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भारत-चीन विवाद: भूटान को दूसरा तिब्बत नहीं बनने देगा भारत?

भारत के हालिया कदमों से साफ है कि वो भूटान को दूसरा तिब्बत नहीं बनने देगा

Amitesh

डोकलाम में चीन के साथ गतिरोध बरकरार है. चीन लगातार धमकी दे रहा है, तो कभी उकसावे वाला बयान भी देता है. लेकिन, भारत इस बार चीन की गीदड़भभकी से डरने वाला नहीं. चीन की कुटिल चाल का जवाब देने के लिए भारत ने पूरी तैयारी कर ली है.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ कर दिया है कि ‘भारत डोकलाम इलाके से तबतक सेना नहीं हटाएगा जबतक चीन ऐसा नहीं करता है.’ दरअसल, चीन की तरफ से भारत पर इस इलाके से सेना हटाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. लेकिन, राज्यसभा में सुषमा स्वराज ने साफ कर दिया कि ‘अगर बात-चीत बैठकर करनी है तो दोनों देशों को अपनी सेना को उस इलाके से हटाना होगा.’


चीन के साथ गतिरोध को लेकर एक सवाल के जवाब में सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में विस्तार से अपनी बात रखी. सुषमा ने कहा कि ‘इस वक्त चीन और भारत के अलावा चीन और भूटान के बीच सीमा तय नहीं है. दोनों सार्वभौमिक देश हैं लिहाजा भारत और भूटान की अलग-अलग चीन के साथ अपनी सीमा विवाद पर वार्ता होती रहती है.’

सुषमा ने साफ किया कि ‘भारत की तरफ से शिवशंकर मेनन और एनएसए अजीत डोभाल इस मेकनिज्म पर काम कर रहे हैं तो दूसरी तरफ, भूटान का भी अपना मेकनिज्म है जिस पर वो काम कर रहा है.’

लेकिन, जिस इलाके में चीन की तरफ से विवाद खडा किया गया है उसे ट्राइजंक्शन प्वाइंट कहा जाता है. 2012 में एक समझौता हुआ था जिसके मुताबिक, ट्राइजंक्शन प्वाइंट पर जहां भारत, चीन और भूटान की सीमाएं मिलती हैं, उस इलाके में जो भी तय करना होगा ये तीनों देश मिलकर तय करेंगे.

विदेश मंत्री ने कहा कि ये कोई पहला मौका नहीं है बल्कि, चीन इसके बावजूद कई बार बीच में चला आता है. वहां कभी कच्ची तो कभी पक्की सड़क बनाता है. लेकिन, इस बार चीन की नीयत ज्यादा खतरनाक लग रही है. चीन की नीयत उस ट्राइजंक्शन पर पहुचने की है, इसीलिए इस बार बुल्डोजर और एस्केलेटर समेत सड़क निर्माण के लिए कई सामान लेकर पहुंच गया.

दरअसल, चीन ट्राइजंक्शन इलाके में बटालंगा तक पहुंचना चाहता है. चीन की कोशिश है कि बटालंगा तक पहुंचने के बाद वो जल्द ही ट्राइजंक्शन तक पहुंच जाएगा. चीन अगर ऐसा कर लेता है तो फिर वो ट्राइजंक्शन के स्टेटस-को पर खतरा हो जाएगा. चीन की कोशिश ट्राइजंक्शन के स्टेटस –को को खत्म करने की है.

अगर चीन ऐसा कर देता है तो फिर भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है. भारत इस बात को समझता है लिहाजा अपनी तरफ से किसी भी कीमत पर नरमी के संकेत देने के मूड में नहीं है.

दरअसल, चीन लगातार भारत पर दबाव बनाने के लिए कई अलग तरह के हथकंडे भी अपना रहा है. चीन कभी दूसरे देशों के राजनयिकों के सामने भारत को गलत ठहराने की कोशिश कर रहा है तो कभी भारत से सटी तिब्बत की सीमा में सैन्य अभ्यास का दावा कर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है.

चीन का सरकारी मीडिया लगातार इस बात का दावा कर रहा है कि चीन ने तिब्बत से लगी भारतीय सीमा पर अपनी सैन्य तैयारी कर लिया है. इसके लिए हथियार और दूसरे सैनिक साजो-सामान भी उस इलाके तक पहुंचाया गया है.

लेकिन, इस मुद्दे पर सचेत भारत कूटनीतिक तौर पर भी चीन को किनारे करने की तैयारी में है. भारत ने चीन के इन तमाम दावों का नकार दिया है. सरकार के सूत्रों के मुताबिक, सीमा पर चीन के सैनिकों की तादाद में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है.

भारत की तरफ से इस बात का संकेत दिया जा रहा है कि चीन की तरफ से आ रहे सभी बयान केवल भारत पर दबाव बनाने के लिए है. लिहाजा इस दबाव की रणनीति से भारत पीछे हटने वाला नहीं है.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सदन के भीतर दावा किया कि ‘सारे देश हमारे साथ इस मुद्दे पर खड़े हैं. उन्होंने कहा कि बाकी देश भी इस बात को समझ रहे हैं कि भूटान जैसे छोटे देश में चीन किस कदर आक्रामक हो रहा है.’

कारण साफ है महज भूटान की तरफ से किए गए विरोध के चलते चीन बौखला गया है. चीन की हरकतों को लेकर भूटान के राजदूत ने लिखित में अपना विरोध जता दिया था. फिर भूटान की सरकार ने अपना विरोध दर्ज किया था. यह  विरोध महज चार दिन के भीतर ही किया गया था. इस विरोध को चीन पचा नहीं पा रहा है.

उसकी तरफ से फिजूल के आरोप  लगाकर भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है कि डोकलाम विवाद में भारत का भूटान में दखल हो रहा है. लेकिन, भूटान के रुख से साफ है कि वो चालाक चीन की चतुर चाल को भांप चुका है. भूटान इस वक्त भारत के साथ है.

बाकी देशों से भी भारत के पक्ष में सकारात्मक बयान ही मिला है. जिसके बाद भारत अपने स्टैंड से टस-से-मस नहीं हो रहा. अब  विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बयान के बाद चीन को भी संदेश मिल गया है. उसे एहसास हो गया होगा कि अब हालात काफी बदल गए हैं. इस बार भारत किसी भी सूरत में भूटान को दूसरा तिब्बत नहीं बनने देगा.