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जेएनयू में लहराया लाल परचम: सैनिक की बेटी गीता बनी छात्रसंघ अध्यक्ष, यहां देखें पूरा रिजल्ट

एबीवीपी दूसरे नंबर पर रही और बापसा इस बार तीसरे नंबर पर रही

FP Staff

जेएनयू छात्रसंघ के परिणाम रविवार को सुबह 2 बजे घोषित हुए. लेफ्ट यूनिटी के तरफ से आइसा की गीता कुमारी नई छात्रसंघ अध्यक्ष चुनी गई हैं. शुक्रवार को हुए मतदान में कुल 4620 स्टूडेंट ने वोट डाला था.

गीता को कुल 1506 वोट मिले जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी एबीवीपी की निधि त्रिपाठी को 1042 मत मिले. बापसा की शबाना अली तीसरे नंबर पर रहीं और उन्हें कुल 935 वोट मिले. निर्दलीय फारूक आश्चर्यजनक रूप से 419 वोट पाकर चौथे और अपराजिता राजा 416 वोट पाकर पांचवें नंबर पर रहीं.


उपाध्यक्ष पद पर लेफ्ट यूनिटी के तरफ से आइसा की सिमोन जोया खान चुनी गईं. उन्हें कुल 1876 वोट मिले जबकि एबीवीपी के दुर्गेश कुमार को कुल 1028 वोट मिले. बापसा के उम्मीदवार सुबोध कुमार 910 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे.

जनरल सेक्रेटरी पद पर लेफ्ट यूनिटी के तरफ से दुग्गीराला श्रीकृष्णा चुने गए. इन्हें कुल 2082 मत मिले जबकि इनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एबीवीपी के निकुंज मकवाना को कुल 975 वोट मिले. बापसा के करम बिद्यानाथ खुमान को 854 वोट मिले.

जॉइंट सेक्रेटरी पद पर लेफ्ट यूनिटी के तरफ से डीएसएफ के शुभांशु सिंह कुल 1755 वोट मिले और एबीवीपी के पंकज केशरी को 930 वोट जबकि बापसा के विनोद कुमार को 860 वोट मिले.

फाइनल रिजल्ट में ये रही सभी उम्मीदवारों की स्थिति:

गीता कुमारी पानीपत, हरियाणा की रहने वाली है.उन्होंने जेएनयू से फ्रेंच में बीए फिर आधुनिक इतिहास में एमए किया है. फिलहाल वो आधुनिक इतिहास में एमफिल के दूसरे साल में हैं.

उनके पिता सेना के आर्डिनेंस विभाग में जेसीओ हैं. जीतने के बाद फर्स्टपोस्ट से अपनी बातचीत में गीता ने कहा कि वो सोसाइटी को बेहतर करने के लिए छात्र राजनीति और आइसा से जुड़ी हैं. उनका कहना है कि वो देश में युवाओं के विकास के लिए पॉलिसी लेवल पर बदलाव चाहती हैं.

उन्होंने बताया कि शुरू-शुरू में माता-पिता उनके राजनीति करने का विरोध किया करते थे लेकिन अब उनके माता-पिता को उनका राजनीति करना पसंद है. गीता ने बताया कि उनके माता-पिता उनकी जीत से खुश हैं.

गीता ने बताया कि 9 फरवरी को जेएनयू में हुई घटना के बाद उनके माता-पिता जेएनयू के पक्ष में खड़े थे. हालांकि वे गीता को संभलकर रहने की सलाह भी देते हैं.

गीता का कहना है कि उनके छात्र संघ का पहला काम यूजीसी द्वारा जेएनयू में की गई सीट कट के खिलाफ लड़ना है. उन्होंने कहा कि उनका छात्रसंघ गायब छात्र नजीब को न्याय दिलवाने के लिए लड़ाई लड़ेगी.

