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इस देसी महिला 'शर्लोक होम्स' ने सॉल्व किए 80,000 से ज्यादा केस

डबल मर्डर के एक केस को सुलझाने के लिए रजनी पंडित को आरोपी महिला के घर में 6 महीने तक नौकरानी बनकर रहना पड़ा था

FP Staff

'जासूस जन्म से ही होता है, उसे बनाया नहीं जाता.' रजनी पंडित ने खुद के बारे में यह बात अपनी वेबसाइट पर लिखी है.

भारत की पहली महिला जासूस के रूप में जाने जानी वाली रजनी पंडित ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में अपना पहला केस सुलझाया था. पिता सीआईडी में थे इसलिए काफी छोटी उम्र में ही रजनी ने जासूसी के गुर सीख लिए.


महाराष्ट्र में पैदा हुई और यहीं पली-बढ़ीं देसी 'शर्लोक होम्स' रजनी का दावा है कि अब तक उन्होंने 80 हजार से ज्यादा केस सुलझाए हैं. उन्होंने 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे', जो जीवन की सच्ची घटनाओं को छापता है, को अपने इस सफर के शुरूआत के बारे में बताया. साथ ही अपने एक खास केस के बारे में भी जिक्र किया कि क्यों वो उनके जासूसी जीवन के यादगार लम्हों में शामिल है.

उन्होंने कहा, 'मैं कॉलेज में थी जब मैंने अपना पहला केस सॉल्व किया था. मैं फर्स्ट इयर में पार्ट टाइम ऑफिस क्लर्क का काम करती थी. इस दौरान मेरे साथ काम करने वाली एक महिला ने मुझे अपने घर हुई चोरी के घटना के बारे में बताया. उसे अपनी नई बहू पर शक था लेकिन उसके पास इसके कोई सबूत नहीं थे.'

अपने पिता से प्रभावित होकर रजनी ने इसे अपने पहले केस के तौर पर सॉल्व करने का निर्णय लिया. उन्होंने महिला के घर से लगी सड़क पर नजर रखनी शुरू की. तो मैंने पाया कि उनका बेटा ही असली चोर है. जब उससे पूछताछ की गई, तो उसने चोरी की बात कबूल कर ली. इसके बाद यहीं से मेरे करियर की शुरुआत हो गई. उस वक्त मैं केवल 22 वर्ष की थी.'

उस जमाने में न इंटरनेट था और न सोशल मीडिया, ऐसे में रजनी अपनी तफ्तीश के लिए पूरी तरह से लोगों से पूछताछ पर निर्भर रहती थीं. इस पेश में मौजूद खतरे के बावजूद वो मजबूती से इसमें आगे बढ़ती रहीं.

'अपने काम से प्यार हो गया था इसलिए शादी और परिवार के बारे में सोचने का वक्त नही मिला'

रजनी ने कहा, 'यह मुश्किलों से भरा काम है. शुरुआत में मेरे माता-पिता को इसके बारे में पता नहीं था. पर जब मेरे पिता को पता चला, उन्होंने मुझे याद दिलाया कि यह पेशा बेहद खतरनाक है. पर जब वो इसे कर सकते हैं तो, मैं भी. इसलिए मैं इस काम में जुटी रही. मुझे अपने काम से प्यार हो गया था इसलिए शादी और परिवार के बारे में सोचने का वक्त नही मिला.

रजनी के काम पर मीडिया की नजर तब पड़ी जब उन्होंने एक मर्डर केस को सुलझाने के लिए नौकरानी (मेड) के रूप में 6 महीने तक काम किया. यह उनके लिए सबसे मुश्किल केस साबित रहा.

उन्होंने कहा, 'मेरा सबसे कठिन मामला हत्या की तफ्तीश के लिए सबूत जुटाना था. महिला के पति और बेटे दोनों की हत्या कर दी गई थी, मगर वारदात को किसने अंजाम दिया उसकी जानकारी नहीं थी. मैं इसका सुराग तलाशने के लिए महिला के घर में 6 महीने तक नौकरानी बनकर रही जिस पर हत्या का संदेह था.'

रजनी ने बताया कि, 'जब वो (महिला) बीमार पड़ गई, तो मैंने उसका ख्याल रखा और धीरे-धीरे उसका भरोसा हासिल किया. मगर एक बार जब घर में खामोशी पसरी थी मेरे रिकॉर्डर से 'क्लिक' की हल्की सी आवाज आई. तब उसे मुझपर शक होने लगा. वो मुझे बाहर जाने से भी रोकने लगी.'