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झारखंड: देह व्यापार, बंधुआ मजदूरी में फंसने को मजबूर खूंटी की महिलाएं

ज्यादातर महिलाओं को दलालों ने शहरों में घरेलू सहायिका का काम दिलाने का लालच दिया लेकिन कुछ को ही काम मिला. कुछ काम के नाम पर बंधुआ मजदूर बन गईं

Bhasha

घर की दीवारों को आंसू भरी आंखों से देखती 60 साल की सुग्गी मुंडाइन समाज में विस्थापन और उत्पीड़न की कहानी को बयां करती है.

झारखंड में खूंटी जिले के जबरा गांव की निवासी सुग्गी की बड़ी बेटी सनियारो धन 15 साल से लापता है और छोटी बेटी 12 साल बाद अपने घर लौटी है. उसके बेटे को साल 2000 में दलाल असम में नौकरी दिलाने का लालच देकर ले गए और उसके बाद परिवार ने उसे कभी नहीं देखा. दो साल पहले उसके मरने की खबर जरूर इस घर की चौखट पर पहुंची.


सुग्गी की बेटी लल्ली धन और उनके पति का बीमारी के कारण निधन हो गया क्योंकि परिवार के पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे. प्रदेश में सुग्गी अकेली नहीं है बल्कि यहां करीब-करीब हर घर की यही कहानी है.

बंधुआ मजदूरी, देह व्यापार में फंसतीं महिलाएं

राज्य के श्रम विभाग के मुताबिक, साल 2017 में झारखंड से करीब 10,879 महिलाओं ने काम की तलाश में घर छोड़ा लेकिन कुछ ही अपनी मंजिल तय कर पाईं. ज्यादातर महिलाओं को दलालों ने शहरों में घरेलू सहायिका का काम दिलाने का लालच दिया लेकिन कुछ को ही काम मिला. कुछ काम के नाम पर बंधुआ मजदूर बन गईं.

बहरहाल, राज्य में काम कर रहे एनजीओ का कहना है कि यह संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि इसके सही रिकॉर्ड मौजूद नहीं हैं. ‘एक्शन अगेंस्ट ट्रैफिकिंग एंड सेक्चुअल एक्सप्लाइटेशन ऑफ चिल्ड्रन’ (एटीएसईसी) संगठन के राज्य समन्वयक संजय मिश्रा ने बताया कि झारखंड मानव तस्करी का एक स्रोत राज्य है. सरकार इस मुद्दे पर काम कर रही है लेकिन अब भी इस पर बहुत काम किए जाने की जरूरत है क्योंकि अधिकतर लड़कियां काम की तलाश में बाहर जाती हैं और रोजी-रोटी की तलाश में और पैसे की कमी के कारण फंस जाती हैं.

उन्होंने बताया कि लड़कियों की तस्करी उनसे जबरन मजदूरी कराने और देह व्यापार में धकेलने के लिए की जाती है. आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो केवल खूंटी से ही 4,691 लोग काम की तलाश में बाहर गए, जिनमें से 1128 महिलाएं हैं. इनमें सुग्गी की बड़ी बेटी सनियारो धन शामिल है जो 15 साल से लापता है. उसे दलाल दिल्ली में काम दिलाने का वादा कर ले गया था लेकिन तब से उसका कोई पता नहीं है.