झारखंड की राजधानी रांची में नेशनल यूनिवर्सिर्टी ऑफ स्टडी एंड रिचर्स इन लॉ (एनयूएसआरएल) की स्थापना 2010 में काफी जोर-शोर से की गई थी. देश भर में यह अपनी तरह का 14वां ही संस्थान है. लेकिन फिलहाल यहां पढ़ाई बंद है और 600 से अधिक छात्र अनिश्चितकाल के लिए धरने पर बैठे हैं.
छात्र पिछले 3 दिनों से संस्थान के मुख्य दरवाजे पर बैठे हैं. उन्होंने यूनिवर्सिटी में पढ़ाई-लिखाई बंद करा दिया है. उनकी मांग कुलपति व रजिस्ट्रार को हटाने और यूनिवर्सिटी प्रशासन को पूरी तरह बदलने की है. हालांकि छात्रों ने बैंक अधिकारियों और हॉस्टल में रहे वाले अध्यापकों के रास्ते में कोई बाधा नहीं डाली.
यूनिवर्सिटी प्रशासन की तमाम कोशिश के बावजूद मांग पूरी हुए बिना छात्र वापस आने को तैयार नहीं है. साथ ही वह राज्य के चीफ जस्टिस व मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. पढ़ाई पर बुरा असर देखते हुए सीनियर छात्रों ने अपने जूनियर्स को खुले में ही पढ़ाने का निर्णय लिया है.
इस बीच हाईकोर्ट के जॉइंट रजिस्ट्रार (विजिलेंस) ने भी पूरे कैंपस का दौरा किया है और बच्चों की समस्याएं दर्ज की. वह इसकी रिपोर्ट विश्वविद्यालय के चांसलर को सौंपेंगे.
छात्रों ने 5 बड़ी मांगें रखी हैं:
1. पूरे यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को बदला जाए और करप्शन के कारण रजिस्ट्रार और वाइस-चांसलर का इस्तीफा.
2. विश्वविद्यालय की सत्यापना राज्य विधानसभा द्वारा की गई है. इसलिए सारे दस्तावेजों की जांच सीएजी या किसी अन्य निष्पक्ष अथिकारी या संस्था से करवाई जाए.
3. एनयूएसआरएल एक्ट 2010 की धारा 24(II) और (III) के तहत अकाउंट्स की ऑडिट रिपोर्ट तत्काल प्रकाशित की जाए.
4. सीपीडब्लूडी को जरूरी फंड दिए जाएं ताकि राज्य सरकार द्वारा विश्वविधालय का प्रस्तावित मास्टर प्लान पूरा किया जाए.
5. धारा 23(1) के तहत चांसलर द्वारा रिव्यु कमिटी की स्थापना की जाए.
विरोध के तीसरे दिन हाई कोर्ट न्यायाधीश जस्टिस अपरेश कुमार सिंह, जस्टिस इस चंद्रशेखर, जस्टिस राजेश शंकर और जुडिशल अकादमी के डायरेक्टर गौतम चौधरी छात्रों को संबोधित करने भी आए.
वैसे छात्रों ने यूनिवर्सिटी की स्थिति बयां करने के लिए फेसबुक पर Voice of NUSRL नाम का पेज शुरू किया है.