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शहीदों के साथ बर्बरता: सुनिए मोदीजी, देश कह रहा है 'बदला लो'

भारतीय जनता कार्रवाई के लम्हे का इंतजार कर रही है

Sanjay Singh

'और कितने सैनिकों की शहादत को श्रद्धांजलि देनी होगी हमें... कितनी जल्दी-जल्दी देनी होगी यह श्रद्धांजलि,' नायब सूबेदार परमजीत सिंह के अंतिम संस्कार के वक्त उसके परिजन के मुंह से निकलने वाले इन लफ्जों में दिल को हिला देने वाली शिद्दत है.

शहीद परमजीत के परिवार का यह सदस्य गहरे शोक में था लेकिन उसने बात बिल्कुल ठीक कही. उसके शब्दों से यह तो झांक ही रहा था कि उसने अपना परिजन खोया है, साथ ही देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा की मौजूदा हालत से ऊपजी हताशा का भी इजहार हो रहा था.


आधिकारिक तौर पर देखें तो भारत कोई युद्ध नहीं लड़ रहा. लेकिन कभी सीमा पर होने वाली गोलीबारी तो कभी आतंकवादियों या माओवादी हमलावरों से मुठभेड़ में शहीद होते फौज और अर्धसैन्य बल के अफसर तथा जवान और देश के तकरीबन हर हिस्से में पहुंचते उनके निर्जीव देह के ताबूत का दृश्य हमसे यह कहता प्रतीत होता है कि भारत अपनी जमीन के अंदर और बाहर जैसे कोई जंग लड़ रहा है. पाकिस्तान ने छद्म युद्ध छेड़ रखा है और यह छद्म युद्ध एक नया रुप ले रहा है.

शहीद परमजीत के शव पर रोते परिजन

शहीद प्रेम सागर को सलामी

चाहे देश का आम नागरिक हो या शहीद सैनिकों के परिजन हर कोई फिलहाल प्रतिशोध की भावना से भरा हुआ है. उसके मुंह से यही निकल रहा है कि जान गंवाते हर हिन्दुस्तानी का बदला लिया जाय और इस धरती से पाकिस्तान का नामोनिशान मिटा दिया जाय. एक गैर जिम्मेदार पड़ोसी के रुप में पाकिस्तान उकसावा दे रहा है, मर्यादा की सीमाएं लांघ रहा है और इसी के अनुकूल हिंदुस्तानियों के दिल में उसके प्रति प्रतिशोध की भावना भड़क रही है.

सुनिए कुछ और शहीदों के परिजन की आवाज!

यह आवाज नियंत्रण रेखा पर अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए देश के सम्मान की रक्षा में प्राणों की बलि देने वाले बीएसएफ के हेड कांस्टेबल प्रेम सागर की बेटी की हो सकती है! यह आवाज सैनिक हेमराज के चाचा की भी हो सकती है! हेमराज की निर्जीव देह के साथ पाकिस्तानी फौज ने बर्बरता का सलूक किया. यह आवाज किसी भी ऐसे सैनिक या सिपाही के परिजन की हो सकती है जिसपर जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी फौज ने गोलियां बरसाईं या गोलियां बरसाने के लिए अपने जाने-पहचाने किसी और तरीके का सहारा लिया.

यह आवाज नक्सली हिंसा से प्रभावित इलाकों में कर्तव्य पथ पर शहीद हुए किसी भी सिपाही या अर्द्धसैन्य बल के जवान के परिजन की हो सकती है. ये सारी आवाजें बस एक ओर इशारा कर रही हैं, इन आवाजों के भीतर से बस एक मांग बुलंद हो रही है कि हमारी सरकार और सेना मुंहतोड़ जवाब दे और भारत के वीर सपूतों की शहादत का भरपूर बदला ले.

यह आवाज उस वक्त बुलंद हुई है, जब देश के मन में राष्ट्रवाद की लहर जोर पकड़ रही है. पाकिस्तान के खिलाफ ‘आर या पार’ की कार्रवाई की मांग के बरक्स मोदी सरकार के सामने दोतरफा चुनौती आन खड़ी है. एक तो सरकार को आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर जूझना होगा, आतंकवादियों का सफाया करना होगा, आतंक को बढ़ावा देने वाले छुपे रुस्तमों को नेस्तनाबूद करना होगा.

नक्सलवादियों, कश्मीर घाटी के भारत-विरोधी उपद्रवियों और कानून-व्यवस्था की गड़बड़ाती हालत पर लगाम कसनी होगी. दूसरे, जम्मू-कश्मीर से लगती नियंत्रण रेखा और पाकिस्तान से लगते अपने सीमावर्ती इलाकों में बाहरी सुरक्षा के हालात पर पूरा नियंत्रण कायम करना होगा.

इन दो चुनौतियों के लिए क्या किया जाय यह काम सेना और सत्ताधारी दल के शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ दिया जाना चाहिए. लेकिन ध्यान रहे, मुंहतोड़ जवाबी कार्रवाई तत्काल होनी चाहिए. दुश्मन को इस कार्रवाई में भारी नुकसान होना चाहिए और कार्रवाई ऐसी हो कि प्रतीकात्मक रुप से महत्वपूर्ण जान पड़े.

