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जब जजों के बेंच ने कहा हमें न्याय का दिखावा करने की जरूरत नहीं

पीठ ने कहा, ‘हमें अपने विवेक की संतुष्टि के लिए जो भी जरूरी लगेगा, हम वो सवाल करेंगे. हमें आपके लिए न्याय का दिखावा करने की जरूरत नहीं है

Bhasha

सुप्रीम कोर्ट को एक वरिष्ठ वकील की ओर से न्यायाधीशों पर यह आरोप लगाना बड़ा नागवार गुजरा कि वे बी एच लोया की मौत का मामला उसके सामने लाने वालों से ही ‘खोजी सवाल’ कर रहे हैं, न कि महाराष्ट्र सरकार से.

ऐसी टिप्पणियों को अस्वीकार करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि जस्टिस अपने ‘विवेक और हृदय’ से निर्दिष्ट होते हैं और उन्हें किसी से किसी प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है.


पीठ ने कहा, ‘हमें अपने विवेक की संतुष्टि के लिए जो भी जरूरी लगेगा, हम वो सवाल करेंगे. हमें आपके लिए न्याय का दिखावा करने की जरूरत नहीं है. न्याय हमारे दिल और दिमाग में है. हमें प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है, कम से कम बहस कर रहे किसी वकील से नहीं.’

जज लोया कथित मौत मामले की चल रही है सुनवाई 

शीर्ष अदालत की कड़ी टिप्पणी तब आई जब वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि अदालत महाराष्ट्र की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से सवाल नहीं कर रही और उन्हें ही सारे सवालों को झेलना पड़ता है.

सोहराबुद्दीन शेख कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे लोया की एक दिसंबर, 2014 को नागपुर में कथित रूप से दिल का दौरा पड़ जाने से मौत हो गई थी. वह अपने एक साथी की बेटी की शादी में पहुंचे थे.

सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के बी एस लोन की याचिकाओं समेत विभिन्न अर्जियों पर सुनवाई कर रहा है. इन अर्जियों में लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है.