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हाई कोर्ट में जजों के खाली पड़े पदों को भरने में लग सकते हैं 15 साल

अप्रैल 2015 से लेकर मई 2018 के बीच कानून मंत्रालय ने 313 अतिरिक्त जजों की नियुक्ति को अधिसूचित किया है

FP Staff

देशभर के 24 हाई कोर्ट में जजों के 427 खाली पड़े पदों को भरने में 15 साल लग सकते हैं. फिलहाल जिस रफ्तार से नियुक्तियां चल रही हैं और अगर ये मान लें कि हर साल करीब 75-85 जज रिटायर होंगे तो इन खाली पदों को भरने में करीब 15 साल लग जाएंगे. हाई कोर्ट में जजों की कुल स्वीकृत संख्या 1079 है और कार्यरत जजों की संख्या 652 है.

24 हाई कोर्ट में कुल 427 पद खाली


31 अगस्त 2018 को हाई कोर्ट में स्वीकृत संख्या की तुलना में जजों की रिक्तियां 40 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई हैं. फिलहाल 24 हाई कोर्ट में कुल 427 पद खाली पड़े हैं. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार एनडीए सरकार ने पिछले कुछ सालों में हाई कोर्ट में सर्वाधिक जजों की नियुक्ति की है. इसके बावजूद अगर जजों की रिटायरमेंट दर को देखा जाए तो तेजी से हुईं नियुक्तियां भी हर साल मात्र 29 जजों की बहाली कर पा रही हैं. अप्रैल 2015 से लेकर मई 2018 के बीच कानून मंत्रालय ने 313 अतिरिक्त जजों की नियुक्ति को अधिसूचित किया है.

पिछले 7 सालों में 104 जज नियुक्त किए गए

यह पिछले सात वर्षों के दौरान सबसे ज्यादा है. औसतन देखें तो हर साल 104 जज नियुक्त किए गए हैं. ज्यादा संख्या में जजों की रिटायरमेंट के लिहाज से अगर ये तेज नियुक्तियां नहीं हुई होतीं तो हालात और भी खराब हो सकते थे. साल 2012 से लेकर 2014 के बीच यूपीए के शासनकाल में 250 जजों की नियुक्ति हुई थी. उस दौरान जजों की नियुक्ति का औसत हर साल मात्र 83 हा रहा था.

अक्टूबर 2017 में 387 जजों के पद पर वैकेंसी थी

हाई कोर्ट में जजों की वैकेंसी लगातार बढ़ रही है. अक्टूबर 2017 में 387 जजों के पद पर नौकरी के अवसर थे. इस साल मार्च तक यह संख्या 406 हो गई. 31 अगस्त 2018 तक इसमें और इजाफा हुआ और फिलहाल यह संख्या 427 हो गई है. अगले तीन सालों में हाई कोर्ट के करीब 65 जज हर साल रिटायर होने वाले हैं.अभी इसमें उन जजों को शामिल नहीं किया गया है जिनकी शुरुआती नियुक्ति 2 साल के लिए होती है और फिर पर्मानेंट होने के लिए इन पर विचार किया जाता है. न्यायपालिका में इतनी भारी रिक्तियां इसलिए भी चिंता का विषय हैं क्योंकि अकेले हाई कोर्ट में 39.52 लाख केस पेंडिंग पड़े हैं. इसमें से 22 फीसदी मामले 10 साल से भी ज्यादा पुराने हैं. लॉ एक्सपर्टस की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के जजों की खाली सीट भरने मे देरी न हो इसके लिए केंद्र सरकार को UPSC के माध्यम से भारतीय न्याय सेवा शुरू करनी चाहिए.