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80 फीसदी भारतीय पुरुष और 70 फीसदी महिलाएं हैं मांसाहारी: रिपोर्ट

देखा गया है कि घरेलू आमदनी बढ़ने के साथ अंडे और मांस की खपत बढ़ती है. साप्ताहिक आधार पर मांस की खपत पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में ज्यादा है

FP Staff

भारत की भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार धर्म और विचारधारा के आधार पर शाकाहार की वकालत कर रही है. हालिया उदाहरण 2 अक्टूबर को भारतीय रेलवे द्वारा महात्मा गांधी के जन्मदिन पर सभी ट्रेनों में वेज खाना देना है. अब एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिससे आपको मांसाहार और शाकाहार भोजन की खपत करने वालों के आंकड़े साफ होंगे.

हालांकि, लगभग 80 फीसदी भारतीय पुरुष और 70 फीसदी महिलाएं, साप्ताहिक नहीं तो कभी-कभी अंडे, मछली, चिकन या मांस का उपभोग करते हैं, जैसा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य आंकड़ों पर इंडियास्पेंड की स्टडी से पता चलता है. लेकिन उनका दैनिक आहार शाकाहार ही होता है, जिसमें दूध या दही, दालें और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल होती हैं.


राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 2015-16 (एनएफएचएस -4) के अनुसार, कुल मिलाकर, 42.8 फीसदी भारतीय महिलाओं और 48.9 फीसदी पुरुषों ने मछली, चिकन या मांस साप्ताहिक उपयोग किया है.

यहां एक भारतीय के औसत आहार का आकलन करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुपोषण और मोटापा दोनों एक ही तरह की समस्या है. देश में 53.7 फीसदी महिलाएं और 22.7 फीसदी पुरुष एनीमिक हैं और 22.9 फीसदी महिलाएं और 20.2 फीसदी पुरुष पतले हैं. (18.5 से कम की बॉडी मास इंडेक्स के साथ) जबकि 20.7 फीसदी महिलाएं और 18.9 फीसदी पुरुष अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं, जैसा कि एनएफएचएस-4 के आंकड़ों से पता चलता है.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय एक ट्वीट पर हाल ही में विवाद हो गया था, जब उसने एक ऐसे फोटो को ट्वीट किया था, जिसमें मासाहारी खाद्य पदार्थों जैसे अंडे और मांस को जंक फूड के साथ समूहित किया गया था, जो कि मोटापे का कारण बनते हैं. हालांकि फोटो को बाद में हटा दिया गया था.

2015 में, मध्य प्रदेश सरकार ने जैन समूहों के दबाव के कारण कथित तौर पर आंगनवाड़ी या डे-केयर सेंटर में भोजन से अंडे पर प्रतिबंध लगा दिया था.

ऐसे कदम ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन’ (एनआईएन), हैदराबाद की सिफारिशों के बावजूद लिए गए हैं, जो प्रोटीन समृद्ध पशु खाद्य पदार्थों जैसे कि दूध, मांस, मछली और अंडे की खपत और दालों और फलियां जैसे पौधे के खाद्य पदार्थों की खपत का समर्थन करते हैं.

एनआईएन के आहार दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पशु प्रोटीन उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, क्योंकि वे सभी आवश्यक अमीनो एसिड सही अनुपात में प्रदान करते हैं, जबकि पौधे या सब्जी प्रोटीन समान गुणवत्ता के नहीं हैं क्योंकि उनमें कुछ आवश्यक अमीनो एसिड की कमी होती है.

भारतीय रेलवे अब शाकाहार को पसंद करने वाले महात्मा गांधी की जयंती शाकाहारी दिवस के रुप में मनाने की योजना बना रही है. यह अपने परिसर में केवल शाकाहारी खाना देने की योजना बना रहा है और उस दिन मांस को न खाने के लिए अपने सभी कर्मचारियों से अपील की बात की गई है, जैसा कि 21 मई, 2018 को टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर में बताया गया है.

वायु प्रदूषण और कुपोषण के बाद कमजोर आहार भारत में मृत्यु और विकलांगता के लिए तीसरा सबसे बड़ा जोखिम कारक है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने नवंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है.

महिलाओं में, 37.4 फीसदी अंडे, 36 फीसदी मछली, चिकन या मांस का साप्ताहिक उपभोग

भारत में महिलाओं की तुलना में अधिक पुरुष मांसाहारी भोजन का उपभोग करते हैं। दस में से करीब 3 महिलाएं अंडा (29.3 फीसदी) और चिकन, मछली या मांस (29.9 फीसदी) का उपभोग नहीं करती हैं जबकि दस में से दो पुरुष अंडे (19.6 फीसदी) और चिकन, मछली या मांस (21.6 फीसदी) का उपभोग नहीं करते हैं.

