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इशरत जहां मामला: पद से हटेंगे गुजरात में दो सीनियर पुलिस अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट

दोनों अधिकारियों के खराब रिकॉर्ड के बावजूद उन्हें अपॉइंट किया गया, जबकि यह सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के विरुद्ध है

FP Staff

गुजरात पुलिस के दो वरिष्ठ अधिकारियों एनके अमीन और टीए बरोट को सुप्रीम कोर्ट ने आज शाम तक अपना पद छोड़ने के लिए कहा है. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने इशरत जहां का फर्जी एनकाउंटर किया था.

पिछले साल अगस्त में एसपी के तौर पर रिटायर हुए अमीन को एक साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर महिसागर जिले का एसपी बनाया गया है. उन पर सोहराबुद्दीन और इशरत जहां फेक एनकाउंटर मामलों में कार्रवाई हुई थी.


वहीं बरोट को पिछले साल अक्टूबर में वडोदरा में पश्चिमी रेलवे के डिप्टी सुप्रीटेंडेंट के तौर पर कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर एक साल के लिए पदस्थ किया गया था. उन पर इशरत जहां और सादिक जमाल के फेक एनकाउंटर का आरोप है.

मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ की बेंच ने यह फैसला सुनाया कि दोनों को गुरुवार शाम तक अपना पद छोड़ना होगा. इसके साथ ही इस बेंच ने पूर्व आईपीएस अधिकारी राहुल शर्मा की उस याचिका का निपटान कर दिया जिसमें दोनों अधिकारियों की दोबारा पदस्थापना का विरोध किया था.

एडवोकेट वरिंदर कुमार शर्मा के माध्यम दाखिल की गई अपनी याचिका में पूर्व आईपीएस ऑफिसर ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र किया था जिसमें गुजरात सरकार को राज्य के वरिष्ठ अधिकारी पीपी पांडे को डायरेक्टर जनरल और इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस के पद से हटाने की अनुमति दी गई थी. शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.

इस याचिका में कहा गया कि अमीन को सीबीआई द्वारा दो एनकाउंटर मामलों में चार्जशीट किया गया है और वह करीब 8 साल जुडिशियल कस्टडी में बिता चुके हैं और जेल से बाहर आते ही उन्हें एसपी के तौर पर पदस्थ कर दिया गया. वहीं तरुण बरोट भी अपहरण और मर्डर के दो अलग अलग मामलों में चार्जशीटेड हैं. उन्हें भी इन मामलों में गिरफ्तार किया गया था और वह जुडिशियल कस्टडी में करीब तीन साल बिता चुके हैं.

इस याचिका में कहा गया कि दोनों अधिकारियों के खराब रिकॉर्ड के बावजूद उन्हें अपॉइंट किया गया, जबकि यह सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के विरुद्ध है.

[न्यूज़ 18 इंडिया से साभार]