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झारखंड में ‘फेल’ हो गए आधे आदिवासी

इन फेल छात्रों के भविष्य का क्या होगा. फिलहाल, इसका जवाब देने वाला कोई नहीं

Ravi Prakash

झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा इस साल ली गई मैट्रिक की परीक्षा का रिजल्ट पिछले 12 साल में सबसे खराब हुआ है. इस साल 57.91 फीसदी परीक्षार्थी परीक्षा पास कर पाए. बाकी के सारे फेल हो गए.

इसी तरह इंटर साइंस का रिजल्ट 52.36 फीसदी और कॉमर्स स्ट्रीम का रिजल्ट 60.09 फीसदी रहा. जैक द्वारा जारी मैट्रिक और इंटर (साइंस-कॉमर्स) के रिजल्ट के मुताबिक कुल 2.57 लाख परीक्षार्थी फेल कर गए हैं.


मैट्रिक की परीक्षा में इस साल कुल 4,63,311 छात्र शामिल हुए थे. इंटर साइंस में 90,871 और कॉमर्स की परीक्षा में 4,76,22 छात्रों ने अपनी कॉपियां लिखी थीं.

एससी-एसटी का रिजल्ट सबसे खराब

सबसे खराब हालत आदिवासी व दलित छात्रों की है. एससी (दलित) छात्रों का रिजल्ट सिर्फ 49 फीसदी है, जबकि एसटी (आदिवासी) परीक्षार्थियों में सिर्फ 51 फीसदी छात्र अपनी परीक्षा पास कर पाए. मैट्रिक की परीक्षा में 1.95 लाख छात्र फेल कर गए. इंटर (साइंस व कामर्स) की परीक्षा में 62 हजार परीक्षार्थी फेल घोषित किए गए हैं. इस कारण इस रिजल्ट पर सवाल उठाए जाने लगे हैं.

सरकार की नीतियां जिम्मेवार

झारखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव प्रद्युमन पांडेय ने इस रिजल्ट की आलोचना की है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने बगैर समुचित तैयारी के झारखंड बोर्ड में सीबीएसइ पैटर्न लागू कर दिया. जबकि कॉपियों का मूल्यांकन पुराने तरीके से ही किया गया.

उन्होंने कहा कि अगर मूल्यांकन भी सीबीएसइ के पैटर्न पर किया गया होता, तो रिजल्ट इतना खराब नहीं होता.

सरकार समीक्षा करेगी

स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग की सचिव आराधना पटनायक भी इससे इत्तेफाक रखती हैं. उन्होंने कहा कि रिजल्ट का इतना खराब होना चिंताजनक है. उन्होंने कहा,  'हमने छात्रों की सुविधा के लिए राज्य के सभी जिलो में स्पेशल क्लासेज संचालित कराए. 2015 में 1600 शिक्षकों की नियुक्ति भी की. सरकार अभी और शिक्षकों की बहाली करने जा रही है. कुछ तो इसी महीने नियुक्त कर दिए जाएंगे. इसके बावजूद हमारा रिजल्ट पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी कम हुआ. हम इसकी गहन समीक्षा करेंगे. क्योंकि हमने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को परीक्षा तैयारी की निगरानी मे लगाया था.'

परीक्षा में कड़ाई हुई

झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) के अध्यक्ष ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से कहा कि हमने परीक्षा में नकल को पूरी तरह रोकने में सफलता पाई. संभव है इस कारण रिजल्ट खराब हो गया हो.

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड में छात्रों की संख्या हर साल बढ़ रही है लेकिन उस अनुपात मे शिक्षकों की संख्या नहीं बढ़ी है. हमने पारदर्शी व्यवस्था में परीक्षा का संचालन किया. इसमें कोई गड़बड़ी या कोताही नहीं बरती गई. लिहाजा, रिजल्ट पर सवाल खड़े करने का कोई उचित कारण नहीं दिखता.

नेतरहाट विद्यालय का वर्चस्व टूटा

देश में सैकड़ों आईएएस-आईपीएस देने वाले प्रसिद्ध नेतरहाट विद्यालय को भी इस रिजल्ट से निराशा हुई है. कभी टॉप टेन में सभी छात्र इसी विद्यालय के होते थे.

इस साल टॉप टेन में शामिल 32 छात्रों में सिर्फ 4 छात्र ही नेतरहाट विद्यालय से हैं. इस साल की मैट्रिक परीक्षा के स्टेट टापर भी संथालपरगना के सुदूर दुमका जिले के छात्र गुंजन पाल हैं. वे वहां के जिला स्कूल में पढ़ते थे.

क्वालिटी एजुकेशन में रिजल्ट की फिक्र क्यों

शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने इस बाबत पूछे गए एक सवाल पर कहा कि क्वालिटी एजुकेशन मे रिजल्ट की फिक्र मत कीजिए. हमने समय पर रिजल्ट निकाला. स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारा. नकल रोकी. भविष्य में इसका सकारात्मक परिणाम मिलेगा. राज्य के कई जिलों में रिजल्ट अच्छा हुआ है. इसकी भी चर्चा की जानी चाहिए.

बिहार में भी बहार नहीं

पड़ोसी राज्य बिहार का रिजल्ट और भी खराब हुआ है. वहां छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया. दरअसल, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) द्वारा मंगलवार को जारी मैट्रिक के रिजल्ट में इस साल सिर्फ 35 फीसदी छात्र ही पास हो पाए. परीक्षा में शामिल कुल 1240168 छात्रों में 754622 छात्र में फेल घोषित किए गए हैं.

बीएसईबी के अध्यक्ष आनंद किशोर का तर्क है कि परीक्षा के दौरान कदाचार पर नियंत्रण और कापियों की बारकोडिंग के कारण गड़बड़ी नहीं हो सकी. रिजल्ट खराब होने की मूल वजह यही है.

अब क्या होगा

इन तर्कों और बहसों के बीच बड़ा सवाल यह है कि इन फेल छात्रों के भविष्य का क्या होगा. फिलहाल, इसका जवाब देने वाला कोई नहीं.