमाफिक निर्णय नहीं होने पर अदालतों पर हमला किया जाता है.

Bhasha

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कथित तौर से राजनीतिक हित साधने के लिए दायर की जाने वाली जनहित याचिकाओें को लेकर चिंता जताते हुए सवाल किया कि क्या 'पीआईएल' का मतलब 'पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' (जनहित याचिका) की जगह 'पॉलिटिकल इंटरेस्ट लिटिगेशन' हो गया है.

इंदौर में न्यायमूर्ति मिश्रा ने जिला न्यायालय के नए भवन के निर्माण के लिए आयोजित भूमिपूजन समारोह में कहा, 'पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन न्यायपालिका के लिए एक अति महत्वपूर्ण हथियार रहा है. देश के आम लोगों के हित में पत्रों को भी जनहित याचिकाओं के रूप में स्वीकार किया जाता रहा है. लेकिन आज क्या पीआईएल का मतलब पॉलिटिकल इंटरेस्ट लिटिगेशन हो गया है.'


वकीलों को आत्मचिंतन की सलाह

उन्होंने कहा, 'मुकदमों को राजनीतिक रूप से प्रायोजित कर जनहित याचिकाओं के रूप में दायर किया जाता है. इन याचिकाओं पर मनमाफिक निर्णय नहीं होने पर अदालतों पर हमला किया जाता है और इन फैसलों की तारीखों को न्यायपालिका के लिए काला दिवस करार दिया जाता है.' उन्होंने इस सिलसिले में वकीलों को आत्मचिंतन की सलाह देते हुए सवाल किया कि क्या जनहित याचिकाओं को दायर करने के नए पैमाने तय करने का वक्त आ गया है.

समारोह की अध्यक्षता कर रहीं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी निहित स्वार्थों के लिए जनहित याचिकाएं दायर करने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई. कार्यक्रम में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता, राज्य के विधि एवं विधायी कार्य मंत्री रामपाल सिंह और न्याय जगत की अन्य हस्तियां मौजूद थीं.