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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2017: तिहाड़ में गूंजा 'योग युक्त भारत, अपराध मुक्त भारत'

कैदियों के बीच योग 'आर्ट ऑफ लिविंग' से भी ज्यादा लोकप्रिय है

Pallavi Rebbapragada

रूसी दार्शनिक और लेखक फ्योदोर दोस्तोयवस्की का यह मानना था कि अगर किसी देश की सभ्यता का अंदाजा लगाना है तो यह वहां की जेलों के परिवेश से पता चलेगा. जो पाप-कर्म में फंसकर बंदी बन गए हैं, उनकी सोच और मनोदशा से पता चलेगा.

दिल्ली की तिहाड़ जेल की पहाड़ जैसी ऊंची दीवारों के भीतर आज करीब 15000 कैदी हैं. 21 जून को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया. सुबह, लगभग 15,000 बंधकों ने पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी, पूर्वी दिल्ली के मांडोली और उत्तरी दिल्ली के रोहिणी में स्थित तिहाड़ जेल के तीन अलग-अलग केंद्रों में योग किया.


‘योग युक्त भारत, अपराध मुक्त भारत’ का नारा लगाते हैं स्वामी आशुतोष.

'बिहार स्कूल ऑफ योग' के शिक्षक तिहाड़ की 10 जेलों में पिछले दो साल से योग अभियान चला रहे हैं. इनकी संस्था पंचवटी योगाश्रम और नेचर क्योर सेंटर जो दक्षिणी दिल्ली में स्थित है, वहां पर लगभग 200 योगाचार्य दिल्ली एनसीआर के स्कूल-कॉलेज और कॉर्पोरेट दफ्तरों में जाकर योग का ज्ञान बांटते हैं.

2015 में यूं शुरू हुआ अभियान 

2015 में जब सीबीआई वर्तमान डायरेक्टर अलोक कुमार वर्मा तिहाड़ के डीजी थे, तब स्वामी आशुतोष ने योग के माध्यम से रूपांतरण का अभियान जेल के अंदर चलाया था. उन्होंने उस वक्त 2015 में पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 10,450 कैदियों को मैदान में उतार कर योग करवाया.

यह कार्यक्रम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी दर्ज है. उसके बाद योग टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स शुरू किया गया जिसके तहत आज 12,000 कैदी रोज 10 जेलों में, जिनमें हाई सिक्योरिटी वाली मांडोली जेल भी शामिल है, योग सीखते हैं.

एक कोर्स 300 घंटे का है और इससे एक छोटा कोर्स 200 घंटे है. सिलेबस और परीक्षा का सिस्टम भी है. स्वामी आशुतोष यह बताते हैं कि बाहर इस कोर्स के लिए लगभग एक लाख रूपए की फीस है लेकिन जेल में यह कोर्स नि:शुल्क करवाया जाता है ताकि जेल से रिहा होने पर कैदियों को नौकरी मिले.

योग से कैदियों के जीवन को बदलने की कवायद 

साल 2016 में स्वामी आशुतोष ने हरियाणा के अंबाला और हिसार जिलों को भी इस आयोजन से जोड़ दिया. उनका कहना है की योग का अभ्यास हर प्रदेश की जेलों में होना चाहिए.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2016 रिपोर्ट के अनुसार आज सबसे अधिक कैदी उत्तर प्रदेश में हैं, उनकी संख्या लगभग 89,000 है. मध्य प्रदेश में लगभग 40,000, महाराष्ट्र और बिहार में लगभग 29,000 और पंजाब में लगभग 23,000 कैदी हैं. कैदियों की संख्या में हर साल 2 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है. चुनौती बहुत बड़ी है लेकिन योग से देश के हर कोने में हर कैदी का रूपांतरण हो सकता है.

उनके दो चेले मिश्रा और शुक्ल (जो अपना नाम नहीं बताना चाहते) तिहाड़ से लगभग दो साल की सजा काट कर आए हैं. मिश्रा यह कहते हैं कि उन्होंने योग की मदद से दुबारा जीना सीखा. उन्हें फिर से जीने की हिम्मत और खुशी मिली. वहीं शुक्ल का कहना है कि योग कि मदद से जेल की घुटन कम हुई और नई ऊर्जा भी मिली.

'आर्ट ऑफ लिविंग' से ज्यादा लोकप्रिय है योग 

तिहाड़ के एक डिप्टी सुप्रिडेंटेंट का कहना है की कैदियों के बीच योग 'आर्ट ऑफ लिविंग' से भी ज्यादा लोकप्रिय है. भारत ही नहीं, अमरीका में भी जेम्स फॉक्स नाम के एक व्यक्ति योग और ध्यान का अभियान 'प्रिजन योग फाउंडेशन' के नाम से चलाते हैं. इसके तहत 1,500 से भी अधिक योग शिक्षक अमरीका के 24 राज्यों सहित कनाडा, नॉर्वे, स्वीडन, जर्मनी और नीदरलैंड में योग सिखाते हैं.

ये कैदी समाज के वे टुकड़े हैं जिन्हें समाज में रहने लायक माना नहीं जाता. जो लोग योग में विश्वास नहीं रखते, उनके लिए तिहाड़ के एक नए योगी रणधीर मिश्रा यह संदेश देते हैं, 'हम भी बुरे इंसान नहीं थे पर फिर भी बुराई की गिरफ्त में आ गए, यदि योग का ज्ञान तब होता शायद जीवन आज ऐसा ना होता.' मन सबसे ज्यादा अपने खुद के अंधेरों से डरता है और योग उस डर से मुक्ति दिलाता है.