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ट्रेन में देखने को मिलेंगी फिल्में और टीवी सीरियल्स, अप्रैल में शुरू हो सकती है सर्विस

रेल मिनिस्ट्री सफर के दौरान या रेलवे स्टेशनों पर पैसेंजर्स की डिमांड पर मनोरंजक सामग्री मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही है

FP Staff

आप रेल यात्रा के दौरान टीवी सीरियल, फिल्में, बच्चों के शो, रिलीजियस शो, गाने, क्षेत्रीय गाने और स्प्रिचुअल म्यूजिक, ई-पेपर, गेम और एजुकेशनल कंटेंट की डिमांड कर पाएंगे.

दरअसल, गैर-किराया मद से आमदनी बढ़ाने की कोशिश में लगा रेल मिनिस्ट्री सफर के दौरान या रेलवे स्टेशनों पर पैसेंजर्स की डिमांड पर मनोरंजक सामग्री मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही है.


रेल मिनिस्ट्री ने कंटेंट ऑन डिमांड (सीओडी) और रेल रेडियो सर्विसेज मुहैया कराने के लिए टेंडर मंगवाए गए हैं. अप्रैल से यह सर्विस शुरू होने की उम्मीद है.

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेनों और स्टेशनों पर सीओडी के जरिए रेलवे का कुल इन्फोटेनमेंट मार्केट अगले तीन साल में 2,277 करोड़ रुपए पहुंच सकता है. इसमें रेडियो, ऑडियो, डिजिटल म्यूजिक और डिजिटल गेमिंग शामिल है.

रिपोर्ट कहती है कि इसमें कंटेंट का मालिकाना हक रखने वाली कंपनियां एरोस इंटरटेनमेंट, बालाजी प्रॉडक्शंज और शेमारू एंटरटेनमेंट तथा कंटेंट ऐग्रीगेटर रेडियो मिर्ची, फीवर एफएम, हंगामा और बिंदास जैसी पार्टियां इसमें दिलचस्पी ले सकती हैं.

सर्विस प्रोवाइड के लिए ये कंपनियां आ सकती हैं आगे

प्रमुख टेलिकॉम कंपनियों, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों और ऑफलाइन स्ट्रीमिंग बाजार की कंपनियों जैसे वोडाफोन, आइडिया, एयरटेल, प्रेसप्ले टीवी, मूविंग टॉकीज, द्विंगलू, फ्रॉपकॉर्न, टूरिंगटॉकीज, माईफ्रीटीवी, जोंक और क्लाउडप्ले के भी इसमें आगे आने की उम्मीद है.

इस गतिविधि से वाकिफ एक अधिकारी ने कहा, 'सीओडी जैसी गैर-किराया पहल के लिए निविदा आमंत्रित की जाएगी. हम इस उद्योग की सभी बड़ी कंपनियों के इसमें हिस्सा लेने की उम्मीद कर रहे हैं. यह अनुबंध दस साल का होगा. यात्रियों के लिए ऐप आधारित कैब सेवाओं के लिए भी मई में टेंडर मंगाया जाएगा.'

रेल मिनिस्ट्री ने पिछले साल कार्यकारी निदेशक आरपी ठाकुर की अगुआई में एक गैर-किराया राजस्व निदेशालय गठित किया था. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस साल जनवरी में गैर किराया राजस्व नीति जारी की थी.

इसमें स्टेशनों और ट्रेनों में वाईफाई के जरिये रेडियो और वीडियो कंटेंट मुहैया कराने, एटीएम के लिए प्लेटफॉर्मों पर पट्टे पर जगह देने, विज्ञापन होर्डिंग और बिलबोर्ड लगाने के लिए आउटडोर स्पॉट किराये पर देने, ट्रेनों और स्टेशनों पर ब्रैंडिंग के अधिकार एफएमसीजी और अन्य कंपनियों को बेचने के अधिकार शामिल हैं.

रेलवे को किराए के अलावा गतिविधियों से अगले 10 साल में 16,000 से 20,000 करोड़ रुपए की कमाई होने की उम्मीद है. उसकी योजना पहले साल 30 फीसदी ट्रेनों में सीओडी और रेल रेडियो सेवा देने की है.

दूसरे साल में इसे 60 फीसदी ट्रेनों में और तीसरे साल सभी ट्रेनों में मुहैया कराया जाएगा. रेलवे के मुताबिक सभी स्टेशनों पर चरणबद्ध तरीके से ऑडियो और वीडियो कंटेंट सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

बीसीजी रिपोर्ट के मुताबिक ऑफलाइन कंटेंट मुहैया कराने पर प्रति कोच करीब 38,000 रुपए खर्च आएगा. दूसरी तरफ इंटरनेट के जरिए कंटेंट मुहैया कराने के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करने पर प्रति कोच 25 लाख रुपए की लागत आएगी.

साभार: न्यूज़18 हिंदी