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इंदौर: मौत के बाद महिला ने चार लोगों को दिया जीवन दान

ब्रेन हैमरेज के कारण दुनिया को अलविदा कहने वाली 42 वर्षीय महिला के अंगदान से चार जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिल गई

Bhasha

ब्रेन हैमरेज के कारण दुनिया को अलविदा कहने वाली 42 वर्षीय महिला के अंगदान से चार जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिल गई. इस प्रेरक वाकये के साथ ही यहां पिछले 21 महीने के दौरान दिमागी रूप से मृत घोषित किए जाने के बाद अंगदानी बनने वाले लोगों की तादाद बढ़कर 23 पर पहुंच गई है.

इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) और इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन के अध्यक्ष संजय दुबे ने बताया कि अर्चना डोसी (42) को 23 जुलाई को ब्रेन हैमरेज के बाद स्थानीय मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था. डॉक्टरों ने उनकी हालत पर सतत निगरानी के बाद उन्हें 25 जुलाई को दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया.


अंगदान के लिए राजी हुए परिजन 

उन्होंने बताया कि अर्चना इंदौर से करीब 210 किलोमीटर दूर मंदसौर कस्बे की रहने वाली थीं. गृहिणी के परिवार में किराना व्यापारी पति राकेश डोसी के अलावा एक पुत्र और एक पुत्री हैं. उनके परिजनों को प्रेरित किया गया, तो वे शोक में डूबे होने के बावजूद अपनी दिवंगत स्वजन के अंगदान के लिए राजी हो गए.

दुबे ने बताया अर्चना के मृत शरीर से निकाले गए दिल, लीवर और दोनों किडनी को तीन निजी अस्पतालों में भर्ती चार मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाना है. इन अंगों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर संबंधित अस्पतालों तक पहुंचा दिया गया है.

ग्रीन कॉरिडोर बनाने से तात्पर्य सड़कों पर यातायात को इस तरह व्यवस्थित करने से है कि अंगदान से मिले अंगों को एम्बुलेंस के जरिए कम से कम समय में जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाया जा सके.

संभाग आयुक्त ने बताया कि अर्चना की दोनों आंखों और त्वचा को दो अलग..अलग संस्थाओं ने प्रत्यारोपण के लिए हासिल कर सुरक्षित रख लिया है जिससे दो और जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिल सकेगी.

अधिकारियों के मुताबिक इंदौर में पिछले 21 महीने में दिमागी रूप से मृत 23 मरीजों का अंगदान हो चुका है. इससे मिले दिल, लीवर, किडनी, आंखों और त्वचा के प्रत्यारोपण से मध्यप्रदेश के साथ दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में करीब 130 जरूरतमंद मरीजों को नए जीवन की अनमोल सौगात मिली है.