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महिला दिवस: आपने तेजाब मेरे चेहरे पर नहीं, मेरे सपनों पर डाला है

लक्ष्मी 'स्टॉप एसिड अटैक' अभियान की प्रचारक हैं.

Ankita Virmani

आपने तेजाब मेरे चेहरे पर नहीं, मेरे सपनों पर डाला है

आपके दिल में प्यार नहीं तेजाब हुआ करता था...


जब आपको ये बात मालूम पड़ेगी कि आज भी मैं जिंदा हूं

और अपने सपनों को साकार कर रही हूं, तब वो वक्त आपको कितना सताएगा

ये पंक्तियां हैं लक्ष्मी की कविता की. दिल्ली में एक इवेंट के दौरान मौका मिला लक्ष्मी से मिलने का. उनकी कविता की ये पंक्तियां सुनकर मेरी रूह कांप गई. 15 साल की उम्र में हुए एसिड अटैक से उनका चेहरा तकरीबन 70 प्रतिशत खराब  हो चुका है, पर हौसले इतने बुलंद.

मैं और आप शायद उनके लिए बुरा महसूस कर सकते हैं पर उस दर्द का अनुमान नहीं लगा सकते. जिंदगी ने जो दिया उसके आगे लक्ष्मी ने घुटने नहीं टेके और जिंदगी को जीने के प्रति लक्ष्मी के जज्बे ने मुझे भी ये सोचने पर मजबूर किया कि इतनी बुरी भी नहीं है जिंदगी.

हम सुबह शाम शिकायत करते हैं, खराब चाय तक पर कह देते है जिंदगी बेकार है. आॅफिस में बॉस बुरा लगता है, घर में बनाया खाना बुरा लगता है. पर जरा महसूस कीजिए लक्ष्मी और अपनी जिंदगी में फर्क. शायद आपको अपनी जिंदगी खूबसूरत लगने लगे.

सात सर्जरी के बाद भी उनका चेहरा पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाया. लक्ष्मी कहती हैं, चेहरे की सुंदरता दिखावटी है, इंसान दिल से सुंदर होना चाहिए.

जब मैंने उनसे कहा कि आप सच में हीरो हैं. वुमंस डे पर आप क्या संदेश देना चाहती हैं. लक्ष्मी ने कहा एक दिन वुमंस डे मनाया जाए और अगले दिन रेप, एसिड अटैक जैसी घटनाएं अखबार में देखने को मिलें, तो ऐसे वुमंस डे का क्या फायदा?

लक्ष्मी कहती है, हम महिलाओं को खुद को पीड़िता बनाना बंद करना होगा. वो कहती है, मैं पीड़ित नहीं हूं, मैं फाइटर हूं. मैंने लड़ाई लड़ी और लड़ती रहूंगी.

लक्ष्मी ने ये लड़ाई सिर्फ अपने लिए नहीं लड़ी. एसिड की सेल की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए वो सुप्रीम कोर्ट तक गई. लंबे समय बाद साल 2014 में कोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया और एसिड की सेल के लिए नई गाइडलाइन जारी किए. साथ ही कानून में भी संशोधन कर एसिड अटैक की न्यूनतम सजा को 10 साल और अधिकतम सजा को उम्रकैद किया गया.

लक्ष्मी 'स्टॉप एसिड अटैक' अभियान की प्रचारक हैं. इसके तहत ही शीरोज नाम के कैफे की शुरूआत की गई. शीरोज फिलहाल तीन राज्यों में चल रहा है और इनमें काम करने वाली महिलाएं एसिड पीड़ित हैं.

लक्ष्मी ने बताया कि इस वुमंस डे पर शीरोज के दो साल पूरे हो जाएंगे और वो इस बात से बेहद खुश हैं कि शीरोज ना सिर्फ ऐसी महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद कर रहा है, बल्कि उन्हें जिंदगी जीने के लिए एक नई राह भी दे रहा है.

लक्ष्मी ने कहा, 'जिंदगी खूबसूरत है और मैं खुश रहना चाहती हूं. जो हो गया उसके बारे में बात करके क्या फायदा. बस आज मैं खुश हूं और अच्छी-अच्छी बातें करना चाहती हूं, जिससे मेरे आसपास खुशनुमा माहौल रहे.'

भारत में हर साल करीब 500 लोग तेजाब हमलों के शिकार होते हैं. इनमें महिलाओं की संख्या अधिक होती हैं और ज्यादातर मामले प्रेम संबंधों में असफलता, दहेज संबंधी विवाद के होते हैं.

लक्ष्मी के इस जज्बे को हम सलाम करते हैं. जिंदगी इतनी बुरी भी नहीं. मुस्कुराइए और इस वुमंस डे पर खुद को खुश रखने का वादा कीजिए.

हर रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं..

ए जिंदगी, देख मेरे हौसले तुझसे भी बड़े है...

(फीचर्ड इमेज नीरज गेरा ने ली है.)