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जम्मू-कश्मीर: राजनीतिक पार्टियों का आरोप- गवर्नर बदल रहे हैं PR देने का प्रोसेस

यह मुद्दा 35ए से जुड़ा है और राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता है. फिलहाल इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है

FP Staff

जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक उथल-पुथल अब भी जारी है. राजनीतिक पार्टियों ने इस लड़ाई में एक नया मोड़ देते हुए कहा है कि गवर्नर सत्यपाल मलिक पर्मानेंट रेसिडेंट सर्टिफिकेट देने के प्रोसेस में बदलाव करने में लगे हुए हैं. यह मुद्दा संवेदनशील है क्योंकि ये आर्टिक 35ए से जुड़ा है.

एनडीटीवी के मुताबिक, यह प्रयास PR देने के फैसले को आसान करने से जुड़ा है और इसके लिए गवर्नर ने प्रशासनिक अदिकारियों को भी पत्र लिखकर राय मांगी है.


यह मुद्दा 35ए से जुड़ा है और राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता है. फिलहाल इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां भी एक साथ हो गई हैं. उनका कहना है कि आने वाले समय में इसे आसान किया जा सकता है. इससे बाहरी लोगों को राज्य में निवास का दर्जा मिलता है. गवर्नर इसमें बिना हितधारकों से चर्चा किए इस मुद्दे पर कोई भी बदलाव नहीं कर सकते.

पिछले हफ्ते, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन और गवर्नर सत्यपाल मलिक ने किसी को भी बहुमत नहीं मिलने के चलते विधानसभा भंग करने का फैसला किया था. बिना किसी सरकार की मौजूदगी के इस समय PRC में बदलाव सिर्फ गवर्नर के निर्णय के बाद होगा.

नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने गवर्नर सत्यपाल मलिक के फैसले को गलत ठहराया था. इस बीच सज्जाद लोन बीजेपी के समर्थन से राज्य में सरकार बनाना चाहते थे. अंत में उन्होंने भी खुद को महबूबा मुफ्ती की तरह एकांत पाया.

इसके साथ पिछले महीने राजनीतिक घटनाक्रम के केंद्र में रही जम्मू कश्मीर राजभवन की फैक्स मशीन एक बार फिर सुर्खियों में हैं और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह ने दावा किया कि उन्होंने रविवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को एक पत्र भेजने की कोशिश की लेकिन फैक्स मशीन अब भी काम नहीं कर रही.

आर्टिकल 35ए पर दोनों मुख्य राजनीतिक पार्टियों की लड़ाई में राज्य की जनता भी असमंजस में है. महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने स्थानीय निकाय चुनाव का भी बहिष्कार किया था.