जेएनयू छात्रसंघ की नई उपाध्यक्ष सिमोन जोया खान मूलतः यूपी के बांदा की हैं और असम के नुमालीगढ़ में पली-बढ़ी हैं. सिमोन का कहना है कि आज वो जो भी हैं वह अपनी मां निशात खान की वजह से हैं. सिमोन का कहना है कि उनकी मां ने कभी उन्हें किसी काम को करने से नहीं रोका बल्कि उनका सपोर्ट ही किया है. उनकी मां असम में गर्ल्स हॉस्टल की वार्डेन हैं.

सिमोन जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में इंडो-पैसिफिक सेंटर में पीएचडी द्वितीय वर्ष की स्टूडेंट हैं. सिमोन का कहना है कि वो वामपंथ की राजनीति से इत्तेफाक रखती हैं.

सिमोन का कहना है सीट कट और नजीब के मुद्दे के साथ-साथ वो हॉस्टल एलोटमेंट में हो रही देरी के खिलाफ आवाज उठाएंगी.

लेफ्ट यूनिटी के तरफ से जनरल सेक्रेटरी पद के लिए चुने गए एसएफआई के दुग्गीराला श्रीकृष्णा आंध्र प्रदेश के प्रकाशम् जिले के रहने वाले हैं. दुग्गीराला के पिता एक छोटे किसान हैं. पैसों की तंगी की वजह से दुग्गीराला ने कई बार पार्ट टाइम नौकरी की है. वे रेलवे से लेकर फिल्म इंडस्ट्री तक छोटे-मोटे काम कर चुके हैं.

दुग्गीराला का कहना है कि नजीब और सीट कट के साथ-साथ वे छात्रों को होने वाली रोजाना परेशानी को दूर करने का भी काम करेंगे.

दुग्गीराला स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के इनर एशिया सेंटर में पीएचडी प्रथम वर्ष के छात्र हैं.

लेफ्ट यूनिटी के तरफ से जॉइंट सेक्रेटरी पद के लिए चुने गए शुभांशु सिंह डीएसएफ से जुड़े हैं. वे सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज में पीएचडी दूसरे वर्ष के छात्र हैं. शुभांशु आगरा के रहने वाले हैं.उनके पिता सरकारी नौकरी में हैं. शुभांशु का कहना है कि उनके घर वालों ने राजनीति में आने का विरोध नहीं किया. उनके घर वाले उनसे राजनीतिक रूप से सहमत नहीं हैं लेकिन शुभांशु की जीत से काफी खुश हैं.

शुभांशु का कहना है कि छात्रसंघ में रहते हुए उनका मुख्य उद्देश्य कैंपस में सामाजिक न्याय की लड़ाई को तेज करना है. उन्होंने कहा कि वो जेएनयू के पॉलिटिकल कल्चर पर हो रहे हमले के खिलाफ लड़ाई को तेज करेंगे.

कुल 28 काउंसलर पद के नतीजों में से 13 लेफ्ट यूनिटी, 10 एबीवीपी, 1 बापसा, 1 बासो और 3 निर्दलीय उम्मीदवारों को सफलता मिली है. साइंस स्कूल में जहां एबीवीपी को सफलता मिली है वहीं स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में लेफ्ट यूनिटी को 5 में से 4 काउंसिलर पद मिले हैं. साइंस स्कूल एबीवीपी का परंपरागत गढ़ माना जाता है.

स्कूल ऑफ लैंग्वेज लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज में काउंसलर पद के पांचों सीटों पर लेफ्ट यूनिटी ने बाजी मारी है.

स्कूल ऑफ सोशल साइंस के 4 काउंसलर पदों पर लेफ्ट यूनिटी के उम्मीदवार जीते जबकि 1 काउंसलर सीट उमर खालिद की पार्टी भगत सिंह अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन (बासो) को मिला. इस पार्टी के उम्मीदवार चेपल शेरपा को सबसे अधिक वोट मिले.