भारतीय संसद के सदनों से विपक्ष के वॉकआउट और गरमा-गरम जिरह की खबरें तो आपने खूब सुनीं होंगी. लेकिन गुरुवार को उस वक्त सब बगले झांकने लगे जब पीएम मोदी से सवाल पूछा गया कि चांद पर बीयर बननी कब से शुरू हो जाएगी.
आपको ये सवाल चुटकुला लगता होगा लेकिन ये सच है कि चांद पर बीयर बनाने की योजना तैयार की गई थी और संसद में भी इसका गंभीरता से जवाब दिया गया.
क्या है पूरा मामला
ये पूरा वाकया गुरुवार का है जब तृणमूल कांग्रेस के सांसद शिशिर कुमार अधिकारी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान चांद पर बीयर बनने का सवाल पूछकर सबको चौंका दिया.
शिशिर का सवाल था कि क्या कोई भारतीय अंतरिक्ष यान चांद पर बीयर बनाने की योजना बना रहा है? यदि हां तो इस योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारियां क्या हैं और यीस्ट (खमीर) टेस्ट कितना व्यवहारिक है.
क्या मिला जवाब
गौरतलब है कि राज्यमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय जितेंद्र सिंह ने इस सवाल को काफी गंभीरता से लिया और इसका विस्तृत जवाब भी दिया. उन्होंने पहले स्पष्ट कर दिया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की चांद पर बीयर बनाने जैसी कोई योजना नहीं है.
हालांकि उन्होंने आगे स्पष्ट करते हुए कहा कि इस तरह की एक योजना का प्रस्ताव टीम इंडस का था, जो निजी तौर पर मून मिशन के लिए काम कर रही टीम है.
एक कमर्शियल लॉन्च एग्रीमेंट के तहत इसरो के पोलर सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल के साथ इंडस स्पेसक्राफ्ट को लांच किए जाने का प्रस्ताव है. ये खोज सिर्फ इस बात को लेकर थी कि अंतरिक्ष यान में खमीर और किण्वन की प्रक्रिया से बीयर बनाना संभव है या नहीं.
कहां से शुरू हुई थी पूरी कहानी
पूरी कहानी सितंबर 2015 से शुरू हुई जब नासा के वैज्ञानिकों ने ये दावा किया कि उन्हें मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी के पुख्ता प्रमाण मिले हैं. इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर भी चुटकुलों की बाढ़ आ गई थी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चांद पर बीयर से जुड़ी योजना टीम इंडस की थी.
हालांकि इसके केंद्र में बीयर बनाना नहीं बल्कि अंतरिक्ष में खमीर कितनी देर तक जीवित रहना है इसका पता करना है. गौरतलब है कि बंगलुरू स्थित टीम इंडस एक निजी संस्था एक्सिओम रिसर्च लैब्स प्राइवेट लिमिटेड के तहत काम कर रही है और गूगल लूनर एक्सप्राइज की प्रतिस्पर्धा में शामिल है.
साभार: न्यूज़18 हिंदी