view all

इंफोसिस के लिए विशाल 'सिक्का' खोटा है!

कंपनी के सीईओ विशाल सिक्का के कामकाज को लेकर कई कर्मचारियों ने बगावती तेवर अपने रखे हैं

FP Staff

भारत की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा निर्यातक कंपनी इंफोसिस में इन दिनों आंतरिक कलह थमने का नाम नहीं ले रही है. कंपनी के सीईओ विशाल सिक्का के कामकाज को लेकर कई कर्मचारियों ने बगावती तेवर अपने रखे हैं.

अब तो इस विवाद में इनफोसिस के संस्थापक सदस्य रहे एन नारायणमूर्ति भी कूद पड़े हैं. नारायणमूर्ति का कहना है कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से विशाल सिक्का से कोई परेशानी नहीं है, बल्कि कंपनी का गवर्नेंस बोर्ड जिस तरह काम कर रहा है, उससे वे निराश हैं.


विधानसभा चुनाव 2017 की खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इंफोसिस में घमासान क्यों मचा हुआ है? क्या विशाल सिक्का को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा? आखिर इस विवाद की जड़ क्या है? विशाल सिक्का के खिलाफ बगावत की वजह क्या है?

गवर्नेंस में गड़बड़ी

इंफोसिस के सीईओ विशाल शिक्का के कामकाज को लेकर कंपनी के संस्थापकों ने शिकायत दर्ज कराई है. इंफोसिस के संस्थापक एन नारायणमूर्ति, क्रिस गोपालकृष्णन और नंदन निलेकणी ने निदेशक मंडल से की गई शिकायत के मुताबिक कंपनी के भीतर कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानकों का पालन नहीं हो रहा है.

एनआर नारायणमूर्ति ने भी कंपनी के गवर्नेंस में हो रही गड़बड़ी को लेकर चिंता जताई है. उनका कहना है कि मनमाने ढंग से सुविधाएं दी गई. इससे अन्य कर्मचारियों का मनोबल पर बुरा असर पड़ा.

सेवरेंस पे पर तकरार

इंफोसिस में नियम है कि कंपनी के कर्मचारी को तीन महीने का सेवरेंस पे दिया जाए. सेवरेंस पे वह रकम है जो कंपनी किसी कर्मचारी को निर्धारित समय से पहले कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने पर देती है.

इस नियम को दरकिनार कर कंपनी के पूर्व लीगल हेड केनेडी को 12 महीने और पूर्व सीएफओ राजीव बंसल को 30 महीने का सेवरेंस पे दिया गया. साथ ही कुछ कर्मचारियों को मोटी रकम सेवरेंस पे के तौर पर देने से भी नाखुशी है.

सैलरी और अन्य सुविधाएं

इंफोसिस के संस्थापक प्रमोटरों ने सीईओ विशाल सिक्का की सैलरी और अन्य सुविधाओं पर भी सवाल उठाए हैं. इन लोगों ने कंपनी के भीतर कुछ बेदाग छवि वाले लोगों को रखने की सिफारिश की है.

विशाल सिक्का ने कंपनी का टर्नओवर 2021 तक 20 अरब डॉलर कर देने का लक्ष्य दिया था. इस आधार पर उन्हें एक करोड़ दस लाख डॉलर के सालाना पैकेज पर रखा गया था. इसमें से 30 लाख डॉलर तो फिक्स्ड सैलरी है, लेकिन बाकी आठ लाख उनके परफॉरमेंस के आधार पर दिया जाना है.

पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) राजीव बंसल को कंपनी से हटाए जाने के एवज में दिए गए पैसे पर भी आपत्ति दर्ज कराई गई है. राजीव बंसल को नौकरी छोड़ते समय 17 करोड़ रूपए का पैकेज दिया गया था. कंपनी ने अपने बयान में कहा कि राजीव को दी जाने वाली कुछ राशि रोक ली गई है और स्पष्टीकरण मांगा गया है.

विशाल सिक्का निशाने पर

इंफोसिस का कहना है कि शेयरधारकों ने ही विशाल सिक्का की सैलरी में इजाफे को मंजूरी दी थी. साथ ही कंपनी ने कॉरपोरेट गर्वनेंस एक्सपर्ट को भी नियुक्त कर रखा है. ये सारे फैसले कंपनी के सारे हित में लिए गए. इससे कंपनी को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.

हालांकि, विशाल सिक्का को लेकर मची हालिया बगावत ने इंफोसिस की इन दलील पर कई सवाल उठाए हैं. लगभग 1800 से ज्यादा ई-मेल इनफोसिस के निदेशक मंडल को मिले हैं, जिनमें कर्मचारियों ने अपनी नाखुशी जाहिर की है.

साभार: न्यूज़18 हिंदी