चूंकि कोई भी जवाबी कार्रवाई अपनी रणनीति, तरीके या समय के लिहाज से चौंकाऊ होनी चाहिए इसलिए अभी से नहीं कहा जा सकता कि भारत सर्जिकल स्ट्राईक का रास्ता चुनेगा या कोई और तरीका अपनाया जायेगा लेकिन सरकार के उच्च पदों पर आसीन कुछ सूत्रों का कहना है कि भारत मौके और वक्त के हिसाब समुचित कार्रवाई करेगा.

एक मुल्क के रुप में भारत को सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात की है कि पाकिस्तानी सैनिकों ने अपनी तरफ से हो रही हिफाजती फायरिंग की आड़ में परमजीत सिंह और प्रेम सागर पर घात लगाकर हमला किया और फिर यहीं नहीं रुके बल्कि भारतीय इलाके में घुसकर इन शहीदों के शव को क्षत-विक्षत किया. इन घटनाओं की गंभीरता प्रधानमंत्री और सरकार में उनके सहयोगियों के लिए बड़ी चिन्ता की बात है.

प्रधानमंत्री और सरकार में उनके सहोयोगियों को याद होगा कि 2013 में जब पाकिस्तानियों से जवान हेमराज का सर काटा और नियंत्रण रेखा पर पांच और जवानों की जान ली तो बीजेपी ने बहुत हंगामा मचाया था. उस वक्त नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज सहित बीजेपी के अन्य नेताओं ने कहा था कि अगर पाकिस्तान ने हेमराज का सर नहीं लौटाया तो भारत के अपने एक के बदले दस पाकिस्तानी फौजियों का सर काटकर लाना होगा. बीजेपी ने उस वक्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कमजोर सरकार की बखिया उधेड़ दी थी. तब पूरे माहौल में बीजेपी का राष्ट्रवादी स्वर गूंज रहा था.

मनमोहन सिंह के विपरीत नरेंद्र मोदी को एक मजबूत और फैसला लेने में सक्षम नेता माना जाता है. नरेन्द्र मोदी की छवि देश में हर किस्म का विकास करने वाले नेता की है साथ ही लोगों ने यह सोचकर उनसे उम्मीद बांधी है कि वे देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के मोर्चे पर सख्त रुख अपनायेंगे और किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे. उनकी सरकार और भारतीय सेना ने 2016 के सितंबर में पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राईक किया तो लोगों के इसी विश्वास की पुष्टि हुई.

गोलीबारी की ताजा घटनाएं, आतंकी हमले, जवानों के शव के साथ बर्बरता का बरताव और फर्जी सुनवाई के आधार पर कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा जैसी घटनाओं से पता चलता है कि पाकिस्तान ने सर्जिकल स्ट्राईक से कोई सबक नहीं लिया और उसकी तरफ से सबकुछ बदस्तूर उसी तरह किया जा रहा है जैसा कि कोई राह भटक चुका उन्मादी मुल्क करता है. मोदी को एक बार फिर से भारतीय फौजों को हरी झंडी देनी होगी ताकि फौज पाकिस्तान को उसके समझ में आने वाली भाषा में सबक सिखाये.

सभी नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी हुई हैं कि वे अब क्या फैसला करते हैं. बीजेपी इस घड़ी देशभक्तों (राष्ट्रवादियों) का महासंघ बनकर उभरी है. पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने लखनऊ में राज्य कार्यकारिणी की बैठक में इसी तरफ इशारा किया. पार्टी फिलहाल केंद्र में 282 सदस्यों के स्पष्ट बहुमत से शासन में है. पूरे देश में पार्टी के 1387 विजयी जन-प्रतिनिधि हैं, 14 राज्यों में उसकी अपनी सरकार है और तीन राज्यों में पार्टी गठबंधन की सरकार चला रही है. अपने 11 करोड़ सदस्यों के साथ बीजेपी फिलहाल दुनिया में सबसे बड़ी सियासी पार्टी बनकर उभरी है.

पार्टी की इस ताकत का बखान करते हुए अमित शाह ने लोगों के मन में उठते हुए भावों की एक तरह से नुमाइंदगी की, लोग चाहते हैं कि भारत अपने कमतर पड़ोसी देश के खिलाफ कारगर तरीके से कार्रवाई करे.

वित्त मंत्रालय के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय का पदभार संभाल रहे अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि 'यह (जवानों के शव के साथ बर्बरता का बरताव) पड़ोसी मुल्क का बड़ा घृणित और अमानवीय कृत्य है. ऐसी घटनाएं शांति की कौन कहे युद्ध के समय भी नहीं होतीं. जवानों के शव को क्षत-विक्षत करना हद दर्जे की बर्बरता है. भारत सरकार इसकी कड़े शब्दों में निन्दा करती है. समूचे देश को अपनी फौज पर पूरा भरोसा है और हमारी फौज इस अमानवीय कृत्य का समुचित जवाब देगी. हमारे सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.'

भारतीय सेना ने भी कहा है कि पाकिस्तान की घृणित कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा और अब भारतीय जनता कार्रवाई के उस लम्हे का इंतजार कर रही है.