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ताज विवाद पर विदेशी मीडिया: उपेक्षा इसलिए क्योंकि मुस्लिमों ने बनाया

वाशिंगटन पोस्ट ने पहले भी योगी के सीएम बनने पर उनके बयानों को लेकर उनपर जोरदार कटाक्ष किया था

Prabhakar Thakur

आगरा के ताज महल को हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन बुकलेट में शामिल नहीं किया गया. इसे लेकर बड़ा विवाद भी हो गया. हालांकि इसे लेकर कहा गया कि यह बुकलेट प्रचार के लिए नहीं था, पर इसने हंगामा तो खड़ा कर ही दिया है.

इस फैसले के बाद पत्रकार, नेता और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर जाकर सरकार के इस कदम की आलोचना की. इस बुकलेट के निकाले जाने तक योगी आदित्यनाथ की सरकार को आए 6 महीने से ज्यादा हो चुके हैं. बुकलेट में भविष्य के पर्यटन प्रोजेक्ट्स का जिक्र किया गया है जिनमें गोरखपुर का गोरखनाथ मंदिर शामिल है. योगी आदित्यनाथ इस मंदिर के महंत हैं.


ताज महल को लेकर यह कोई नया विवाद नहीं है. इससे पहले भी योगी बिहार में कह चुके हैं कि ताज महल 'भारतीय संस्कृति का प्रतीक नहीं है'. ताज महल मुस्लिम शासक शाह जहां द्वारा बनवाया गया था. योगी आदित्यनाथ अपने मुस्लिम विरोधी खयालों के लिए जाने जाते हैं. एक बार तो उन्होंने यहां तक कह दिया था कि एक हिंदू लड़की के बदले 100 मुस्लिम लड़कियों का धर्मान्तरण करवाया जाए. इसके अलावा वह ऐसे जगहों के नाम बदल कर हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर करने की भी बात कह चुके हैं जो मुसलामानों के नाम पर रखी गई हैं.

देश ही नहीं, विदेशों में भी ताज महल के नाम को बुकलेट से हटाया जाना सुर्खियां बन रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ताज महल विदेशों में भारत की पहचान के रूप में स्थापित हो चुका है. दुनिया भर में लोग इसे 'दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत' कहते हैं. इससे पहले योगी के यूपी का सीएम बनने पर भी विदेशी मीडिया ने खूब तंज कसे थे. उनके विवादित बयानों और और अपनी अलग 'सेना' हिंदू युवा वाहिनी रखने के लिए उनके बारे में कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया था. इस 'सेना' पर अल्पसंख्यकों के साथ बदसलूकी के आरोप लगते रहे हैं.

क्या हिंदू संस्कृति ही भारतीय संस्कृति

अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने एक लेख का शीर्षक दिया है, 'क्या भारत ताज महल की उपेक्षा इसलिए कर रहा है क्योंकि इसे मुस्लिमों ने बनवाया था?' अखबार ने लिखा है कि सरकार ताज महल को फंड और सहायता से भी वंचित रख रहा है. उसे सरकार के इस साल के बजट में कोई सांस्कृतिक विरासत फंड नहीं दिया गया.

अखबार ने विपक्षी नेता अभिषेक मनु सिंघवी का बयान छापा है. सिंघवी के मुताबिक अगर भारत में पर्यटन और ताज महल अलग अलग रखे जाते हैं तो इससे बड़ा मजाक और त्रासदी और कुछ नहीं हो सकती. अखबार ने साथ ही यह भी लिखा है कि पिछले कुछ सालों में ताज महल देखने जाने वालों की संख्या में गिरावट आई है.

योगी आदित्यनाथ का मानना है कि हिंदू संस्कृति ही भारतीय संस्कृति है, ऐसे में उनके बयान और उनकी सरकार के कदम कतई चौंकाने वाले नहीं है. पर हां, प्रेम के प्रतीक पर उठे इस विवाद से लोगों में आशंका है कि कहीं राज्य में प्रेम और सद्भाव पर खरता न मंडराए.