15-45 वर्ष की आयु के बीच महिलाओं में 45 फीसदी दूध और दही लेती हैं, 44.8 फीसदी दालें या बीन्स का उपभोग करती हैं और 47.2 फीसदी हरी, पत्तेदार सब्जियां का उपभोग करती हैं जबकि 37.4 फीसदी अंडे खाती हैं और 36.6 फीसदी साप्ताहिक रुप से मछली, चिकन या मांस खाती हैं. लगभग आधे 51.8 फीसदी कभी-कभी फल का सेवन करती हैं.

उम्र, वैवाहिक स्थितिभूगोलधन और जाति भी कारक

खाद्य वस्तुओं की साप्ताहिक खपत सभी समूहों के लिए समान नहीं है और इसमें कई तरह के रुझानों को देखा गया है. लेकिन 19 साल से अधिक लोग हर हफ्ते अधिक अंडे और किसी भी तरह का मांस खाते की आदत रखते हैं.

पुरुषों में, अंडे और मांस की उच्चतम खपत उन लोगों में से है, जो कभी शादीशुदा नहीं थे (अंडे के लिए 50.5 फीसदी और मछली, चिकन या मांस के लिए 49.2 फीसदी). इसके अलावा, शहरी पुरुष (अंडे के लिए 53.8 फीसदी, मछली, चिकन या मांस के लिए 52.8 फीसदी) ग्रामीण पुरुषों (अंडे के लिए 47.1 फीसदी, मछली, चिकन या मांस के लिए 46.5 फीसदी) की तुलना में अधिक मांसाहारी भोजन लेते हैं.

महिलाओं में, अंडे और मांस की सबसे अधिक खपत उन लोगों में से थी, जो विधवा या तलाकशुदा थी. (अंडे के लिए 41.5 फीसदी और मछली, चिकन या मांस के लिए 47.4 फीसदी).

शाकाहारी/मांसाहारी खाद्य पदार्थों की पसंद का फैसला करने में शिक्षा भी एक कारण है.  जिन लोगों ने पांच साल तक अध्ययन किया है, वे अंडे और मांस का ज्यादा मात्रा में उपभोग करते हैं- पुरुष (54.2 फीसदी और 57.6 फीसदी) और महिलाओं (48.2 फीसदी और 51.8 फीसदी).

धर्मों में, ईसाई अंडे और मांस का सबसे ज्यादा उपभोग करते हैं- पुरुष (71.5 फीसदी और 75.6 फीसदी) और महिलाएं (64.7 फीसदी और 74.2 फीसदी)। इसके बाद मुस्लिम पुरुष (66.5 फीसदी और 73.1 फीसदी) और महिलाएं (59.7 फीसदी और 67.3 फीसदी) अंडे और मांस का उपभोग करती हैं.

अंडे और मछली, चिकन या मांस की उच्चतम खपत उन लोगों में भी है, जिन्होंने कहा कि वे अपने जाति नहीं जानते हैं- पुरुष (49.2 फीसदी और 51.6 फीसदी). यह महिलाओं के लिए भी सच है; मछली, चिकन और मांस के लिए यह ‘अन्य’ जाति में सबसे अधिक है.

देखा गया है कि घरेलू आमदनी बढ़ने के साथ अंडे और मांस की खपत बढ़ती है. वैसे सबसे अमीर 20 फीसदी भारतीयों में कम प्रतिशत पुरुषों और महिलाओं के बीच अंडे और मांस का खफत है.

घरेलू धन के अनुसार अंडे, मछली, चिकन और मांस की साप्ताहिक खपत

केरल में अधिकांश मांस खाने वाले, पंजाब में सबसे कम

महिलाओं पर डेटा से पता चलता है कि केरल (92.8 फीसदी), गोवा (85.7 फीसदी) और असम (80.4 फीसदी) में मछली, चिकन या मांस के सबसे ज्यादा साप्ताहिक उपभोक्ता हैं, जबकि पंजाब (4 फीसदी), राजस्थान (6 फीसदी) और हरियाणा (7.8 फीसदी ) का स्थान नीचे है.

पुरुषों के आंकड़े बताते हैं कि त्रिपुरा (94.8 फीसदी), केरल (90.1 फीसदी) और गोवा (88 फीसदी) मछली, चिकन या मांस के सबसे ज्यादा साप्ताहिक उपभोक्ता हैं, वहीं पंजाब (10 फीसदी), राजस्थान (10.2 फीसदी) और हरियाणा (13 फीसदी ) का स्थान सबसे नीचे है.

साप्ताहिक आधार पर मांस की खपत पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में अधिक है. यह दोनों लिंगों के लिए उत्तर के राज्यों में सबसे कम है.

  भारत में राज्य के अनुसार मांस की खपत, 2015-16

  (इंडियास्पेंड के लिए स्वागता यदवार की रिपोर्ट)