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भारत ने रिसोर्ससैट-2ए को सफलतापूर्वक किया लांच

इसरो ने पीएसएलवी के जरिए पोलर सैटेलाइट रिसोर्ससैट-2ए की सफलतापूर्वक लांचिग की.

IANS

श्रीहरिकोटा: इसरो ने 7 दिसंबर को अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और उपलब्धि हासिल करते हुए पीएसएलवी के जरिए पोलर सैटेलाइट रिसोर्ससैट-2ए की सफलतापूर्वक लांचिग की.

इसरो के चेयरमैन ए.एस. किरन कुमार ने प्रक्षेपण के बाद कहा- 'आज हमने तीन स्तरीय इमेजिंग डेटा उपलब्ध कराने वाले रिसोर्ससैट-2ए की सफलतापूर्वक लांचिंग की. सैटेलाइट के सोलर पैनल को तैनात कर दिया गया है. लांचिंग बिलकुल सटीक रही.'


कुमार ने कहा कि रॉकेट में पहली बार कैमरे लगाया गया. इसके जरिए इस रॉकेट मिशन के कंट्रोल रूम में वैज्ञानिकों ने अपनी कंप्यूटर स्क्रीनों पर इस सैटेलाइट की लांचिंग और सोलर पैनल की तैनाती की पूरी प्रक्रिया को देखा.

इसरो के मुताबिक, 44.4 मीटर लंबा और 321 टन वजनी पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट को लांच सुबह 10.25 बजे किया गया।

रॉकेट ने लगभग 18 मिनट के उड़ान के दौरान 1,235 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट रिसोर्ससैट-2ए को पोलर सन सिंक्रोनस ऑर्बिट (एसएसओ) में स्थापित कर दिया.

पीएसएलवी रॉकेट चौथी पीढ़ी इंजन रॉकेट है

पीएसएलवी रॉकेट चौथी पीढ़ी इंजन रॉकेट है, जो ठोस व तरल, दोनों प्रकार के ईंधन से चलता होता है।

इसरो के अनुसार, रिसोर्ससैट-2ए, रिसोर्ससैट -1 और रिसोर्ससैट-2 मिशन का ही अगला पार्ट है. इन्हें 2003 और 2011 में लांच किया जा चुका है.

नया सैटेलाइट रिसोर्स-2ए अपने पहले के दो सैटेलाइटों की तरह ग्लोबल यूजर्स को रिमोट सेंसिंग डाटा देगा.

रिसोर्ससैट-2ए में तीन पेलोड हैं. पहले के दो रिसोर्ससैट के साथ भी ऐसा था.

सैटेलाइट में 200 गीगा बिट क्षमता वाले सॉलिड स्टेट रिकॉडर्स भी है, जो अपने कैमरों से चित्रों को एकत्र कर सकते हैं और उन्हें बाद में धरती के स्टेशनों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

रिसोर्ससैट-2ए के मिशन की अवधि पांच साल की है।