जेएनयू प्रशासन ने 11 छात्रों को जेएनयू के एकेडमिक कौंसिल के मीटिंग के दौरान प्रदर्शन करने के लिए सस्पेंड कर दिया है.
चीफ प्रॉक्टर की तरफ से भेजे गए नोटिस में छात्रों पर 26 दिसंबर के एकेडमिक कौंसिल मीटिंग में हंगामा और हिंसा करने का आरोप लगाया गया है.
नोटिस के अनुसार इन छात्रों को हॉस्टल और अकादमिक सुविधा जांच होने तक तुरंत वापस ले ली गई है. इस दौरान अगर कोई भी इन छात्रों को जेएनयू कैंपस के भीतर रखेगा तो उसे भी सजा दी जाएगी.
ये छात्र एकेडमिक कौंसिल के बाहर वायवा के नंबरों को कम करने के साथ-साथ अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे.
जेएनयू प्रशासन और शिक्षकों के बीच भी तनातनी
इससे पहले 23 दिसंबर को बुलाई गई एकेडमिक कौंसिल प्रशासन शिक्षकों और प्रशासन के बीच विवाद की वजह से अधूरी रह गई थी.
इसके बाद प्रशासन ने जेएनयू के शिक्षकों के खिलाफ भी प्रेस रिलीज जारी किया था. जिस पर जेएनयू शिक्षक संघ ने प्रशासन की आलोचना की और वाइस चांसलर पर आरएसएस के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया.
26 दिसंबर को इसी अधूरी एकेडमिक कौंसिल के दूसरे भाग की बैठक बुलाई गई थी. इससे पहले 23 दिसंबर को प्रशासन ने जेएनयू छात्र संघ की मांगों को मानने से इंकार कर दिया था.
26 दिसंबर को कुछ छात्र-संगठनों ने एकेडमिक कौंसिल के बाहर प्रदर्शन करने का फैसला किया था. सस्पेंड छात्रों में अधिकांश यूनाइटेड ओबीसी फोरम, बापसा, डीएसयू के सदस्य हैं.
यूनाइटेड ओबीसी फोरम के संयोजक और सस्पेंड छात्रों में से एक दिलीप कुमार यादव का कहना है कि प्रशासन द्वारा जानबूझकर सामाजिक न्याय के लिए लड़ रहे छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है. जब प्रदर्शनकारी छात्र अंदर गए थे तब मीटिंग खत्म हो चुकी थी. उस वक्त वाइस चांसलर भी जा चुके थे.
जेएनयू छात्रसंघ ने भी एक प्रेस रिलीज जारी करके प्रशासन के इस कदम की आलोचना की है. छात्रसंघ का कहना है कि प्रशासन लगातार जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को बेवजह परेशान कर रहा है.