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पढ़ाने के लिए टीचर अपने समय का सिर्फ 19 फीसदी करते हैं खर्च, बचे हुए वक्त में करते हैं ये काम

शिक्षक की आवश्कता हमेशा से ही काफी महत्वपूर्ण मानी गई है लेकिन आज के वक्त में शिक्षक पढ़ाने में अपने कामकाजी समय में से सिर्फ 19.1 फीसदी ही खर्च कर रहे हैं.

FP Staff

ज्ञान हासिल करने के लिए शिक्षक की आवश्कता हमेशा से ही काफी महत्वपूर्ण मानी गई है. शिक्षक समाज को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन आज के वक्त में शिक्षक पढ़ाने में अपने कामकाजी समय में से सिर्फ 19.1 फीसदी ही खर्च कर रहे हैं. लेकिन अब सवाल उठता है कि बाकी समय का क्या होता है. तो जवाब है कि बाकी समय में शिक्षक चुनावी ड्यूटी, सर्वे करना, पोलियो अभियान और मिड-डे मिल का रजिस्टर तैयार करते हैं.

'गैर-शिक्षण गतिविधियों में शिक्षकों की भागीदारी और शिक्षा पर इसके प्रभाव' नामक एक रिपोर्ट में इन बातों का खुलासा किया गया है कि एक शिक्षक पढ़ाई के अलावा अपना वक्त किन कामों में लगाता है. जिसके बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षा के 220 दिन निर्धारित किए गए हैं लेकिन रिपोर्ट में इस बात का पता चला है कि साल 2015-16 में सिर्फ 42 दिन ही टीचिंग कार्य किया गया.


बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 के अधिकारों के प्रावधानों के तहत हर शैक्षणिक वर्ष में कक्षा 1 से 5 (प्राथमिक) में 200 दिन और कक्षा 6 से 8 (ऊपरी प्राथमिक) में 220 दिन कार्य टीचिंग के होने चाहिए. वहीं हर हफ्ते 45 घंटे निर्धारित किए गए हैं. हालांकि, जब शिक्षकों से उनके साल में की गई गतिविधियों के बारे में सवाल किया गया तो सामने आया कि उनके कामकाजी समय का 81 फीसदी ब्लॉक स्तर अधिकारी (बीएलओ) के रूप में सर्वेक्षण और चुनावी ड्यूटी पूरा करने में ही खर्च हो जाता है.

ये राज्य है शामिल

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान और प्रशासन (एनआईईपीए) के जरिए चुनिंदा राज्यों में अध्ययन के बाद ये डाटा जारी किया गया है. यह अध्ययन शैक्षणिक प्रशासन विभाग की विनीता सिरोही और मंजू नरुला के निर्देशन में किया गया. इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा और उत्तराखंड राज्य शामिल थे. रिपोर्ट का दावा है कि शिक्षकों के वार्षिक स्कूल घंटे का केवल 19.1 फीसदी शिक्षण गतिविधियों पर खर्च किया जाता है. बाकी 81 फीसदी शिक्षकों के समय में से 42.6 फीसदी बाहरी गैर-शिक्षण गतिविधियां, 31.8 फीसदी गैर-शिक्षण स्कूल से संबंधित गतिविधियां और 6.5 फीसदी अन्य विभाग से जुड़ी गतिविधियां शामिल है.