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छात्रों की मीटिंग में बोलने पर जेएनयू प्रशासन ने प्रोफेसर को दिया नोटिस

जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने एक नोटिस देकर प्रोफेसर मेनन को यह चेतावनी दी है कि वे इस मीटिंग में हिस्सा न लें.

FP Staff

जेएनयू प्रशासन और जेएनयू के छात्रों-शिक्षकों के बीच तनातनी का दौर बना हुआ है. 26 दिसंबर को जेएनयू प्रशासन ने 11 छात्रों को यूनिवर्सिटी से सस्पेंड कर दिया था.

इनमें से अधिकतर छात्र पिछड़े और दलित समुदाय के हैं. सस्पेंड छात्रों ने 28 दिसंबर को प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ प्रशासनिक भवन पर एक मीटिंग बुलाई थी. इस मीटिंग को जेएनयू के इंटरनेशनल स्टडीज स्कूल की प्रोफेसर निवेदिता मेनन ने भी संबोधित किया था.


जेएनयू प्रशासन ने हाल ही के दिनों में एक नोटिस लाकर प्रशासनिक भवन के 20 मीटर के दायरे में किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया था.

आज 30 दिसंबर को भी जेएनयू छात्रसंघ द्वारा इस छात्रों के निलंबन के खिलाफ प्रशासनिक भवन पर शिक्षकों की एक मीटिंग बुलाई है. प्रोफेसर निवेदिता मेनन के साथ-साथ इस मीटिंग को कई शिक्षक संबोधित करेंगे.

जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने एक नोटिस देकर प्रोफेसर मेनन को यह चेतावनी दी है कि वे इस मीटिंग में हिस्सा न लें. अन्यथा उन पर अनुशासनात्मक कारवाई की जा सकती है.

इसके साथ-साथ जेएनयू के रजिस्ट्रार ने  यूनिवर्सिटी के छात्रों-शिक्षकों और कर्मचारियों को प्रशासनिक भवन के नजदीक किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शन न करने की अपील की है.

इससे पहले 23 दिसंबर को हुई जेएनयू की एकेडेमिक कौंसिल की मीटिंग में जेएनयू प्रशासन ने छात्रसंघ की मांगों को मानने से इंकार कर दिया था.

इसमें सबसे प्रमुख मांग जेएनयू प्रवेश परीक्षा में मौखिक/वाइवा के नंबरों को घटाने की थी. छात्रों और छात्रसंघ के अनुसार वाइवा की परीक्षा में पिछड़े और दलित छात्रों के साथ भेदभाव किया जाता है.

इस संदर्भ में जेएनयू छात्रसंघ कई आंकड़े भी जारी कर चुका है. इन आंकड़ों के अनुसार वाइवा में जानबूझकर कमजोर तबके के छात्रों को कम नंबर दिया जाता है. इस वजह से जेएनयू में इस पृष्ठभूमि के कई छात्रों का एडमिशन नहीं हो पाता है.