सरकार दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता कानून में जरूरी संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करेगी. ये जानकरी वित्त एवं कार्पोरेट कार्य मंत्री अरुण जेटली ने दी है.
यह कानून पिछले साल दिसंबर में लागू हुआ था. इसमें कर्ज में फंसी कंपनियों की संपत्तियों का बाजार निर्धारित दर पर समयबद्ध निपटारा किए जाने का प्रावधान किया गया है. कानून को कार्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा अमल में लाया जा रहा है.
जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कानून में कुछ बदलाव करने के लिए अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. हालांकि कानून में क्या संशोधन किए जायेंगे इसके बारे में तुरंत कोई जानकारी नहीं मिल सकी.
सरकार की ओर से यह पहल ऐसे समय की जा रही है जब कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर कुछ क्षेत्रों में चिंता व्यक्त की गई. इसमें एक मुद्दा इसको लेकर भी उठा है कि कानून की खामियों का फायदा उठाते हुए दिवाला प्रक्रिया में आई कंपनी पर उसके प्रवर्तक फिर से नियंत्रण हासिल करने की जुगत लगा सकते हैं.
कार्पोरेट कार्य मंत्रालय ने कानून की कमियों की पहचान करने और उनका समाधान बताने को लेकर में 14 सदस्यीय एक समिति गठित की है. कापोर्रेट कार्य सचिव इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता में गठित दिवाला कानून समिति कानून के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं पर गौर करेगी.
दिवाला संहिता के तहत अब तक 300 मामले नेशनल कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में समाधान के लिए दर्ज किये जा चुके हैं. दिवाला कानून में एनसीएलटी से मंजूरी मिलने के बाद ही किसी मामले को समाधान के लिये आगे बढ़ाया जाता है.